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जो धर्मात्मा है वो कभी दुखी नहीं, और अगर दुखी है तो वह धर्मात्मा नहीं - षष्ठ पट्टाचार्य पूज्य आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी मुनिराज
आज दिनांक 4 अगस्त को श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, हरीपर्वत स्थित शान्तिसागर सभागार में जैनाचार्य ने सुख को परिभाषित करते हुये कहा कि सच्चा सूख वह है जिसके बाद पुनः दुख न हो, उन्होंने समझाया कि इन्द्रीयजनित सुख क्षण भंगुर हैं, बाहरी है परन्तु असली सुख अतीन्द्रिय सुख आत्मा के अन्दर है, उन्होंने आन्तरिक सुख की अभिलाषा करने के लिये कहा और बताया कि सच्चा धार्मिक कभी दुखी नहीं होता और जो दुखी है वह धर्मात्मा नहीं!
एक प्रश्न के जवाब देते हुये उनहोंने बुजुर्गो का सम्मान करने का उपदेश दिया व कहा कि घर की शान बुजुर्गों से है, *बुजुर्ग वृद्धाश्रम में नहीं घर में शोभा देते हैं,*
उन्होंने कहा कि जहां बुजुर्गों का सम्मान होता है उस घर का,समाज का व राष्ट्र का भी सदैव सम्मान होता है।
कल दिनांक 5 अगस्त की प्रवचन सभा विशेष रूप से बच्चों व युवाओं पर केन्द्रित होगी!
आगरा दिगम्बर जैन परिषद ने सभी परिवारों से अपने बच्चों व युवाओं को धर्म सभा मे लाने हेतू अपील की है।