सीमा पहचान है मनुष्य की
जो व्यक्ति अपनी पहचान सीमा, व्रत और त्याग से बनाता है वास्तव में वह दुनिया का विशिष्ट व्यक्ति है। जिसकी पहचान असीम होती है, सब कुछ आ सकता है, कहीं कोई निषेध नहीं, कहीं कोई प्रतिषेध नहीं - वह विशिष्ट नहीं हो सकता ।जिसने जीवन में कोई सीमा नहीं की, उसका विश्वास नहीं किया जा सकता । सीमा बहुत बडी बात है, जिसको समझा नहीं गया ।सीमा है तो संकल्प का मनोबल बढता है ।
आचार्य महाप्रज्ञ
जो व्यक्ति अपनी पहचान सीमा, व्रत और त्याग से बनाता है वास्तव में वह दुनिया का विशिष्ट व्यक्ति है। जिसकी पहचान असीम होती है, सब कुछ आ सकता है, कहीं कोई निषेध नहीं, कहीं कोई प्रतिषेध नहीं - वह विशिष्ट नहीं हो सकता ।जिसने जीवन में कोई सीमा नहीं की, उसका विश्वास नहीं किया जा सकता । सीमा बहुत बडी बात है, जिसको समझा नहीं गया ।सीमा है तो संकल्प का मनोबल बढता है ।
आचार्य महाप्रज्ञ