15.06.2019 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 17.06.2019
Updated: 17.06.2019

News in Hindi

Video

👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 15 जून 2019

प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻

🔮🛡🔮🛡🔮

*अणुव्रत महासमिति*
द्वारा
शाखा परिषदों
के लिए

जून माह
का प्रकल्प
*पर्यावरण विशुद्धि*
*अभियान*

विषय - वस्तु
*जल है तो कल है*

*: प्रस्तुति:*
अणुव्रत
सोशल मीडिया

*: संप्रसारक:*
संघ संवाद

🔮🛡🔮🛡🔮

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*अणुव्रत महासमिति*
द्वारा
शाखा परिषदों
के लिए

जून माह
का प्रकल्प
*पर्यावरण विशुद्धि*
*अभियान*

विषय - वस्तु
*जल है तो कल है*

*: प्रस्तुति:*
अणुव्रत
सोशल मीडिया

*: संप्रसारक:*
संघ संवाद

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👉 अजमेर - "जल है तो कल है" पर चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन
👉 सैंथिया - एंबुलेंस कम मेडिकल वेन भेट
👉 हिसार - मंगल भावना समारोह का आयोजन

प्रस्तुति - *🌻संघ संवाद 🌻*

🙏 *पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ प्रातःविहार करके 'जड़ीगेनाहल्ली' (Karnataka) पधारे..*
🛣 *गुरुदेव का आज प्रातःकाल का विहार लगभग 07.50 कि.मी. का..*

⛩ *आज दिन का प्रवास: श्री मोरारजी देसाई रेसिडेंशियल pu साइंस कॉलेज - जड़ीगेनाहल्ली (कर्नाटक)*
*लोकेशन:*
https://maps.app.goo.gl/rpgFc3noVo83hKnY7

🙏 *साध्वीप्रमुखा श्री जी विहार करते हुए..*
👉 *आज के विहार के कुछ मनोरम दृश्य..*

दिनांक: 15/06/2019
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🌻 *संघ संवाद* 🌻

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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।

🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞

📜 *श्रृंखला -- 66* 📜

*आचार्यश्री भीखणजी*

*तेरापंथ का उदय*

*श्रद्धा के अंकुर*

केलवा का जैन समाज प्रारंभ में स्वामीजी का कट्टर विरोधी रहा। विद्वेष-वश कुछ लोगों ने उनके विरुद्ध अनेक गलत धारणाएं फैलाईं। फलस्वरूप कुछ दिनों तक लोगों का आगमन अत्यंत विरल रहा। जो आते, वे सहृदयता से नहीं द्वेष-बुद्धि से प्रेरित होकर ही आते। तत्त्व-जिज्ञासा से तो कोई-कोई ही आया करता था। धीरे-धीरे लोगों की द्वेष-बुद्धि में परिवर्तन आने लगा। स्वामीजी की सहिष्णुता और शांत वृत्ति ने उनके द्वेष पर विजय पाई। श्रद्धा के अंकुर फूटने लगे। अनेक समझदार व्यक्ति जिज्ञासा लेकर भी आने लगे और तत्त्व को समझने का प्रयास करने लगे।

चातुर्मास के अंत तक केलवा में अनेक परिवार स्वामीजी के भक्त बन गए। सर्वप्रथम वहां के कोठारी (चौरड़िया) परिवार ने गुरु धारणा की। उनमें मुख्यतः ये व्यक्ति थे— केलवा ठिकाणे के प्रधान मूणदासजी, सुप्रसिद्ध श्रावक शोभजी के छोटे दादा भैरोजी और केसोजी आदि।

*सफल चातुर्मास*

केलवा के चातुर्मास का प्रारंभ परिषहों के साथ हुआ, परंतु उसकी संपन्नता अनेक परिवारों के भक्त बन जाने के साथ हुई। अंधेरी कोठरी पर प्राप्त विजय ने लोगों के हृदय की अंधेरी कोठरी पर भी विजय पाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया। कालांतर में तो राज-परिवार से लेकर साधारण किसान तक प्रायः सभी व्यक्ति स्वामीजी के प्रति श्रद्धावनत हो गए। परिपूर्णता की वह स्थिति धीरे-धीरे अनेक वर्षों में प्राप्त हुई।

प्रथम चातुर्मास में तो जो कुछ हुआ, वह उसका बीजरूप ही कहा जा सकता है। प्रत्येक वृक्ष अपने विस्तार काल से पूर्व एक छोटा सा बीज ही होता है। उसका समग्र भाव-विस्तार उस समय उस नन्हें से बीज में ही निहित रहता है। स्वामीजी के उस चातुर्मास में यद्यपि उपकार की अपेक्षा प्रतिकार की ही बहुलता रही, परंतु संघर्षों पर विजय पाने का क्रम भी वहीं से प्रारंभ हुआ। बाद में संघर्षों पर पाई गई प्रत्येक विजय के मूल में केलवा की सफलता का ही स्वर सुनाई देता था। इसलिए निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि स्वामीजी का वह प्रथम चातुर्मास अपनी बीजात्मक्ता में अत्यंत सफल रहा।

