28.03.2019 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 28.03.2019
Updated: 28.03.2019

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👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 28 मार्च 2019

प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙

📝 *श्रृंखला -- 563* 📝

*अमृतपुरुष आचार्य श्री तुलसी*

*शोक-संवेदना*

गतांक से आगे...

"गणाधिपति तुलसी के देवलोक गमन से जैन समाज में एक अपूरणीय क्षति हुई है। गणाधिपति तुलसी जी ने अपने व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व से जैन समाज को व विशेष तौर पर तेरापंथ समाज को बहुआयामी सेवाएं दी हैं। आपका कार्यक्षेत्र बहुत विस्तृत रहा है। विक्रम संवत् 2006 के जयपुर चातुर्मास में आपने अणुव्रत आंदोलन का प्रवर्तन किया। जिसमें सभी वर्ग के प्रबुद्ध लोग भी जुड़े। जैन विश्वभारती आप की प्रेरणा से सन् 1970 में स्थापित हुई एवं 6 वर्ष पूर्व डीम्ड यूनिवर्सिटी का रूप ले चुकी है। वह आपकी प्रतिभा का परिचायक है। दया और दान की मान्यता को आपने बहुआयामी रूप देकर लोकोपकारी कार्य में समाहित किया। समय को पहचान कर आपने राजनीति में भी सफल हस्तक्षेप किया। आप एक सक्षम, समर्थ, युगांतकारी आचार्य हुए हैं। आपके विचार युगों-युगों तक समाज व राष्ट्र का मार्गदर्शन करते रहेंगे।"
*गुमान मल चौरड़िया*
*अध्यक्ष श्री अखिल भारतवर्षीय साधुमार्गी जैन संघ, बीकानेर*

"In the passing away of a Great Noble Soul Vivekananda Kendra has lost a true friend and guide. Kindly accept our condolences."
*—Dr. H. R. Nagendra*
*Vivekananda Kendra, Bangalore*

राष्ट्रपति हो या कुलपति, राज्यपाल हो या लोकपाल, मुख्यमंत्री हो या शिक्षामंत्री, राजनेता हो या समाज नेता जो कभी एक बार भी आपके संपर्क में आए, जिन्होंने आपकी पीयूषवर्षी वाणी को सुना, वे सभी आपके महाप्रयाण से तथा आपके अवदानों की स्मृति मात्र से भाव-विह्वल थे।

आचार्य श्री तुलसी के विविध रूप थे। वे कुशल प्रशासक, प्रवचनकार, लेखक, कवि, साहित्यकार, संगीतकार एवं संगायक थे।

वे सहस्र चक्षु, पारदर्शी, सूक्ष्म-द्रष्टा, गहन चिंतक, समीक्षक एवं परीक्षक थे।

उन्होंने व्यक्ति, समाज, देश, विश्व को जो दिया वह अनंत है, असीम है, अथाह है, अपार है।

आचार्य श्री तुलसी आत्मजयी और कालजयी व्यक्तित्व के धनी थे। आपने अपने पुरुषार्थ और पराक्रम से काल के भाल पर जो अमिट रेखाएं खींची उन्हें समय की घनी परतें भी मिटा नहीं पाएंगी।

प्रसन्नचेता, अध्यात्म-साधक, क्रांतदर्शी, मानवीय मूल्यों के प्रतिष्ठापक युगप्रधान गणाधिपति आचार्य श्री तुलसी का जीवन विभिन्न अनुभूतियों से अनुबंध एक महाकाव्य है। इसका प्रत्येक सर्ग साहस और अभय की कहानी है। हर सर्ग का प्रत्येक श्लोक अहिंसा, करुणा तथा मैत्री का छलकता निर्झर है।

अहिंसा, विश्व शांति एवं मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा में परम कारुणिक, परोपकारी, हितचिंतक आचार्य श्री तुलसी ने अपने जीवन के बहुमूल्य क्षणों का अर्ध्य अर्पित किया। विश्व कल्याणार्थ अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान आदि के रूप में आप द्वारा किए गए कार्य इतिहास की अमूल्य धरोहर है।

आपने मानवता के मार्ग में जो माइल स्टोन खड़े किए वे युग-युग तक पथ भटके मानव का मार्गदर्शन करते रहेंगे।

आपने जो अणुव्रत दीपशिखा जलाई वह सदियों तक जन-जन के पथ को आलोकित करती रहेगी।

अनंत ऊर्जा के स्रोत आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत का एक ऐसा विशाल वृक्ष लगाया है जो गर्म झोंकों से झुलसते चरणों को शीतल छाया प्रदान करता रहेगा।

*अमृतपुरुष आचार्य श्री तुलसी के जीवन की एक संक्षिप्त झलक कविता की कुछ पंक्तियों के माध्यम से* पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।

🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞

📜 *श्रृंखला -- 6* 📜

*ऐतिहासिक काल*

*विभिन्न पट्टावलियां*

गतांक से आगे...

