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Sunam: 09.01.2013
Sadhvi Sohan Kumari has completed Santhara of 24 days. Her rites took place at Sunam. Thousands of people joined her last journey and paid homage to her.
News in Hindi
साध्वी जी के अंतिम दर्शनों को पहुंचे श्रद्धालु सुनाम ((संगरूर)) 09 जनवरी 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो जैन साध्वी सोहन कुमारी की मंगलवार को अंतिम यात्रा निकाली गई जोकि तेरापंथ जैन भवन से आरंभ हुई। अंतिम यात्रा में देश के कई राज्यों से जैन श्रद्धालु शामिल हुए। अग्रवाल सभा के अध्यक्ष व तेरापंथ जैन सभा के नेता हकूमत जिंदल और अध्यक्ष रामलाल जैन ने बताया कि सोमवार शाम को चार बजे साध्वी जी ने अंतिम सांस ली थी। वे घोर तपस्वी और अति ज्ञानी थीं। जीवन में त्याग करके उन्होंने एक मिसाल कायम की है। ऐसी महान आत्मा के दर्शन जीवन में कभी कभार ही होते हैं। अंतिम यात्रा में भारी गिनती में महिलाएं भी शामिल हुई और शहर के पीरां वाला चौक, सिनेमा रोड, गीता भवन रोड, अनाज मंडी, नया बाजार से होकर यह यात्रा बख्शीवाला रोड पर पहुंची। जहां पूरे रस्मों रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार की रस्में जैन समुदाय के प्रमुख नेताओं व सेवादारों ने निभाई। इस मौके पर प्रेम जैन, आत्मा जैन, परवीन जैन, प्रेम चंद, केवल कृष्ण, जोगिंदर लाल, सुभाष मोदी, शंटी मोदी, यशपाल, सोहन लाल जैन आदि थे। सुनाम में अंतिम यात्रा में शामिल महिलाएं। 8सुनाम1 सुनाम ((संगरूर)) -!-तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें अधिशास्ता शांतिदूत व आचार्य श्री महाश्रमण की विदूषी शिष्या साध्वी सोहन कुमारी ने तेरा पंथ जैन स्थानक भवन में आमरण अनशन ((पानी को छोड़कर)) स्वीकार किया था! बता दें कि पिछले लगभग 5 वर्षों से वह स्थानीय तेरा पंथ जैन स्थानक भवन में प्रवचन करके भक्तों का मार्ग दर्शन कर रही हैं। साध्वी के दर्शनों के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आ रहे हैं। अपनी मर्जी से अनशन का चयन करने वाली साध्वी सोहन कुमारी जी का जन्म 21 सितंबर 1928 को नेत्रगुणा ((पाकिस्तान)) में हुआ। उन्होंने राजस्थान, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु, चेन्नई, चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, क\'छ, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, आसाम, मेघालय और बंगाल समेत विदेशों में भूटान, नेपाल की लगभग 81 हजार किलोमीटर की यात्राएं की। साध्वी सोहन कुमारी की तन-मन से पूर्ण सेवा कर रही सहयोगी साध्वियों ल\'जावती, लावण्य और सिद्धांत ने बताया कि यहां के लोग सौभाग्यशाली हैं जोकि पिछले लगभग 5 वर्षों से साध्वी के सानिध्य में रहकर जीवन विकास के बारे में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।