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Baytu: 09.01.2013Acharya Mahashraman was speaking on key points of successes. He told to believe in hard work. Stay honest in life. He also told too much dependence on astrology is not good.
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सम्यक पुरुषार्थ सफलता का मंत्र' आचार्य श्री महाश्रमण
बायतु 08 जनवरी 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
'जीवन में विवेक का बड़ा मूल्य है। विवेक एक निर्मल चक्षु है, जिसके पास विवेक है मानो उसके पास अनंत नेत्र है। विवेक को धर्म भी कहा गया है। विवेकपूर्ण पुरुषार्थ करना विशेष बात है। विवेक शून्य पुरुषार्थ से अभीष्ट फल प्राप्त नहीं होता है।'
ये विचार तेरापंथ भवन में प्रवचन देते हुए आचार्य महाश्रमण ने व्यक्त किए। उन्होंने 'सफलता के सूत्र' विषय पर बोलते हुए कहा कि विवेक युक्त सम्यक पुरुषार्थ सफलता का मंत्र है। ऐसा पुरुषार्थ करने से सफलता अवश्य मिलती है। व्यक्ति को बिना सोचे-समझे कोई भी काम नहीं करना चाहिए। सोच विचार कर काम करने वाले से सम्पदाएं स्वयं आकृष्ट होती है। आचार्य ने कहा कि भविष्य के लिए हस्तरेखा, कुंडली दिखाने की नहीं, विवेकपूर्ण सम्यक पुरुषार्थ की अपेक्षा होती है। आचार्य ने 'जिसका जीवन सद्गुण का भंडार है' गीत का संगान कर जीवन में सच्चाई के प्रति निष्ठा रखने की प्रेरणा दी।
मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि मनुष्य के जीवन में सफलता का अवकाश बहुत है। वह सही पुरुषार्थ करें तो सिद्धत्व को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि श्रम सफलता का प्रथम सूत्र है। श्रमशील व्यक्ति ही आगे बढ़ सकता है। कार्यक्रम में मुनि राजकुमार ने 'जीवन में ज्योति जलेगी' गीत का संगान किया।