23.01.2020 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 23.01.2020
Updated: 24.01.2020

Updated on 24.01.2020 10:45

👉 जीन्द - प्रेक्षा वाहिनी का शुभारंभ
👉 अहमदाबाद - अणुव्रत महासमिति द्वारा प्रदत प्रकल्प नशामुक्ति की क्रियान्विति
👉 पूर्वांचल कोलकाता ~ शारीरिक परीक्षण एवं जागरूकता शिविर का आयोजन
👉 टाँलीगंज ~ तेयुप द्वारा सेवा कार्य

प्रस्तुति - *🌻संघ संवाद🌻*

Photos of Sangh Samvads post

Updated on 24.01.2020 10:45

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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।

🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞

📜 *श्रृंखला -- 238* 📜

*आचार्यश्री रायचन्दजी*

*प्रभावशाली आचार्य*

*प्रार्थना और स्वीकृति*

आचार्य रायचन्दजी का शासन-काल उत्तरोत्तर विकासशील रहा। उसमें चतुर्विध धर्मसंघ की क्रमिक उन्नति होती रही। ऋषिराय ने अपना प्रथम चतुर्मास पाली में किया। फिर मारवाड़ के उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में विहरण करते हुए वे किसनगढ़ तक पधारे। वहां जयपुर से आकर महेशदासजी मूंथा आदि कई श्रावकों ने आचार्यश्री के दर्शन किये। महेशदासजी मूलतः किसनगढ़ के ही थे, परन्तु कालान्तर में जयपुर रहने लगे थे। वे कवि भी थे। उस समय गुरु-दर्शन की प्रसन्नता में वे एक गीतिका बनाकर लाये थे। उसमें जहां गुरु-दर्शन का उल्लास व्यक्त किया गया, वहां जयपुर पधारने की प्रार्थना भी की गई। उन्होंने उसे परिषद् में गाकर सुनाया। गीतिका का स्थायी पद अग्रोक्त था—

*आज रो दिहाड़ोजी भलाईं सूरज ऊगियो।*
*भेट्या निज गुरुदेव।*

महेशदासजी ने उस समय एक छप्पय छंद भी पढ़ा। उसमें कहा गया है कि जयपुर के जौहरी आपकी बाट देख रहे हैं। सन्तों के बिना वह क्षेत्र उसी तरह सूना है, जैसे वणिक् के बिना हाट— दुकान होती है। माल भी है, ग्राहक भी आते हैं, परन्तु मालिक के बिना माल कौन दे? ग्राहकों को खाली हाथ लौट जाना पड़ता है। इसलिए आप जयपुर पधारिये और अपनी दुकान संभालिये। वह छंद इस प्रकार है—

*जैपुर जंहुरी पूज की न्हाल रह्या छै बाट,*
*वो खेतर सूनो पर्यो ज्यूं बिना बाणिये हाट।*
*बिना बाणिये हाट, माट(ल?) पिण मालक नांही,*
*गाहक फिर-फिर जाय, धणी विण खबर न कांइ।*
*गाम-गाम ए चाहना, ठाम-ठाम ए थाट,*
*जैपुर जंहुरी पूज की न्हाल रह्या छै बाट।*

ऋषिराय ने जयपुर-वासियों की प्रार्थना स्वीकार की। उन्होंने विक्रम सम्वत् 1880 का अपना चतुर्मास जयपुर में किया। उसमें धर्म का अच्छा प्रचार-प्रसार हुआ। अनेक नये लोग तेरापंथी बने। मारवाड़, मेवाड़ तथा ढूंढाड़ के अनेक क्षेत्रों से काफी व्यक्ति दर्शनार्थ आये। मुनि वर्धमानजी ने वहां 43 दिनों का तिविहार तप किया। उससे भी धर्मसंघ की बहुत प्रभावना हुई।

*तपस्या-प्रेरक*

ऋषिराय के शासनकाल में संघ में तपस्या की बहुत वृद्धि हुई। अन्य तपस्याओं के अतिरिक्त उनके युग में 'आछ' के आगार पर होने वाली आठ षाण्मासिक तपस्याएं उल्लेखनीय हैं। संघ में इतनी लम्बी तपस्या होने का वह प्रथम अवसर ही था। तपस्या करने वालों को ऋषिराय अच्छा सहयोग प्रदान किया करते थे, अतः उनकी साधारण-सी प्रेरणा भी सन्त-सतियों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण बन जाया करती थी।

