19.03.2012 ►Marwar Junction ►Addiction Free Society is Purpose of Ahimsa Yatra► Acharya Mahashraman

Published: 19.03.2012
Updated: 21.07.2015

ShortNews in English

Marwar Junction: 19.03.2012

Acharya Mahashraman addressed press conference. He explained purpose of Ahimsa Yatra. Communal Amity, Morality in Society, Addiction free Society and Stopping of Feticide killings are main four purpose of Ahimsa Yatra.

News in Hindi

नशामुक्त हो मानव जीवन: महाश्रमण

Source: | Last Updated 01:19(19/03/12) Jain Terapnth News



मारवाड़ जंक्शन १९ मार्च जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो

सूर्यनगर गांव में विधायक केसाराम चौधरी के निवास पर तेरापंथ के आचार्य महाश्रमण ने प्रेस वार्ता में कहा कि अहिंसा यात्रा के मूल चार उद्देश्य नशा मुक्त मानव जीवन, कन्या भू्रण हत्या का विरोध, समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द बढ़े व समाज नैतिकता के रास्ते पर चले हैं। इन्हीं उद्देश्य से अहिंसा यात्रा प्रारंभ की गई है। अब तक करीब तीस हजार व्यक्तियों ने इस यात्रा में नशा मुक्ति का संकल्प लिया है। मानव को जीवन में जीव दया करनी चाहिए। आचार्य श्री ने बताया कि आगामी चातुर्मास जसोल में है। मुनि जिनेश की सवा आठ वर्ष की महाराष्ट्र यात्रा पर उन्होंने कहा कि यात्रा में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी वर्ग के लोगों ने नशामुक्ति को अपनाया है।

अपनी जीवन यात्रा की बारे में आचार्य श्री ने कहा कि में अपने जन्म नाम से मात्र 12 वर्ष जाना गया। इसके बाद मेरे जीवन का विकास,उत्थान हुआ। कभी कुछ कठिनाई भी आई तो साधना से हल हो गई। संसार के प्रत्येक मानव को मेरा यही संदेश है कि वे प्रेम, शंाति, सौहार्द, नैतिकता से रहे। इस प्रकार के वातावरण से मानव जीवन का कल्याण होगा। प्रेस वार्ता के समय भाजपा जिलाध्यक्ष महेन्द्र बोहरा, मंडल अध्यक्ष सवाई सिंह राजपुरोहित,जिला महामंत्री सुमेर सिंह,जिला अध्यक्ष महिला मोर्चा अनसूया चारण सहित श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।
राग-द्वेष का त्याग करें: आचार्य महाश्रमण: मारवाड़ जंक्शन कस्बे के गंगानगर कालोनी में जैन तेरापंथ के आचार्य महाश्रमण ने मंगल प्रवचन देते कहा कि जो मानव राग-द्वेष का त्याग करता है, वह शांति को प्राप्त करता है। साथ ही मानव को ईष्र्या तथा मन की चंचलता से भी बचना चाहिए। मन की चंचलता से ही राग-द्वेष उत्पन्न होते हैं। राग-द्वेष को जीत लिया तो जीवन सफल हो जायेगा। इस संदर्भ में उन्होंने महामना भिक्षु का उदाहरण देते हुए भयमुक्त रहने की सीख दी। तेरापंथ के महामना आचार्य भिक्षु उत्तम श्रेणी के व्यक्ति थे जिन्होंने विषम परिस्थितियों में धर्मसंघ को खड़ा किया। मानव से भूल हो जाती है परन्तु भूल को दोहराना नहीं चाहिए।

धर्म का भी यही संदेश है कि अधिक धन तथा धन की कमी दोनों ही कष्टदायक है।
अध्यात्म की राह पर चल कर ही शांति को प्राप्त किया जा सकता है।

Sources

ShortNews in English:
Sushil Bafana

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