18.12.2017 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 18.12.2017
Updated: 19.12.2017

Update

देव शास्त्र गुरु के विहार की शृंखला में पंच ऋषी राज के चरण पड़ने से विश्व प्रसिद्ध तीरथगढ़ जलप्रपात का नाम हुआ सार्थक

*सघन वन क्षेत्र में वृहद धर्म प्रभावना*

*जगदलपुर से गीदम की ओर वात्सल्य दिवाकर मुनिश्री योगसागर जी ससंघ पांच मुनिराजों का विहार प्रतिष्ठित जिनप्रतिमा के साथ चल रहा है इसी क्रम में संघ का विहार सघन वनक्षेत्र कांगेर घाटी नेशनल पार्क में प्रविष्ठ हो चुका है कल की आहारचर्या विश्वप्रसिद्ध तीरथगढ़ जलप्रपात के सम्मुख स्थित गेस्ट हाउस में सम्पन्न होने जा रही है,,

*सघन वन क्षेत्र में महती धर्म प्रभावना हो रही है,, वनवासी दिगम्बर मुद्रा को देख नतमस्तक हो रहे है,,एवं मुनिराज उन्हें आशीर्वाद दे मद्य मांस के त्याग की प्रेरणा दे रहे है*

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News in Hindi

वह गीत जो आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ने ब्रह्मचारी अवस्था में लिखा था सच में आचार्यश्री बचपन से ही अद्भुत प्रतिभा के धनी थे तब आचार्यश्री टूटी-फूटी हिंदी बोल पाते थे। आचार्य श्री देशभूषण महाराज संघ का विहार चूलगिरी से श्रवणबेलगोल के लिए निर्विघ्न चल रहा था । विद्याधर कहार बने डोली उठा रहे थे श्रवणबेलगोल के निकट यात्री दल पहुँचा,सर्पीली पहाड़ियां, दुर्गम चढ़ाई, देवदारुओं का सघन वन, दूर दूर तक कोई बस्ती नहीं। कहार हाँफने लगे हय्या हय्या करने लगे। युवा विद्याधर के कंठ से एक मधुर गीत झरने लगा

अर्हत् राम, रमैया
हैया हो रे, हैया
मेरे अर्हत् पावन हैं
करुणा के वे सावन है
जन्म मृत्यु के दोनों तट से
पार लगाते नैया
अर्हत् राम, रमैया
हैया हो रे, हैया
मिट्टी के घर मे बैठे है
अजर-अमर अविनाशी
बंद पिंजरा, पंख शिथिल हैं
और चेतन प्यासी
जल पोखर में डूब रहा है
सागर का तैरैया
अर्हत् राम, रमैया
हैया हो रे, हैया
मिट्टी सान रही मिट्टी को
शाख- शाख पर डोल रहा है
मिला न कोई सहारा
सुख के सारे दाने चुग गई
देखों रे काल चिरैया
अर्हत् राम, रमैया
हैया हो रे, हैया
आती, जाती सांसों के संग
एक मुसाफिर ठहरा
बाहर देखा घात लगाये
मरण दे रहा पहरा
सूरज डूबा, तत्क्षण जाना
चलने लगी पुरवैया
अर्हत् राम, रमैया
हैया हो रे, हैया

आचार्य श्री देशभूषण जी ने यह आध्यत्म गीत,सुना तो वह मुग्ध हो गए। उन्होंने स्नेह भरे स्वर में कहा, " तेरा कंठ तो बड़ा मधुर है, कहाँ से सीखा, यह आध्यत्मिक गीत" विद्या ने कहा, " गुरुदेव! सब आपका आशीर्वाद।"

*📖 ज्योतिर्मय निर्ग्रन्थ पुस्तक से साभार📖*

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