विक्रम सम्वत् 1883 के उदयपुर-चतुर्मास से पूर्व ग्रीष्मकाल में आचार्यश्री मोखणुंदा पधारे। वहां एक दिन तपस्या की बात चल पड़ी। आचार्यश्री ने फरमाया— 'कोई तपस्या करना चाहता हो तो उसके लिए यथासंभव अनुकूल व्यवस्था कर देने का विचार है।' आचार्यश्री की उक्त प्रेरणा से प्रेरित होकर तीन मुनियों ने परस्पर विचार-विमर्श किया और फिर आचार्यश्री के पास आकर बोले— 'गुरुदेव! आप जो फरमायेंगे वही तपस्या कर देने का भाव है।'

ऋषिराय ने फरमाया— 'यह तो तुम लोगों को ही सोच-समझकर निश्चित करना है कि किसे क्या तपस्या करनी है? मेरा काम तो केवल क्षेत्र तथा सहयोगी संतों की उपयुक्त व्यवस्था करना है।'

मुनि पीथलजी, मुनि वर्धमानजी और मुनि हीरजी— इन तीनों मुनियों ने तब अपने पूर्व निर्णयानुसार आछ और पानी के आगार से एक साथ षाण्मासिक तपस्या स्वीकार की। आचार्यश्री ने इन्हें चतुर्मास के लिए क्रमशः कांकरोली, केलवा और राजनगर क्षेत्र संभलाये। इनमें मुनि पीथलजी तो मुनि भीमजी (क्र. सं. 63) के साथ थे और शेष दोनों मुनि स्वयं अग्रणी थे। चतुर्मास की समाप्ति के साथ ही तीनों मुनियों की तपस्या पूर्ण होने वाली थी। तीनों ही चाहते थे कि उनकी तपस्या का पारण आचार्यश्री के हाथ से हो, इसीलिए उन्होंने अपनी तपस्या को आगे बढ़ाया।

ऋषिराय ने चतुर्मास संपन्न होते ही उदयपुर से विहार किया और यथाशीघ्र कांकरोली पधारे। वहां सर्वप्रथम मुनि पीथलजी को और फिर उसी दिन राजनगर पधारकर मुनि हीरजी को 186 दिनों की तपस्या का पारण करवाया। अगले दिन केलवा पधारे। वहां मुनि वर्धमानजी को 187 दिनों की तपस्या का पारण करवाया।

*ऋषिराय के शासनकाल में धर्मसंघ में आठ छहमासी तप हुए... उनका विवरण...* प्राप्त करेंगे... और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻

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Updated on 24.01.2020 10:45

*प्रेरणा पाथेय:-आचार्य श्री महाश्रमणजी - 23 January 2020, का वीडियो-प्रस्तुति~अमृतवाणी*

*संप्रसारक: 🌻संघ संवाद*🌻

Updated on 24.01.2020 10:45

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🏭 _*संस्कार इंग्लिश मीडियम स्कूल, हुब्बल्ली, (कर्नाटक)...........*_

📚 *_मुख्य प्रवचन कार्यक्रम_* _की विशेष_
*_झलकियां_ _________*

💦 *_परम पूज्य गुरुदेव_* _अमृत देशना देते हुए_

🌈🌈 *_गुरुवरो घम्म-देसणं_*

⌚ _दिनांक_: *_23 जनवरी 2020_*

🧶 _प्रस्तुति_: *_संघ संवाद_*

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🌸 *परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी की अहिंसा यात्रा* 🌸
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*(संभावित कार्यक्रम)*
*23 जनवरी 2020, गुरूवार*
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*प्रवास स्थल*
Sanskaar CBSE English Medium School.
Sanskaar Nagar, Kusugal Road,Opp- Oxford College Keshwapur, Hubli, Karnataka 580023
0836 221 6722
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*लोकेशन जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे*
https://maps.app.goo.gl/ed6oMCGFdUyTpK9z6
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*(संभावित यात्रा- 1.8 km*)
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*प्रस्तुति 🌻संघ संवाद*🌻


*प्रेरणा पाथेय:-आचार्य श्री महाश्रमणजी - 22 January 2020, का वीडियो-प्रस्तुति~अमृतवाणी*

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