*चातुर्मास समाप्ति के बाद सभी तेरह साधु एकत्रित हुए और पुनः चर्चा प्रारंभ हुई तब क्या हुआ...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
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जैन धर्म के आदि तीर्थंकर *भगवान् ऋषभ की स्तुति* के रूप में श्वेतांबर और दिगंबर दोनों परंपराओं में समान रूप से मान्य *भक्तामर स्तोत्र,* जिसका सैकड़ों-हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन श्रद्धा के साथ पाठ करते हैं और विघ्न बाधाओं का निवारण करते हैं। इस महनीय विषय पर परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की जैन जगत में सर्वमान्य विशिष्ट कृति

🙏 *भक्तामर ~ अंतस्तल का स्पर्श* 🙏

📖 *श्रृंखला -- 54* 📖

*ज्ञान की आराधना: प्रकाश की साधना*

गतांक से आगे...

एक घटना है। किसी अपराध में तीन व्यक्ति पकड़े गए। पति, पुत्र और भाई। तीनों संबंधी। उस समय आज जैसी लंबी अदालती और कानूनी प्रक्रिया नहीं चलती थी। आनन-फानन में न्याय कर दिया जाता था। राजा ने भरे दरबार में मृत्युदंड का फैसला दे दिया। उसी समय राजदरबार में क्रंदन करती हुई एक महिला ने प्रवेश किया। वह बोल रही थी—

*अनोदका नदी नग्गा, नग्गरट्ठं अराजकम्।*
*इत्थी वि विधवा नग्गा, जस्सावि दसभातरो॥*

नदी नग्न है क्योंकि उसमें पानी नहीं है। नदी में पानी न हो, वह खाली हो तो नग्न कही जाती है। वह राष्ट्र नग्न है, जिसमें कोई राजा नहीं है। विधवा स्त्री भी नग्न ही कही जाती है, भले उसके दस भाई हों।

राजा ने जोर जोर से चिल्लाती हुई स्त्री को देखा, राजकर्मचारियों को आदेश दिया— 'इसे और कपड़े पहना दो।' कपड़े वह पहने हुए थी, किंतु नग्न होने की बात बार-बार दोहराए जाने पर राजा ने उसे और कपड़े देने का आदेश दिया। उस स्त्री ने कहा— 'राजन्! विधवा होने के बाद कपड़े से मेरी नग्नता नहीं ढ़केगी।'

राजा के मन में करुणा आ गई। उसने कहा— 'तुम्हें क्या चाहिए, बोलो? इन तीनों में से किसी एक का जीवन तुम मांग सकती हो।' स्त्री बोली— पति को आप दंड दे सकते हैं, पति भी नहीं रहा तो पुनर्विवाह हो जाएगा। पुत्र को भी आप न छोड़ें। फिर से विवाह होने पर पुत्र भी हो जाएगा। आप मेरे भाई को छोड़ दें, क्योंकि मेरी मां मर चुकी है और अब दूसरा भाई पैदा नहीं हो सकता।'

इतना विरोधाभास है जीवन में। एक ओर वह कहती है— पति मर गया तो दस भाई होने पर भी विधवा है। दूसरी ओर कहती है— पति और पुत्र की जरूरत नहीं है। मेरे भाई को छोड़ दो। जीवन का अगर विश्लेषण करें तो जीवन में इतना विरोधाभास मिलता है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। सामान्य व्यक्ति की बात छोड़ दें, कालिदास जैसे विश्रुत महाकवियों के काव्यों में भी अनेक विरोधाभास मिलते हैं। यह कोई अस्वाभाविक बात नहीं है, किंतु जिस व्यक्ति ने आत्म-साक्षात्कार कर लिया, कैवल्य प्राप्त कर लिया, उसके लिए कोई विरोधाभास नहीं रहता। जहां आत्म-साक्षात्कार है, वहां कोई पौर्वापर्य नहीं रहता, कोई व्यवधान नहीं रहता। अतींद्रियज्ञानी के सामने बैठें या पीछे बैठें, कोई फर्क नहीं पड़ता। भारतीय साहित्य में चतुर्मुख की कल्पना की गई। चतुर्मुख वह होता है जिसके चारों ओर मुंह हो। जिसे मुड़कर देखने की जरूरत न पड़ती हो। यह चतुर्मुख अतिंद्रीयज्ञान का प्रतीक है। नंदीसूत्र में कहा गया— जिसे परम अवधिज्ञान होता है, वह व्यक्ति आगे देखता है, पीछे देखता है और पार्श्व में देखता है। ऐसे अतीन्द्रिय ज्ञानियों की वाणी में कोई विसंगति नहीं होती।

*भगवान् ऋषभ के ज्ञान के बारे में स्तुतिकार आचार्य मानतुंग और क्या-क्या कहते हैं...* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः

प्रस्तुति -- 🌻 संघ संवाद 🌻
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