ShortNews in English:
Dhelana: 04.02.2012Keep Control over Kasaya: Acharya Mahashraman
News in Hindi
मन के विकारों को मंद करने की जरूरत� आचार्य श्री महाश्रमण
आमेट (ढेलाणा गांव) ०४ फरवरी २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य महाश्रमण ने मन के कषायों (विकारों) को मंद करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि हम जितना विकार-विकृतियों से दूर रहने का प्रयास करेंगे, उतनी ही धार्मिक भावना पुष्ट होगी। इस पर नियंत्रण से आत्मा की अनुभूति होती है।
आचार्य श्री ने उक्त विचार आमेट से सात किमी दूर ढेलाणा गांव में शुक्रवार को जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा की ओर से धर्म सभा में कही। उन्होंने कहा कि जैसा हमारा चित्त होगा, वैसी ही भावना मन में विद्यमान रहेगी। इसलिए चित्त को धार्मिक बनाने की आवश्यकता है, ताकि मन विकारों से ग्रसित न हो। पाप कर्म करने की ओर ध्यान आकृष्ट न हो। आचार्य ने कहा कि गलत राह पर जाने वाले व्यक्ति को सदाचार के मार्ग पर ले जाना भी एक सेवा है। दुखी का दुख दूर करने और उसे सहारा देने का प्रयास सामाजिक सेवा हैं। स्वयं के जीवन में स्वार्थ का बोध आने से रोके और परमार्थ की ओर जीवन को ले जाने के उपायों को अपनाने का श्रम करें। साथ ही परमार्थ की चेतना आत्म कल्याण के लिए हो। इसके लिए प्रयास करने की जरूरत है।
बालकों को दें संस्कार -आचार्य श्री
आचार्य ने अभिभावकों से कहा कि वे अपने बालकों को बाल्यावस्था से इस तरह की शिक्षा दें कि युवावस्था में पहुंचते ही संस्कारों से लबरेज हो जाए। बचपन से मिलने वाले संस्कार से बालक का सर्वांगीण विकास होता है। जितने अच्छे उसके संस्कार होंगे। उतनी ही उसकी प्रगति की राह आसान हो जाएगी।
शोध संस्थान स्थापित हो
धर्मसभा के दौरान प्रवासी मोहनलाल जैन ने अमृत महोत्सव के दौरान आचार्य महाश्रमण के दर्शन किए। इस दौरान उन्होंने क्षेत्र में तुलसी राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं शोध संस्थान की स्थापना किए जाने का आह्वान किया। इस अवसर पर मुनि जितेन्द्र कुमार, अध्यक्ष देवीलाल कोठारी, मंत्री रोशनलाल सूर्या, कोषाध्यक्ष प्रकाश सोनी, चुन्नीलाल कोठारी, मदनलाल सूर्या, राकेश सोनी, बाबूलाल कोठारी, संपत कोठारी, महिला मंडल की पुष्पा मेहता, शिल्पा सोनी, मीराबाई ने भी विचार व्यक्त किए। प्रारंभ में कोठारी परिवार ने सामूहिक गीतिका का संगान किया।
ढेलाणा में आचार्य महाश्रमण ने ग्रामीणों को नशा नहीं करने का संकल्प दिलाया