Posted on 30.09.2020 22:03
🧘♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘♂🙏 #आचार्य श्री #महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रदत मौलिक #प्रवचन
👉 *#स्थूल शरीर का आध्यात्मिक मूल्यांकन* : *#श्रृंखला १*
एक #प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लें।
देखें, #जीवन बदल जायेगा, जीने का #दृष्टिकोण बदल जायेगा।
प्रकाशक
#Preksha #Foundation
Helpline No. 8233344482
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🌻 #संघ #संवाद 🌻
📍 *जैन विश्व भारती का निर्वाचन सम्पन्न*
🤍
*श्री मनोज लूनिया अध्यक्ष*
एवं
*श्री अमरचंद लुंकड़ मुख्य न्यासी*
🤍
*न्यास मण्डल एवं पंच मण्डल की सूची*
प्रस्तुति : 🌻 *संघ संवाद* 🌻
🤍
*श्री मनोज लूनिया अध्यक्ष*
एवं
*श्री अमरचंद लुंकड़ मुख्य न्यासी*
🤍
*न्यास मण्डल एवं पंच मण्डल की सूची*
प्रस्तुति : 🌻 *संघ संवाद* 🌻
📍 *जैन विश्व भारती का निर्वाचन सम्पन्न*
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*श्री मनोज लूनिया अध्यक्ष*
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प्रस्तुति : 🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 यशवंतपुर (बेंगलुरु) ~ पर्यावरण शुद्धि दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
👉 हिसार ~ जीवन विज्ञान दिवस कार्यक्रम का आयोजन
👉 जीन्द ~ प्रेक्षा दिवस कार्यक्रम का आयोजन
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प्रस्तुति - 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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प्रस्तुति - 🌻 *संघ संवाद* 🌻
Posted on 30.09.2020 13:21
📍 *श्री प्रकाश जी बैद पुन: अमृतवाणी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत .......*प्रस्तुति : 🌻 *संघ संवाद* 🌻
Posted on 30.09.2020 12:03
🦚🦚🦋🦚🦚🦋🦚🦚🦋🦚🦚🌳 _*महाश्रमण वाटिका, शमशाबाद, हैदराबाद*_
🏮 *_मुख्य प्रवचन कार्यक्रम_* _की विशेष_
*_झलकियां_ ----------*
🟢 *_विशेष - अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह_*
*_नशामुक्ति दिवस................_*
⏰ _दिनांक_ : *_30 सितंबर 2020_*
🧶 _प्रस्तुति_ : *_संघ संवाद_*
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🦚🦚🦋🦚🦚🦋🦚🦚🦋🦚🦚
🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹
शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।
🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞
📜 *श्रृंखला -- 386* 📜
*श्रीमद् जयाचार्य*
*महान् साहित्य-स्रष्टा*
*साहित्य-परिशीलन*
*आख्यान*
जयाचार्य एक महान् प्रज्ञा-पुरुष थे। उनकी प्रज्ञा का प्रकाश जीवन के हर क्षेत्र में प्रदीप्त दिखाई देता है। उन्हें सूक्ष्म तत्त्वों के विश्लेषण में जो क्षमता प्राप्त थी, वही स्थूल व्यवहारों के विश्लेषण में भी थी। वे आगमिक भाषा में बोलते थे, वहां कहानी की भाषा का प्रयोग भी धड़ल्ले से करते थे। वे विद्वानों के लिए भगवनी जैसे गहन आगम पर भाष्य (जोड़) लिखते थे तो साधारण जनता को उपदिष्ट करने के लिए आख्यानों की रचना भी करते थे। रागिनियों के तो वे भांडागार थे। एक-दो बार सुन लेने मात्र से ही राग उनके कठों में बैठ जाती थी। स्त्रियां रात्रि-जागरण करतीं तब रागों को सुनने के लिए जयाचार्य भी एक प्रकार का रात्रि-जागरण कर लिया करते थे। गीत चाहे विवाह के गाये जाते हों या तपस्या के, प्रायः उनका ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कर ही लिया करते थे। डोमों एवं भाटों तक से वे रागों के विषय में पूछताछ करते रहते थे।
आगमों की जोड़ों में संदृब्ध आख्यानों के अतिरिक्त जयाचार्य द्वारा रचित 20 अन्य आख्यान भी उपलब्ध हैं। रससिक्त भाषा और सरस कथानक का मणि-कांचन योग जयाचार्य की आख्यानात्मक रचनाओं में सर्वत्र उपलब्ध है। यहां कुछ आख्यानों का विहंगावलोकन प्रस्तुत है। 'सुरसुंदर-दवदंती' के आख्यान में दोहद-पूर्ति के लिए देव द्वारा की गई वर्षा का वर्णन इस प्रकार किया गया है—
*वैक्रिय सुरवर कीध,*
*पचरंग बादल हो नभ रळियामणो।*
*घोट घटा घन गाज,*
*बीजल चमकै हो मेह बरसै घणो।।*
*प्रगटी पावस ऋतु,*
*मोर नाचता हो शब्द करै घणा।*
*हंस सारस चक्रवाक,*
*विविध पंख्यां नां हो शब्द सुहामना।।*
*विविध रंग इन्द्रगोप,*
*गंध ध्वनि मूकै हो तरु फलिया फूलिया।*
*हरित द्रोव कंचूक,*
*पृथ्वी रूपी स्त्री हो जाणक पहरिया।।*
