ShortNews in English
Jasol: 03.10.2012
Acharya Mahashraman was speaking on world non-violence day and he told that Mahatma Gandhi followed way of non-violence. Non-violence can be applied in all field of life including politics and Mahatma Gandhi proved this thing.
News in Hindi
'गांधीजी के जीवन में थी अहिंसा की साधना' -आचार्य श्री
जसोल (बालोतरा) ०३ अक्तूबर २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
अहिंसा के पुजारी आचार्य महाश्रमण ने विश्व अहिंसा दिवस पर कहा कि हर प्राणी को अपने समान समझना चाहिए। व्यक्ति स्वयं के समान अन्य प्राणियों की प्रावधारा को समझे। व्यक्ति जिस हिंसा को करने से बच सकता है, उससे बचने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि साधु के लिए अहिंसा महाव्रत होता है। साधु का चलना, साधु का जीवन अहिंसामय होना चाहिए। आचार्य ने कहा कि अहिंसा के पुजारी साधु के दर्शन से अहिंसा, संयम, तपस्या की प्रेरणा मिल सकती है। ऐसे साधु की उपासना भी अच्छी बात है। जैन साध्वाचार में अहिंसा पर विशिष्ट ध्यान दिया गया है। आदमी शरीर, मन व वाणी से हिंसा कर लेता है। आदमी मानसिक हिंसा से बचने का प्रयास करें। मानसिक हिंसा सबसे खराब है। मानसिक हिंसा से वाचिक व कायिक हिंसा भी हो सकती है। आदमी का मन व भाव बंधन या मुक्ति का कारण है।
आचार्य ने विश्व अहिंसा दिवस पर राष्ट्रपति महात्मा गंाधी को याद करते हुए कहा कि गांधीजी के जीवन में अङ्क्षहसा व अध्यात्म की साधना थी। यह भारत का सौभाग्य था कि गांधी जैसा महापुरुष भारतभूमि पर पैदा हुआ। गांधीजी इंद्रिय जयी का अभ्यास करने वाले, एक साधक, एक मनस्वी व्यक्ति थे। गांधीजी का जीवन पे्ररणादायी है।
हिंसा से बचने का उपदेश गांधीजी के जीवन व दर्शन से पाया जा सकता है। देश की आजादी के प्रयास में उन्होंने अहिंसा को ही रखा। आचार्य ने प्रेरणा देते हुए कहा कि व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में राजनीति में, अर्थनीति में, धर्मनीति में, कर्मनीति में, पारिवारिक संंदर्भ में, समाजनीति में, राष्ट्र व्यवस्था में सभी जगह अङ्क्षहसा आधारित शैली अपनाएं। व्यक्ति के भाव व मन हिंसा की जड़ है। इसको खत्म करने के लिए चिंतन-मंथन की अपेक्षा है। गृहस्थ विवेक रखकर अहिंसा का दीपक हिंसा के अंधकार में जला सकता है। इससे पूर्व मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि व्यक्ति जागरूकता रखकर अहिंसा की साधना कर सकता है। कार्यक्रम का संचालन मुनि हिमांशुकुमार ने किया।
विश्व अहिंसा दिवस पर अहिंसा के पुजारी का उद्बोधन