*(2) दुस्सम काल समण संघत्थव* तथा *विचार श्रेणी* के अनुसार युगप्रधान-पट्टावली और समय इस प्रकार है—
*आचार्यों के नाम व समय (वीर निर्वाण संवत्) में*
*1.* गणधर सुधर्मा -
वीर निर्वाण संवत् 1 से 20
*2.* आचार्य जम्बू -
वीर निर्वाण संवत् 20 से 64
*3.* आचार्य प्रभव -
वीर निर्वाण संवत् 64 से 75
*4.* आचार्य शय्यम्भव -
वीर निर्वाण संवत् 75 से 98
*5.* आचार्य यशोभद्र -
वीर निर्वाण संवत् 98 से 148
*6.* आचार्य सम्भूति विजय -
वीर निर्वाण संवत् 148 से 156
*7.* आचार्य भद्रबाहु -
वीर निर्वाण संवत् 156 से 170
*8.* आचार्य स्थूलभद्र -
वीर निर्वाण संवत् 170 से 215
*9.* आचार्य महागिरि -
वीर निर्वाण संवत् 215 से 245
*10.* आचार्य सुहस्ती -
वीर निर्वाण संवत् 245 से 291
*11.* आचार्य गुणसुन्दर -
वीर निर्वाण संवत् 291 से 335
*12.* आचार्य श्याम -
वीर निर्वाण संवत् 335 से 376
*13.* आचार्य स्कंदिल -
वीर निर्वाण संवत् 376 से 414
*14.* आचार्य रेवतिमित्र -
वीर निर्वाण संवत् 414 से 450
*15.* आचार्य धर्मसूरि -
वीर निर्वाण संवत् 450 से 495
*16.* आचार्य भद्रगुप्तसूरि -
वीर निर्वाण संवत् 495 से 533
*17.* आचार्य श्रीगुप्तसूरि -
वीर निर्वाण संवत् 533 से 548
*18.* आचार्य वज्रस्वामी -
वीर निर्वाण संवत् 548 से 584
*19.* आचार्य आर्यरक्षित -
वीर निर्वाण संवत् 584 से 597
*20.* आचार्य दुर्बलिका पुष्यमित्र -
वीर निर्वाण संवत् 597 से 617
*21.* आचार्य वज्रसेनसूरि -
वीर निर्वाण संवत् 617 से 620
*22.* आचार्य नागहस्ती -
वीर निर्वाण संवत् 620 से 689
*23.* आचार्य रेवतिमित्र -
वीर निर्वाण संवत् 689 से 748
*24.* आचार्य सिंहसूरि -
वीर निर्वाण संवत् 748 से 826
*25.* आचार्य नागार्जुनसूरि -
वीर निर्वाण संवत् 826 से 904
*26.* आचार्य भूतदिन्नसूरि -
वीर निर्वाण संवत् 904 से 983
*27.* आचार्य कालकसूरि (चतुर्थ) -
वीर निर्वाण संवत् 983 से 994
*28.* आचार्य सत्यमित्र -
वीर निर्वाण संवत् 994 से 1000
*29.* आचार्य हरिल्ल -
वीर निर्वाण संवत् 1000 से 1055
*30.* आचार्य जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण -
वीर निर्वाण संवत् 1055 से 1115
*31.* आचार्य (उमा) स्वाति सूरि -
वीर निर्वाण संवत् 1115 से 1197
*32.* आचार्य पुष्यमित्र -
वीर निर्वाण संवत् 1197 से 1250
*33.* आचार्य सम्भूति -
वीर निर्वाण संवत् 1250 से 1300
*34.* आचार्य माठर सम्भूति -
वीर निर्वाण संवत् 1300 से 1360
*35.* आचार्य धर्म ऋषि -
वीर निर्वाण संवत् 1360 से 1400
*36.* आचार्य ज्येष्ठांगगणी -
वीर निर्वाण संवत् 1400 से 1471
*37.* आचार्य फल्गुमित्र -
वीर निर्वाण संवत् 1471 से 1520
*38.* आचार्य धर्मघोष -
वीर निर्वाण संवत् 1520 से 1598

*वाल्लभी युगप्रधान-पट्टावली* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पायेंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
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🧘‍♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘‍♂

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