Posted on 06.08.2020 20:36
🌸 *सही ज्ञान के लिए योग्य शिक्षक जरूरी : आचार्य महाश्रमण* 🌸🌸 *ठाणं व्याख्यान माला के अन्तर्गत पूज्य प्रवर ने बताया भाषा का महत्व* 🌸
*6 अगस्त 2020, गुरुवार, महाश्रमण वाटिका, हैदराबाद*
तीर्थंकर प्रभु महावीर के प्रतिनिधि ,तेरापंथ के ग्यारहवें अधिशास्ता पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी ने आज यहां शमशाबाद स्थित महाश्रमण वाटिका के कल्पतरु में जैन आगम ठाणं प्रवचन माला के अन्तर्गत सात स्वरों की व्याख्या करते हुए कहा कि सात स्वर बताए गए हैं, षड्ज, ऋषभ,गांधार, मध्यम,पंचम,धैवत, निषाद। इन सात स्वरों को याद रखने का एक माध्यम है – स रि ग म प ध नि – ये सात स्वरों के प्रारम्भिक अक्षर है | व्यक्ति को भाषा गायन के व्यावहारिक तथ्यों के बारे में भी विचार करना चाहिए | एक स्वर मधुर, कर्णप्रिय होता है जबकि दूसरा कानों को अच्छा न लगने वाला | उसमें ध्यान देने योग्य जो बातें है वे – कंठ अच्छा हो लेकिन यह सबको नहीं मिलता, लेकिन लय बद्धता का तो ध्यान रखा ही जा सकता है। कौनसा गीत कब गाया जाय इसका ध्यान भी रहना चाहिए , गीत के बोल व भाव अवसर के अनुरूप हो | परम पूज्य गुरुदेव तुलसी को स्वरों व गायन कला का बड़ा ज्ञान था | कंठ कला के साथ पुरानी धुनों व पारम्परिक लयों का भी पूरा ज्ञान था, रूचि भी थी व वे उन्हें गाते भी थे | रामायण का व्याख्यान उनका अद्भुत होता व सब बड़े चाव से सुनते | मुझे भी रामायण की धुनों का पूज्य गुरुदेव से शिक्षण पाने का सौभाग्य मिला | गुरुदेव जेसे अच्छे शिक्षक हो तो अच्छा शिक्षण मिल सकता है | व्यक्ति का उच्चारण सही व स्पष्ट होना चाहिए | नाक से बोलना, गाना भी भाषा की गरिमा को घटा देता है | इसमें हर्श्व-दीर्घ, अनुस्वार-विसर्ग,संयुक्त अक्षर आदि का भी ध्यान रखना जरूरी होता है | वाहन भी अच्छा हो व चालक भी अच्छा तो मंजिल आसानी मिल जाती है | शब्द एक वाहन है अर्थ का, शब्द ठीक होगा तो अर्थ का बोध हमें ठीक होगा।इसलिए उच्चारण हमारा जितना शुद्ध होगा,उतना ही अच्छा होगा। हम यह भी ध्यान दे कि नमस्कार महामंत्र व लोगस्स का हमारा उच्चारण कैसा है, वह शुद्ध होना चाहिए। हमें संस्कृत, प्राकृत भाषा को पहले बड़ों से ग्रहण करके सही उच्चारण सीखना चाहिए फिर उसको कंठस्थ करना चाहिए। भाषा में आदमी का यह लक्ष्य रहना चाहिए कि में शुद्ध भाषा बोलू व मेरा उच्चारण शुद्ध होना चाहिए।धार्मिक मंत्रो व स्तोत्र का उच्चारण भी हमारा ठीक हो यह अपेक्षित है।
भाषा ठीक होने का मतलब है हमारा वाहन ठीक है। भाषा की शुद्धता का बड़ा महत्व है। हम इतनी बात को पकड़े कि हमारे गीत में भी लयबद्धता हो व उच्चारण की शुद्धि हो, इन चीजों का ध्यान दे तो हमारी भाषा की बाह्य शुद्धता व भाषा रूपी वाहन अच्छा रह सकता है।
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