25.06.2018 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 25.06.2018
Updated: 26.06.2018

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Why doctor's don't recommend plant-based diet.

Full interview here: http://bit.ly/2vtCkwj

आज नारेली तीर्थक्षेत्र में सुबह से सन्नाटा-सा पसरा पड़ा है। जगत्पूज्य मुनि सुधासागर जी के विहार के पश्चात पूरे ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र में अघोषित उदासी और शान्ति छाई हुई है।

अपने गुरूवर को देखते ही एक साथ चहचहाने वाले पक्षियों का कलरव आज धीमा हो गया है। प्रतिदिन की तरह आज भी यहां हवाएँ तो चल रही है, मगर मानो निस्तेज सी हो गई हैं। होंगी भी क्यों नहीं, अपने गुरूवर को छूकर जाने का सौभाग्य जो चला गया। वह स्थान, जहाँ बैठकर गुरूवर मंगल प्रवचन किया करते थे, वहाँ अभी भी ऐसा लग रहा है,जैसे अभी-अभी गुरूवर आएंगे और फिर से मंगल देशना होगी।
*गौशाला से रंभाती हुई गायों की आवाज में आज रूदन स्पष्ट सुनाई पड़ रहा है मानो वे समझ चुकी हो कि उनके बाल- गोपाल अब यहां से जा चुके हैं। प्रतिदिन सवेरे -सवेरे जब मुनिवर शौच के लिए जाते, तो अपना कुछ समय गौशाला की गायों के लिए निकालना नहीं भूलते।*

वह भूमि जिस पर रोज-रोज गुरूवर विचरण करते थे, वह यद्यपि ग्रीष्म ऋतु में उष्ण से उष्णोत्तर होती जा रही थी, किन्तु गुरूवर के चरणों को पाकर स्वयं को धन्य कह रही थी। इधर इन्द्र देवता आतुर थे कि कब बरखा रितु आए और रिमझिम बरस कर भूमि की तपन को शान्त करें मगर इससे पहले ही निर्मोही गुरूवर ने यहां से विहार कर दिया।
*यूं तो प्रतिदिन की भाँति आज भी मुनिसुव्रतनाथ भगवान पर शान्तिधारा हुई है, किन्तु पूज्य मुनिपुंगव के श्री मुख से उच्चारित होने वाली शान्तिधारा आज भी यहां श्रावकों के कान में गुंजायमान हो रही है।*
आज सूर्योदय से पूर्व पूज्य मुनिवर ने जब अपने इष्ट भगवान को परोक्ष में नमोस्तु निवेदित किया तो उस वक्त पूज्य मुनिवर की आँखों में तो नमी थी ही, वहां उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालुओं की आँखे भी नम हो गई।
वे जगत्पूज्य सुधासागर जी ऋषिराज ही हैं, जिन्होने मुनिसुव्रतनाथ भगवान की महिमा को जाना, और सारे विश्व को इस बात से अवगत कराया कि अगर हमारा श्रद्धान दृढ़ हो तो आज भी जिनेन्द्र देव की प्रतिमाओं में अतिशय भरा पड़ा है।

लगभग छ: मास के मुनिवर के प्रवास में लाखों लाख श्रद्धालुओं ने मुनिसुव्रतनाथ भगवान पर अभिषेक एवम् शान्तिधारा करके एक कीर्तिमान कायम किया।
ऱाजस्थान की धरा पर अनेक तीर्थों का जीर्णोद्धार करने वाले पूज्य गरूवर ने अपने इस प्रवास में नारेली को भी अनेक सौगातें दी है। नन्दीश्वर दीप जिनालय, तीस चौबीसी के बहत्तर जिनालय, समवशरण मंदिर, गुफा मंदिर जैसी वृहद योजनाएं शीघ्र साकार होने जा रही हैं। आश्चर्य न होगा, यदि ज्ञानोदय तीर्थ भविष्य में लघु सम्मेदशिखर का रूप ले ले तो..!!

*ऐसे ज्ञानोदय तीर्थ के जन्मदाता जगत्पूज्य- सुधासागर जी ऋषिराज सदैव जयवंत रहे।*
नमोस्तु भगवन..!! 👏🏻👏🏻👏🏻

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#दान का पैसा हमें शीघ्र ही चुकाना चाहिए -आचार्यश्री

आचार्यश्री ने कहा कि जब आप लाइन में लगे हुए बहुत सारे बल्ब देखते हैं बटन दबाते ही एक ही बल्ब जल जाता है। जब हम सोचते तो लगता है कि कुछ तो कहीं है। जिसका बटन दबाने में उसके रिऋधन में हलचल होती है। वहां पर दोनों का संबंध वायर से जुड़ा होता है। जिसमें वे कनेक्ट होते हैं उसकी लाइट जल जाती है। जिसमें कनेक्शन नहीं होता है उसकी लाइट नहीं जलती है। आचार्यश्री ने कहा सिर्फ बल्ब को लटकाने से ही लाइट नहीं जलती हम जितने ज्यादा पावर का बल्ब लगाएंगे बिजली का बिल ही उतना ज्यादा आएगा। आचार्यश्री ने कहा यह निर्जरा का संबंध लेन-देन का सवाल होता है। हां हां कहने से कर्मों की निर्जरा नहीं होती।

दान का पैसा हमें शीघ्र ही चुकाना चाहिए: हम एक श्रीफल में सैकड़ों लोग हाथ लगाकर उस श्रीफल को समर्पित कर देते हैं तो श्रीफल जिसका है वह सोचता है यह तो हमारा था। हमको इसका पुण्य मिलेगा कि नहीं आचार्य कहते हैं हम चढ़ाते हैं। भावों का आरोहण करते हैं। देखकर के भाव से ज्यादा भी बढ़ जाते हैं। कभी-कभी बोलिया तो लोग ले जाते हैं। फोन करके पत्र के द्वारा सूचना देनी पड़ती है। आपने बोली ली थी तो वह ज्यादा दिन बाद तो भूल भी जाते हैं। इस प्रकार हम दान करें तो हमको दान का पैसा शीघ्रातिशीघ्र चुकाना चाहिए। इस प्रकार भाव के साथ द्रव्य द्रव्य के साथ भाव प्रफुल्लित हो जाते हैं। करंट प्रवाहित होते ही बल्ब जल जाता है। भावों को हमेशा बनाए रखना चाहिए।
सौधर्म इंद्र तांडव नृत्य करता हैवहां पुष्प वृष्टि होती है

मुनि महाराज के आहार होते रहते हैं सौधर्म इंद्र तांडव नृत्य करता है। वहां पर पुष्प वृष्टि होती है। गंधोदक वृष्टि होती है रत्नों की वृष्टि भी होती है। एक कार्य का अनुमोदन करना मन वचन काया से करना चाहिए। जैसे हमने किया सबको मिले भावो की महत्वता बनी रहे। आप करंट को हमेशा प्रभावित होने दें। अपने बल्ब को अच्छे से रखिए। कहीं बल्ब फ्यूज ना हो जाए। जब भी दूसरा बल्ब को लाओ तो देख कर लाना चाहिए। कभी-कभी बटन को बार-बार दबा देते बटन भी ढीला हो जाता है तो भी बल्ब नहीं जलता हम इन सब सिद्धांतों से अवगत होते हुए करंट को प्रभावित करना चाहिए।

संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी

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