इंदौर. मुख्यमंत्री कमलनाथ रविवार को आचार्य विद्यासागरजी महाराज से आशीर्वाद लेने पहुंचे। इस दौरान उनकी आचार्यजी से कई समसामयिक मुद्दों पर चर्चा हुई। आचार्यजी ने बातचीत में मुख्यमंत्री को कई सुझाव दिए। बातचीत के अंश...
मुख्यमंत्री: मध्याह्न भोजन में अंडा देने का अभी केवल प्रस्ताव हुआ है, इसे लागू नहीं किया है।
आचार्यश्री: यह तामसी भोजन होता है। तामसी भोजन बच्चों की बुद्धि को खराब करने वाला होता है। इसके बजाय कई प्रकार के आयुर्वेद गुणों वाले मगज का लड्डू बनाकर दें तो बुद्धि का विकास होगा। इससे शाकाहार का पालन भी होगा।
मुख्यमंत्री: मप्र बहुत बड़ा है। इतनी मात्रा में मिलेगा या नहीं, यह भी देखना पड़ेगा, पर इसे लागू करने का प्रयास करेंगे।
आचार्यश्री: आप समाजजनों को इससे जोड़ें, ताकि वे भी व्यवस्था में मददगार बनें।
मुख्यमंत्री: आप जब खजुराहो में विराजित थे, तब मैंने संकल्प जताया था कि जब भी हमें सेवा करने का मौका मिलेगा, गोसेवा के लिए काम करेंगे। अब इसे पूरा कर रहे हैं।
आचार्यश्री: गोशाला के साथ अब गो अभयारण्य को लेकर भी विचार करना चाहिए। सरकार के पास तो जमीनें होती हैं। चार-पांच स्थान ऐसे हैं, जहां अभयारण्य बन सकता है।
मुख्यमंत्री: इस पर प्रस्ताव बनाकर काम करेंगे।
आचार्यश्री: इसमें फंड की जरूरत हो तो कई लोग आगे आ सकते हैं। एक विषय हथकरघा का भी है। हाथ से बना कपड़ा स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है, पावरलूम का कपड़ा हानि पहुंचाता है।
मुख्यमंत्री: इसके लिए भी हम काम करने को तैयार हैं। कुछ लोग भोपाल आ जाएं, आगे की योजना बना लेंगे। एक आग्रह था। हर साल आपके नाम से गोसेवा के क्षेत्र में काम करने वालों को सम्मानित करते हैं। इस बार कार्यक्रम आपके सान्निध्य में करना चाहते हैं।
आचार्यश्री: आप समय-स्थान तय कर लीजिए।
मुख्यमंत्री: मध्याह्न भोजन में अंडा देने का अभी केवल प्रस्ताव हुआ है, इसे लागू नहीं किया है।
आचार्यश्री: यह तामसी भोजन होता है। तामसी भोजन बच्चों की बुद्धि को खराब करने वाला होता है। इसके बजाय कई प्रकार के आयुर्वेद गुणों वाले मगज का लड्डू बनाकर दें तो बुद्धि का विकास होगा। इससे शाकाहार का पालन भी होगा।
मुख्यमंत्री: मप्र बहुत बड़ा है। इतनी मात्रा में मिलेगा या नहीं, यह भी देखना पड़ेगा, पर इसे लागू करने का प्रयास करेंगे।
आचार्यश्री: आप समाजजनों को इससे जोड़ें, ताकि वे भी व्यवस्था में मददगार बनें।
मुख्यमंत्री: आप जब खजुराहो में विराजित थे, तब मैंने संकल्प जताया था कि जब भी हमें सेवा करने का मौका मिलेगा, गोसेवा के लिए काम करेंगे। अब इसे पूरा कर रहे हैं।
आचार्यश्री: गोशाला के साथ अब गो अभयारण्य को लेकर भी विचार करना चाहिए। सरकार के पास तो जमीनें होती हैं। चार-पांच स्थान ऐसे हैं, जहां अभयारण्य बन सकता है।
मुख्यमंत्री: इस पर प्रस्ताव बनाकर काम करेंगे।
आचार्यश्री: इसमें फंड की जरूरत हो तो कई लोग आगे आ सकते हैं। एक विषय हथकरघा का भी है। हाथ से बना कपड़ा स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है, पावरलूम का कपड़ा हानि पहुंचाता है।
मुख्यमंत्री: इसके लिए भी हम काम करने को तैयार हैं। कुछ लोग भोपाल आ जाएं, आगे की योजना बना लेंगे। एक आग्रह था। हर साल आपके नाम से गोसेवा के क्षेत्र में काम करने वालों को सम्मानित करते हैं। इस बार कार्यक्रम आपके सान्निध्य में करना चाहते हैं।
आचार्यश्री: आप समय-स्थान तय कर लीजिए।