04.06.2018 ►Acharya Shri Gyan Sagar Ji Maharaj Ke Bhakt ►News

Published: 04.06.2018
Updated: 05.06.2018

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बबीना में सिद्धचक्र महामंडल विधान का पांचवा दिन..

पावन सानिध्य: परम पूज्य सराकोद्धारक आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी मुनिराज

प्रातः काल श्री जी का अभिषेक, शांतिधारा पश्चात संगीत की स्वर लहरी के साथ सभी इंद्र- इंद्राणीयों ने प्रभु की पूजन कर विधान का शुभारंभ किया।

तदंतर पूज्य आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा कि व्यक्ति सुबह से रात्रि तक बहुत सारी गलतियां करता है बहुत सारे अपराध करता है, दूसरों से कराता है तथा करते हुए की अनुमोदना करता है।
मन का अपराध मन में बुरे भावना ना दूसरों को गिराने की भावना लाना दूसरों के हारने के भाव लाना यह सभी मन का अपराध है।

वचन का अपराध खोटे वचन, कठोर वचन, निंदा वाले वचन बोलना यह सभी वचन का अपराध है।

शरीर का अपराध शरीर से गलत करना, बुरी प्रवृत्ति करना, हिंसा करना आदि शरीर का अपराध है।

जीवन में अच्छे कार्य करने का मन में लक्ष्य बनाना समरंभ है। लक्ष्य के अनुसार सामग्री एकत्रित करना समारंभ है।
लक्ष्य के अनुसार कार्य प्रारंभ कर देना आरंभ है।

मोदी परिवार ने बहुत दिन पहले विधान कराने का भाव बनाया जिस दिन से यह बनाया उसी दिन से पुण्य परमाणु उनकी झोली में आना प्रारंभ हो गए, आप अगर अच्छा कार्य नहीं कर सकते तो करते हुए की अनुमोदना अवश्य करना चाहिए।

बुरे कार्य को ना स्वयं करें ना दूसरों से कराएं ना करते हुए की अनुमोदना करें। अगर कुछ करना ही है तो अच्छे कार्य करो बुरे कार्य मत करो।

प्रत्येक गृहस्थ व्यक्ति को कम से कम एक णमोकार मंत्र की माला अवश्य करनी चाहिए ताकि 108 द्वारों से आने वाले कर्म रुक जाएं।

माला के समय मन स्थिर रखने की साधना करें अगर एक दाने पर भी आपका मन स्थिर हो जाता है तो असंख्यात कर्मों की निर्जरा हो जाती है।

अतः आपसे माला फेरे साथ ही अपने बच्चों को भी माला फेरना सिखाएं ताकि पापकर्म क्षय को प्राप्त हो।

शाम को गुरुभक्ति आचार्य भक्ति के पश्चात श्री जी की आरती संगीत की स्वर लहरी के साथ हुई। प्रवचन के बाद सही उत्तर देने वालों को पुरस्कार प्रदान किए गए।
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