16.12.2019 ►Acharya Shri Gyan Sagar Ji Maharaj Ke Bhakt ►News

Published: 16.12.2019
Updated: 17.12.2019

Updated on 17.12.2019 10:15

पनिहार (पन्निआर) ऐतिहासिक स्थल जिला ग्वालियर से 20 किमी. दूर घाटीगाँव तहसील अंतर्गत एक उथले वलय पहाड़ पर निर्मित प्राचीन जैन मन्दिर जिसे भौंरा कहा जाता है इसमें स्थापित विशाल अतिशयकारी प्राचीन तीर्थंकर प्रतिमाओं की स्थापना के शिलालेखों की प्रमाणिकता का पुरातत्व विभाग द्वारा प्रकाशन और क्षेत्र में स्तिथ अन्य टीलों में प्राचीन मंदिरों व प्रतिमाओं की खोज किये जाना अत्यंत आवश्यक.....विश्व जैन संगठन

पुरातत्व विभाग द्वारा वर्ष 1971-72 में प्रकाशित भारतीय पुरातत्व - एक रिव्यु के पेज 54 पर पनिआर में स्तिथ 2 जैन प्रतिमाओं का वर्ष 1468 में व 11 प्रतिमाओं का वर्ष 1472 में अमरासी पुत्र होरिला व वीर भानु द्वारा तोमर शासक कीर्तिसिंह देव के शासनकाल में स्थापित किये जाने और कुंदकुंद आचार्य, भट्टारक परम्परा में भट्टारक संघकीर्तिदेव और मंडल आचार्य त्रिभुवनकीर्तिदेव का उल्लेख प्रशस्ति में होने की जानकारी प्रकाशित है, जो क्षेत्र में जैन संतों की साधना स्थली का प्रमाण है!

निश्चित रूप से पनिहार एक प्रसिद्ध प्राचीन जैन तीर्थ है और अनेको जैन संतों की तपस्या स्थली भी रहा है!
स्थानीय ग्रामवासियों के अनुसार क्षेत्र में एक 11 फीट लम्बे श्वेतवर्ण मूछधारी सर्प निवास करता है और टीलों के पास मनौती मांगने से पूर्ण होती है!

मध्यप्रदेश राज्य पुरातत्व संग्रहालय के पूर्व पुरातत्ववेत्ता डॉ नरेश कुमार पाठक का दावा है कि भौरा पहाड़ी में कई मानव निर्मित संरचनाएं दफन हैं। यह वलय पर्वत किसी भूगर्भीय घटना जैसे भूकंप या ज्वालामुखी के कारण बना है, जिसके कारण एक कोई नगरीय क्षेत्र इसमें दब हो गया होगा। यही कारण हैं कि इस पहाड़ी से मिट्‌टी धसकने या खुदाई पर ईंटे, पत्थर की चिनाई और पाषाण उपकरण निकलकर सामने आते रहे हैं।

ब्रिटिश काल और वर्ष 1968-69 में पुरातत्व विभाग द्वारा पनिहार के जंगलों में की गयी खुदाई में ईसा से लगभग 600 वर्ष पूर्व के बर्तन आदि मिले थे विशेषरूप से पत्थर निर्मित कई औजार मिले थे जिन्हें पुरापाषाण काल से सम्बंधित घोषित किया गया!

प्राचीन जैन धरोहर का संरक्षण व संवर्धन करना हम सबका कर्तव्य है और विशेष रूप से प्राचीन समय में स्तिथ जैन तीर्थों की खोज व संरक्षण.....संकलनकर्ता: संजय जैन मो.: 9312278313

सरकोद्धारक परम् पूज्य आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी मुनिराज ससंघ आज दिनांक 16 दिसम्बर को कानोता में विराजमान है!

आज दिनांक 16 दिसम्बर को ही 3 बजे आचार्य श्री ससंघ का कानोता से विहार होकर चूलगिरी में प्रवेश होगा!

कल दिनांक 17 दिसम्बर को आचार्य श्री ससंघ का जयपुर में भव्य मंगल प्रवेश होगा!
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