21.12.2019 ►Acharya Shri Gyan Sagar Ji Maharaj Ke Bhakt ►News

Published: 25.12.2019
श्री पारसनाथ दिगंबर जैन कीर्ति नगर मंदिर में सराकोद्धारक आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी मुनिराज ससंघ के पावन सानिध्य में सी.ए. सम्मेलन

आचार्य श्री ज्ञानसागर जी मुनिराज ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी के अंदर वह प्रतिभा छपी हुई है जिसके प्रकट होने पर आप सभी इस देश का गौरव बढ़ा सकते हैं। आप में से कोई भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद, श्रवण कुमार जैसे बनकर देशभक्ति का परिचय आगे जा कर देंगे। मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई आप सभी के अंदर जैनत्व के चिन्हों के प्रति श्रद्धा आस्था देखकर। आप सभी का आभार कि फाइलें देखकर सभी को सही रास्ता दिखाते हैं, समाधान देते हैं। वहीं अपने अपने घरों की फाइलें भी देखें; बच्चे क्या कर रहे हैं, मां-पिता किसी परेशानी में तो नहीं है। अगर आप दस मिनट परिवार के लिए देते हैं, आपके घर स्वर्ग का रूप ले सकते हैं। आज आवश्यकता है संस्कारों के शंखनाद की, जैन कौन है? अकेले मात्र जैन कुल में जन्म लेने से आप जैन नहीं कहलाएंगे; आपके अंदर संस्कार होना चाहिए। इसी बात को भिन्न पंक्तियों में किसी कवि ने संजोया है
हर जान को जो एक समझे वह जैन है
इस जिंदगी के राज को समझे वह जैन है

जीव मात्र के प्रति, प्राणी मात्र के प्रति मैत्री का/ दया का भाव होना ही जैनत्व है। जीवों की रक्षा करने का भाव सभी के अंदर होना चाहिए। आप सभी व्यस्त होंगे फिर भी आप किसी ना किसी तरह समय निकालकर देव-शास्त्र-गुरु से जुड़ें, संस्कारों के शंखनाद के प्रति जागरूक रहें। 24 घंटे में अगर आस-पास मंदिर है तो अवश्य जाएं। जैन वर्कर अगर आप के साथ हैं तो उन्हें भी मंदिर जाने की प्रेरणा दें। आपस में एक दूसरे के लिए सहायता करें। अगर कोई गलती हो तो उसे सुधार का रास्ता बताएं। समाज का गौरव बढ़ाएं। कुछ ऐसा कार्य करके जाएं जिससे आपका नाम रोशन हो।

आप सभी भी जहां भी रहे ईमानदारी, प्रमाणिकता के साथ रहें। आप अपनी क्षमता को जगाएं। एक सूत्र में बंध कर रहें। अपने अंदर आत्मविश्वास जगाएं। मात्र बाहरी संसाधनों से आप महान नहीं कहलाएंगे, आप अपने अच्छे कार्यों से महानता हासिल करें। आप समाज के, समाज आपका, आपकी अनेक जिम्मेदारियां समाज के प्रति हैं। एक डायरेक्टरी तैयार करें जिसमें जयपुर के सीए की सूची हो। परिचय के मध्य ऐसा ज्ञात हुआ कि आप सभी एक सूत्र में बंधकर बहुत कुछ कर सकते हैं। सीनियर सीए की भी सूची हो ताकि उनका एक साल में सम्मान हो सके। सप्ताह में 15 दिन में थोड़ा-थोड़ा समय निकालकर आपस में मिले-जुले, चर्चा करें। भौतिक संसाधनों का सदुपयोग करें, दुरुपयोग एवं अति उपयोग ना करें।

पूज्य श्री के उद्बोधन से पूर्व ब्रह्मचारिणी अनीता दीदी ने संगठन का महत्व बताते हुए सभी को एक सूत्र में पिरोने हेतु प्रेरणा दी। सभी एकत्र होकर अपनी पहचान बनाएं। जब से आचार्य श्री का जयपुर में मंगल आगमन हुआ है, तब से सभी के अंदर नई चेतना जाग रही है। शीत लहरों के बीच भी आप सभी के अंदर उत्साह नजर आ रहा है, उससे लगता है कि आप सभी के अंदर श्रमण संस्कृति के प्रति श्रद्धा, आस्था है। आगे भी इसी तरह की श्रद्धा, आस्था आप सभी की देव-शास्त्र-गुरु के प्रति बनी रहे यही सद्भावना है।

पुलिस लाइन, दौसा में परम् पूज्य आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी मुनिराज का मंगल प्रवचन

पुलिस लाइन, दौसा में एस. पी. साहब श्री प्रहलाद कृष्ण पूनिया, डी. आई. जी. श्री अनिल जी ने भव्य स्वागत किया।