जयाचार्य ने यहां मेघ और उसके साथ उत्पन्न होने वाली स्थितियों का सुंदर चित्र खींचा है। घटा का गाजना, बिजली का चमकाना, मोरों का नाचना तथा हंस आदि विभिन्न पंखियों का मधुर शब्दों द्वारा जन-मन को प्रीणित करना आदि सभी कार्य स्वाभाविक होते हुए भी जयाचार्य के शब्द-शिल्प का एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। अच्छी वर्षा का सूचक मखमली इन्द्रगोप, फूले-फले वृक्षों की सुगंध एवं मर्मर ध्यान तथा हरित् दूर्वा की कंचुकी पहिने पृथ्वी— ये सभी वातावरण में एक स्निग्धता भरते प्रतीत होते हैं।
*श्रीमद् जयाचार्य ने कामांध व्यक्तियों की मनोदशा का वर्णन किस प्रकार कर रहे हैं...?* जानेंगे... और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।
🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞
📜 *श्रृंखला -- 386* 📜
*श्रीमद् जयाचार्य*
*महान् साहित्य-स्रष्टा*
*साहित्य-परिशीलन*
*आख्यान*
जयाचार्य एक महान् प्रज्ञा-पुरुष थे। उनकी प्रज्ञा का प्रकाश जीवन के हर क्षेत्र में प्रदीप्त दिखाई देता है। उन्हें सूक्ष्म तत्त्वों के विश्लेषण में जो क्षमता प्राप्त थी, वही स्थूल व्यवहारों के विश्लेषण में भी थी। वे आगमिक भाषा में बोलते थे, वहां कहानी की भाषा का प्रयोग भी धड़ल्ले से करते थे। वे विद्वानों के लिए भगवनी जैसे गहन आगम पर भाष्य (जोड़) लिखते थे तो साधारण जनता को उपदिष्ट करने के लिए आख्यानों की रचना भी करते थे। रागिनियों के तो वे भांडागार थे। एक-दो बार सुन लेने मात्र से ही राग उनके कठों में बैठ जाती थी। स्त्रियां रात्रि-जागरण करतीं तब रागों को सुनने के लिए जयाचार्य भी एक प्रकार का रात्रि-जागरण कर लिया करते थे। गीत चाहे विवाह के गाये जाते हों या तपस्या के, प्रायः उनका ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कर ही लिया करते थे। डोमों एवं भाटों तक से वे रागों के विषय में पूछताछ करते रहते थे।
आगमों की जोड़ों में संदृब्ध आख्यानों के अतिरिक्त जयाचार्य द्वारा रचित 20 अन्य आख्यान भी उपलब्ध हैं। रससिक्त भाषा और सरस कथानक का मणि-कांचन योग जयाचार्य की आख्यानात्मक रचनाओं में सर्वत्र उपलब्ध है। यहां कुछ आख्यानों का विहंगावलोकन प्रस्तुत है। 'सुरसुंदर-दवदंती' के आख्यान में दोहद-पूर्ति के लिए देव द्वारा की गई वर्षा का वर्णन इस प्रकार किया गया है—
*वैक्रिय सुरवर कीध,*
*पचरंग बादल हो नभ रळियामणो।*
*घोट घटा घन गाज,*
*बीजल चमकै हो मेह बरसै घणो।।*
*प्रगटी पावस ऋतु,*
*मोर नाचता हो शब्द करै घणा।*
*हंस सारस चक्रवाक,*
*विविध पंख्यां नां हो शब्द सुहामना।।*
*विविध रंग इन्द्रगोप,*
*गंध ध्वनि मूकै हो तरु फलिया फूलिया।*
*हरित द्रोव कंचूक,*
*पृथ्वी रूपी स्त्री हो जाणक पहरिया।।*
जयाचार्य ने यहां मेघ और उसके साथ उत्पन्न होने वाली स्थितियों का सुंदर चित्र खींचा है। घटा का गाजना, बिजली का चमकाना, मोरों का नाचना तथा हंस आदि विभिन्न पंखियों का मधुर शब्दों द्वारा जन-मन को प्रीणित करना आदि सभी कार्य स्वाभाविक होते हुए भी जयाचार्य के शब्द-शिल्प का एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। अच्छी वर्षा का सूचक मखमली इन्द्रगोप, फूले-फले वृक्षों की सुगंध एवं मर्मर ध्यान तथा हरित् दूर्वा की कंचुकी पहिने पृथ्वी— ये सभी वातावरण में एक स्निग्धता भरते प्रतीत होते हैं।
*श्रीमद् जयाचार्य ने कामांध व्यक्तियों की मनोदशा का वर्णन किस प्रकार कर रहे हैं...?* जानेंगे... और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
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🧘♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘♂
🙏 #आचार्य श्री #महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रदत मौलिक #प्रवचन
👉 *#प्रेक्षावाणी : श्रंखला - ५१२* ~
*#शारीरिक #स्वास्थ्य और #प्रेक्षाध्यान - १०*
एक #प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लें।
देखें, जीवन बदल जायेगा, जीने का दृष्टिकोण बदल जायेगा।
प्रकाशक
#Preksha #Foundation
Helpline No. 8233344482
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https://www.facebootk.com/SanghSamvad a/
🌻 #संघ #संवाद 🌻
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Posted on 30.09.2020 07:41
🧩 *नवीन उद्घोषणा..........*_________________________
◆ दिनांक 28 - 09 - 2020
प्रस्तुति : 🌻 *संघ संवाद*🌻
🧘♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘♂
🙏 #आचार्य श्री #महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रदत मौलिक #प्रवचन
👉 *#प्रेक्षावाणी : श्रंखला - ५११* ~
*#शारीरिक #स्वास्थ्य और #प्रेक्षाध्यान - ९*
एक #प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लें।
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*#शारीरिक #स्वास्थ्य और #प्रेक्षाध्यान - ९*
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