New Jersey: 18.09.2019
Samani Malay Pragya and Samani Neeti Pragya guided spiritually to people of New Jersey, U.S.A. paryushan and Samvatsari festival was celebrated with spirit of Sadhana. Samani Malay Pragya always gave new tips for spiritual upliftment. She also guided people for Abhinav Samayik. Samani Neeti Pragya guided Gyanshala. Tapasya was practised by many people. Pratikatmak was daily routine during Paryushan. One seminar was organised for Acharya Mahapragya Birth Centenary celebration.
न्यूजर्सी में आध्यात्म की लहर
महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण की विदुषी शिष्या समणी मलयप्रज्ञा जी व समणी नीतिप्रज्ञा जी के सानिध्य में न्यूजर्सी सेंटर में पर्युषण आराधना का विशिष्ट उपक्रम रहा।
लोगो के आध्यात्मिक विकाश के लिए सुबह शाम दोनो समय प्रवचन के साथ-साथ प्रतिदिन प्रतिक्रमण का भी उपक्रम चला । समणी मलयप्रज्ञा जी ने आध्यात्मिक विकाश और सुसंस्कृत जीवन के लिए प्रतिदिन आध्यात्म के सूत्रों की व्याख्या की । समणी नीतिप्रज्ञा जी ने प्रातः उत्तराध्ययन सूत्र का वाचन और भगवान महावीर की आध्यात्म यात्रा पर विशेष प्रकाश डाला । रात्रि के समय समणी नीतिप्रज्ञा जी ने बच्चों में ज्ञानवर्धन तात्विक विषयों पर प्रवचन दिया ।
अठाई, तेला, बेला, उपवास, एकासन आदि अच्छी तपस्याएं हुई । बच्चों में भी बहुत तपस्याएं हुई ।
अविनव सामयिक का उपक्रम भी रखा गया । पूरी सभा ने सामयिक की वेषभूषा में सामयिक का लाभ लिया। एक दिन जप अनुष्ठान का भी उपक्रम चला । संवत्सरी को पूरा दिन प्रवचन का क्रम चला । 22 पौषध भी हुए । प्रतिदिन लगभग 150 की संख्या व संवत्सरी को लगभग 200 की उपस्तिथि रही । पर्युषण के दौरान तीन दिवसिय (31, 1, 2) शिविर भी रखा गया ।
शताब्दी वर्ष पर आयोजित शिविर
युगप्रधान आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के शताब्दी वर्ष पर आयोजित दूसरा मासिक शिविर JVB न्यूजर्सी सेंटर में 31 अगस्त को समणी मलयप्रज्ञा जी व समणी नीतिप्रज्ञा जी के सानिध्य में हुआ । लगभग 200 व्यक्ति इस शिविर में संभागी रहे । विषय था- “Concept of Naya in Jainism” । समणी मलयप्रज्ञा जी ने बड़े ही सरल और सुंदर तरीके से अनेक उदाहरण के साथ इसको व्याख्यायित किया।
शताब्दी वर्ष का तीसरा मासिक शिविर 2 सितंबर की न्यूजर्सी सेंटर में समणी मलयप्रज्ञा जी व समणी नीतिप्रज्ञा जी के सानिध्य में आयोजित कोय गया । विषय था - “जैन दर्शन का अनेकान्तवाद और स्याद्वाद" ।
आज के complex societal structures में प्रतिदिन के रूटीन में कैसे यह उपयोगी बने, इसपर समणी मलयप्रज्ञा जी ने अनेक पहलुओं, अनेक उदाहरण के साथ विषय पर प्रकाश डाला । लोगो मे उत्साह प्रशंसनीय था । सबका कहना था इस प्रकार का कार्यक्रम और आयोजित हो ।