पुलिस लाइन दोसा में पुलिस अधिकारियों को संबोधित करते हुए आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा कि "आज अधिकांश हर व्यक्ति तनाव से ग्रसित है, अशांत है, तनाव से छुटकारा पाने हेतु आवश्यक है हर व्यक्ति अपने अंदर धर्म की ज्योति जलाए।
सभी पुलिस अधिकारी अनुशासन के साथ रहकर सभी को अनुशासित जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। इन अधिकारियों के अंदर देशभक्ति का भाव रहता है। भारतीय संस्कृति बलिदान, समर्पण, अहिंसा, दया, करूणा एवं आध्यात्मिक जीवन की संस्कृति है।"
"पुलिस अधिकारियों की इस देश की सुरक्षा के प्रति बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, अगर कोई अपराध करता है तो उन्हें उनके अपराधों का बोध कराना जहां संतों का कर्तव्य है, वहीं पुलिस अधिकारियों का भी कर्तव्य है। जब संतो के संकेत से व्यक्ति सुधार की तरफ नहीं बढ़ता तब पुलिस के हाथ की लाठी सुधार की और प्रेरणा देती है। आज अपराध करने वालों की संख्या क्यों बढ़ती जा रही है इसमें अनेक कारण है उन कारणों में मुख्य कारण नशीले पदार्थों का सेवन करना भी है, नशीले पदार्थों के सेवन से व्यक्ति के जीवन का जहां विनाश होता है, वहीं पर तन-मन से भी रोगी हो जाते हैं। बुद्धि भी भ्रमित हो जाती है, बुद्धि भ्रमित होने से व्यक्ति अपराध की ओर कदम बढ़ा देता है।"
"आप सभी समय-समय पर आने वाले प्रमुख पर्वो-त्यौहारों को बड़े उत्साह के साथ मनाते हो, पर यह पुलिस अधिकारी देश की सुरक्षा के प्रति समर्पित रहे यहीं पर्व मनाने जैसा मानते हैं।"
आप सभी वेतन को मुख्यता देते हैं और यह पुलिस अधिकारी वतन को मुख्यता देते हैं।

आचार्य श्री ने सभी पुलिस अधिकारियों से कहा कि यद्यपि आप सभी बहुत व्यस्त हैं, फिर भी कुछ समय अपने लिए, परिवार के लिए भी देना चाहिए। भोजन के समय टी.वी. आदि का प्रयोग ना करें। नशीले पदार्थों से दूर रहें, भगवान की भक्ति करें, अपने बच्चों को संस्कार दें, इमानदारी, प्रमाणिकता के साथ अपने-अपने कर्तव्यों का पालन करें, कर्तव्य का पालन करना भी धर्म है, कार्यालय ही मंदिर है, ऐसा श्री जवाहरलाल नेहरू कहां करते थे। मंदिर में जिस तरह आप अच्छे कार्य करते हैं, वैसे ही कार्यालय में अच्छे कार्य करें।
अपनी वर्दी की मर्यादा रखें। जिंदगी में ऐसे कार्य नहीं करो, जिससे आपका नाम रोशन न हो, जिससे आपका नाम बदनाम हो जाए।
जीवन में सहनशक्ति, समझ शक्ति का सहारा लेकर जिये, कभी भी आप अपने डंडे का दुरुपयोग न करें, किसी निरपराध पर न चलाएं, किसी बेसहारे पर न चलाएं, प्रेम-वात्सल्य का सहारा लेकर उन्हें उनके अपराधों का बोध कराए, ताकि वह अपराधों से दूर होकर अपने जीवन को अच्छे से जीये।
एसपी साहब आदि अपने से बड़े अधिकारियों को सम्मान दें। परस्पर में प्रेम-पूर्वक रहे। अन्याय, अनीति, अत्याचार से दूर रहकर जीवन को साफ-सुथरा बनाए। अंत में दिगंबर साधु की चर्या पर प्रकाश डाला।
मंच संचालन करते हुए श्री सुधीर जैन एडवोकेट ने कहा आज हमारे बीच में वह संत आए हैं जो सराकोद्धारक के नाम से प्रसिद्ध है, जो जोड़ने वाले संतों में प्रसिद्ध हैं, फिर चाहे वह एडवोकेट हो, चाहे इंजीनियर, साइंटिस्ट, प्रोफेसर, शिक्षक वर्ग व छात्र वर्ग हो।

श्री एसपी साहब श्री प्रहलाद कृष्ण पूनिया ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आचार्य श्री ने यहां आकर हम सभी को दर्शन दिए, यह हम सभी का सौभाग्य है।
पूज्य श्री ने हम सभी को जो सूत्र जीवन जीने के लिए दिए हैं उनके अनुसार हम अगर जियेंगे तो निश्चित हम सभी का जीवन अच्छी तरह से व्यतीत होगा। आचार्य श्री आगे भी इसी तरह हमारे बीच सदुपदेश देते रहें। साथ ही हार्दिक आभार व्यक्त किया।

श्री अनिल जी (डी.आई.जी) जयपुर ने भी कहा जो पुलिस विभाग का लक्ष्य है, वही पूज्य श्री का भी लक्ष्य है, विश्व में सुख-शांति हो, सभी सुखी रहें।

Photos of पूज्य षष्टम पट्टाचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी मुनिराजs post


Sources

Acharya Gyan Sagar Ji Maharaj
View Facebook page

Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Digambar
      • Acharya Gyan Sagar
        • Share this page on:
          Page glossary
          Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
          1. Acharya
          2. Acharya Gyan Sagar Ji Maharaj
          3. Gyan
          4. Sagar
          5. आचार्य
          6. कृष्ण
          7. दर्शन
          8. दस
          9. भाव
          10. श्रमण
          Page statistics
          This page has been viewed 151 times.
          © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
          Home
          About
          Contact us
          Disclaimer
          Social Networking

          HN4U Deutsche Version
          Today's Counter: