23.04.2019 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 23.04.2019
Updated: 27.04.2019

Update

https://www.instagram.com/p/BwnF7MDlh6v/?utm_source=ig_share_sheet&igshid=1s1uthglkud6i

https://www.instagram.com/p/BwnKG4pgsBp/?utm_source=ig_share_sheet&igshid=19efjka3ujnko

https://www.instagram.com/p/BwnHIP1gIQk/?utm_source=ig_share_sheet&igshid=1s2elt5ccawgd

#Acharya Mahashraman

Source: © Facebook

Video

Source: © Facebook

🧘‍♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘‍♂

🙏 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत मौलिक प्रवचन

👉 *प्रेक्षा वाणी: श्रंखला ११४* - *आत्मसाक्षात्कार और प्रेक्षाध्यान ४*

एक *प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें*
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*

प्रकाशक
*Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
https://www.facebook.com/SanghSamvad/
🌻 *संघ संवाद* 🌻

👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 23 अप्रैल 2019

प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻

News in Hindi

🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹

शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।

🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞

📜 *श्रृंखला -- 26* 📜

*आचार्यश्री भीखणजी*

*गृही-जीवन*

*जन्म*

स्वामी भीखणजी का जन्म विक्रम संवत् 1783 आषाढ़ शुक्ला त्रयोदशी (1 जुलाई, ईस्वी सन् 1726) मंगलवार को हुआ। जब वे गर्भस्थ हुए, माता दीपांजी ने सिंह का स्वप्न देखा। जैन परंपरा में इस स्वप्न को बहुत महत्त्वपूर्ण माना गया है और 14 महास्वप्नों में गिना गया है। कहा जाता है कि गर्भधारण-काल में माता द्वारा देखा गया ऐसा स्वप्न किसी महापुरुष के अवतरण का सूचक होता है।

स्वामीजी के पिता का नाम शाह बल्लूजी था। उन्होंने दो विवाह किए थे। प्रथम पत्नी का नाम लाछड़दे था। उनके पुत्र होलोजी थे। प्रथम पत्नी के दिवंगत होने पर उन्होंने दूसरा विवाह दीपांजी से किया। उनके पुत्र भीखण थे। पति-पत्नी दोनों ही अत्यंत भद्र और धार्मिक प्रकृति के थे। ऐसे माता-पिता की संतान धर्म-निष्ठ तथा सत्यशोधक हो, इसमें कोई आश्चर्य नहीं।

*अध्ययन*

स्वामीजी बाल्यकाल से ही अत्यंत निपुण और कुशाग्र-बुद्धि के थे। उस समय की परंपरा में विद्याध्ययन की कोई विशेष आवश्यकता नहीं थी। अधिकांश बालक अक्षर-ज्ञान से वंचित ही रहा करते थे। वणिक् जाति के बालक स्वल्पाधिक अक्षर-ज्ञान अवश्य प्राप्त कर लेते थे। स्वामीजी ने भी तत्कालीन पद्धति के अनुसार गुरु के पास साधारण अध्ययन किया। महाजनी हिसाब में वे शीघ्र ही दक्ष हो गए। व्यवहार-बुद्धि भी उनकी बड़ी सजग थी। एक बार बता देने के पश्चात् वे अपना पाठ बहुत शीघ्र याद कर लेते थे। गुरु को उनके लिए विशेष परिश्रम करने की कभी आवश्यकता नहीं पड़ी।

*स्वाभिमान*

बाल्यावस्था में स्वामीजी को जहां अन्य अनेक गुणों की अतिशयता प्राप्त थी, वहां स्वाभिमान भी उसी अनुपात से प्राप्त था। अपमानजनक स्थिति उन्हें कहीं भी सह्य नहीं हुई। उनके एक पारिवारिक चाचा बहुधा उनके सिर पर प्यार से चपत लगा दिया करते थे। कई बार धीमे तो कई बार जोर से भी। उक्त उपहास के साथ चाचा कहते— 'तुम्हारी खोपड़ी तो बहुत पक्की है।' चाचा का वह व्यवहार उन्होंने अनेक महीनों तक सहा। कई बार उस पर अपनी अप्रसन्नता भी व्यक्ति की, पर चाचा नहीं माने। वे उन्हें चिढ़ाने के लिए पहले से भी अधिक चपत लगाने लगे। आखिर चाचा का वह स्वभाव उनके स्वाभिमान को एक चुनौती हो गया। उन्होंने उसे छुड़ाने के लिए अनेक उपाय किए, पर सफल नहीं हुए। मृदु उपाय काम नहीं कर सके, तब उन्होंने निश्चय किया कि अब कठोर उपाय से ही काम लेना होगा।

राजस्थान के तत्कालीन बालक जब कुछ बड़े हो जाते थे, तब अपने सिर पर प्रायः पगड़ी ही पहना करते थे। भीखणजी भी पगड़ी पहनते थे। एक दिन वे अपनी पगड़ी के नीचे नुकीले कांटे छिपाकर चाचा के पास आए। चाचा ने अपने स्वभावानुसार उनके सिर पर ज्यों ही कसकर हाथ मारा त्यों ही हथेली में कांटे चुभ गए। चाचा कराह उठे और वे भाग गए। उनके स्वाभिमान ने चाचा का वह स्वभाव सदा के लिए छुड़ा दिया।

*तेरापंथ के आद्य प्रणेता आचार्यश्री भीखणजी के विवाह, गृहस्थ-जीवन इत्यादि* के बारे में विस्तार से जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹

🌼🍁🌼🍁🍁🍁🍁🌼🍁🌼

जैन धर्म के आदि तीर्थंकर *भगवान् ऋषभ की स्तुति* के रूप में श्वेतांबर और दिगंबर दोनों परंपराओं में समान रूप से मान्य *भक्तामर स्तोत्र,* जिसका सैकड़ों-हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन श्रद्धा के साथ पाठ करते हैं और विघ्न बाधाओं का निवारण करते हैं। इस महनीय विषय पर परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की जैन जगत में सर्वमान्य विशिष्ट कृति

🙏 *भक्तामर ~ अंतस्तल का स्पर्श* 🙏

📖 *श्रृंखला -- 14* 📖

*बुद्धि और संवेग का समन्वय*

गतांक से आगे...

वस्तुतः सारा खेल संवेगों का है। मानतुंग में भक्ति का संवेग प्रबल हो गया। उन्होंने कहा— कोई बात नहीं, बुद्धि कम है किंतु भक्ति तो है। मैं उसी के सहारे स्तुति करूंगा। जब एक निरीह प्राणी भी अपने शिशु की रक्षा के लिए सिंह जैसे शक्तिशाली प्राणी का सामना करने लग जाता है, उसे अपनी शक्ति का भान नहीं रहता, तब मैं अपने बुद्धिबल की अल्पता का भान क्यों करूं?

भावों की प्रवणता का एक उत्कृष्ट प्रसंग है— व्याध ने धनुष पर बाण चढ़ा कर हिरणी को मारना चाहा। हिरणी समझ गई कि अब बचना मुश्किल है। उसने व्याध से परम करुण स्वरों में कहा—

*आदाय मांसमखिलं स्तनवर्जितांगाद्,*
*मां मुञ्च वागुरिक! यामि कुरु प्रसादम्।*
*अद्यापि शस्यकवलग्रहणानभिज्ञाः,*
*मन्मार्गवीक्षणपराः शिशवो मदीयाः॥*

'ओ व्याधि! तुम पहले मेरी एक बात सुन लो, फिर मुझे मारना। मेरी विनती मात्र इतनी ही है कि तुम मुझे मारकर मेरे सारे शरीर का मांस ले लो। बस, मेरे दो स्तनों को छोड़ दो। मेरे दो छोटे बच्चे हैं, जिन्होंने अभी घास खाना शुरू नहीं किया है। वे दोनों ही बड़ी आकुलता से मेरी प्रतीक्षा कर रहे हैं। मुझ पर नहीं, मेरे दोनों बच्चों पर दया कर कुछ देर के लिए मुझे जाने दो।'

यह कौन बोल रहा है? प्रेम का संवेग बोल रहा है। जब-जब प्रीति, भक्ति और श्रद्धा का संवेग प्रबल होता है, बुद्धि गौण बन जाती है, दूसरे संवेग भी गौण बन जाते हैं। आचार्य मानतुंग श्रद्धा और भक्ति के सहारे भगवान की स्तुति करना चाहते हैं। बुद्धि की अल्पता के कारण स्तुति न कर पाने की चिंता में जो संकल्प डगमगा रहा था, वह श्रद्धा और भक्ति का सहारा पाकर स्थिर हो गया।

*जब आचार्य मानतुंग का संकल्प हो गया... तब उन्होंने क्या कहा...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः

प्रस्तुति -- 🌻 संघ संवाद 🌻
🌼🍁🌼🍁🍁🍁🍁🌼🍁🌼

👉 जयपुर - चुनाव शुद्धि अभियान
👉 बारडोली - चुनाव शुद्धि अभियान
👉 अहमदाबाद - चुनाव शुद्धि अभियान
👉 राजाराजेश्वरी नगर, बेंगलुरु - जैन संस्कार विधि से नूतन गृह प्रवेश
👉 वापी - व्यक्तित्व विकास कार्यशाला
👉 लिम्बायत, सूरत - बने सटीक, सीखें नई नई तकनीक कार्यशाला का आयोजन
प्रस्तुति - 🌻 *संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

https://www.instagram.com/p/Bwk7-zLgjPd/?utm_source=ig_share_sheet&igshid=zlmsgal4rysv

Source: © Facebook

Video

Source: © Facebook

🧘‍♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘‍♂

🙏 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत मौलिक प्रवचन

👉 *प्रेक्षा वाणी: श्रंखला ११३* - *आत्मसाक्षात्कार और प्रेक्षाध्यान ३*

एक *प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें*
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*

प्रकाशक
*Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
https://www.facebook.com/SanghSamvad/
🌻 *संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Sources

Sangh Samvad
SS
Sangh Samvad

Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Shvetambar
      • Terapanth
        • Sangh Samvad
          • Publications
            • Share this page on:
              Page glossary
              Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
              1. Acharya
              2. Acharya Mahashraman
              3. Mahashraman
              4. अमृतवाणी
              5. आचार्य
              6. तीर्थंकर
              7. राजस्थान
              Page statistics
              This page has been viewed 184 times.
              © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
              Home
              About
              Contact us
              Disclaimer
              Social Networking

              HN4U Deutsche Version
              Today's Counter: