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👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 25 मार्च 2019
प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻
Update
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रृंखला -- 560* 📝
*अमृतपुरुष आचार्य श्री तुलसी*
*भावी घटनाओं के संकेत*
आचार्य श्री तुलसी योग सम्राट् थे। उनकी प्रज्ञा अत्यंत स्वच्छ एवं निर्मल थी। उनके पारदर्शी प्रज्ञा दर्पण में भावी घटनाओं के संकेत यदा-कदा झलकते रहते थे। यही कारण है उन्होंने अपने करणीय कार्य ठीक समय में पूरे किए।
अपने उत्तराधिकारी की नियुक्ति करना आचार्य का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य होता है। परमपिता गुरुदेव ने यह दायित्व 18 वर्ष पूर्व ही 'महाप्रज्ञ श्री जी' की युवाचार्य पद पर नियुक्ति कर सफलतापूर्वक संपन्न किया था। आचार्य पदाभिषेक समारोह भी दिल्ली के प्रांगण में ईस्वी सन् 1994 में गुरुदेव द्वारा शानदार ढंग से समायोजित हुआ। गुरुदेव ने ईस्वी सन् 1997 का मर्यादा महोत्सव भी आचार्य 'महाप्रज्ञ जी' के सान्निध्य में स्वतंत्र रूप से संपन्न करवाकर पूरी तरह से संघ को निश्चिंतता प्रदान की।
*अमर पाथेय*
हर पिता जीवन यात्रा पूर्ण करने से पूर्व संतान को अपनी परंपराओं से अवगत कराने की कोशिश करता है।
धर्मसंघ के आचार्य महाप्रयाण से पूर्व अपने शिष्य परिवार को शिक्षा का पाथेय प्रदान करने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं।
तीर्थंकर महावीर ने भी चतुर्विध तीर्थ के लिए दो दिन तक अध्यात्म का बहुमूल्य संदेश दिया था वह उत्तराध्ययन सूत्र में गर्भित है।
परमाराध्य आचार्य श्री तुलसी ने अर्हत् वाणी, आचार बोध, संस्कार बोध, व्यवहार बोध, तेरापंथ प्रबोध, श्रावक संबोध आदि कृतियों की रचना कर अंतिम शिक्षा के रूप में जो पाथेय उन्हें संघ को देना चाहिए था वह मुक्त भाव से दिया।
इन कृतियों में जीवन शिक्षा के अनमोल रत्न गुंफित हैं।
शिक्षा सुधामयी ये कृतियां हजारों वर्षों तक धर्मसंघ को अनुपम संबल प्रदान करती रहेंगी।
*अमृतपुरुष आचार्य श्री तुलसी की प्रतिक्षण की जागरूकता व महाप्रयाण* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।
🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞
📜 *श्रृंखला -- 3* 📜
*ऐतिहासिक काल*
*भगवान् पार्श्वनाथ*
तेईसवें तीर्थंकर भगवान् पार्श्वनाथ ऐतिहासिक पुरुष थे। उनका जन्म वाराणसी में हुआ। उनके पिता राजा अश्वसेन और माता वामादेवी थी। उन्होंने भगवान् महावीर से प्रायः दो सौ पचास वर्ष पूर्व तीर्थ प्रवर्तन किया। उनकी परंपरा भगवान् महावीर के समय तक अविच्छिन्न चलती रही। भगवान् महावीर के माता-पिता भगवान् पार्श्वनाथ की परंपरा के अनुयायी थे। भगवान् पार्श्वनाथ चतुर्याम धर्म का उपदेश देते थे। वे चार याम थे— अहिंसा, सत्य, अस्तेय और बहिर्द्धादान।
जैन परंपरा के अनुसार प्रथम और अंतिम तीर्थंकर पंचयाम धर्म का प्रवर्तन करते हैं और शेष बाईस तीर्थंकर चतुर्याम धर्म का। भगवान् महावीर ने जब पंचयाम धर्म का प्रवर्तन किया, तब भगवान् पार्श्वनाथ की परंपरा के अनेक मुनि संदिग्ध हुए की एक उद्देश्य से प्रवृत्त होने पर भी धर्म में यह द्वैध कैसा? वे भगवान् महावीर के शिष्यों से मिले, चर्चाएं की और दोनों का अभेध समझकर अंततः पंचयाम धर्म में प्रविष्ट हो गए।
उस सम्मिलन से पूर्व तक भगवान् पार्श्व की परंपरा काफी सबल रूप में चलती रही थी। समाज के प्रायः सभी वर्गों को उसने प्रभावित किया था। बौद्ध धर्म प्रवर्तक महात्मा बुद्ध भी प्रारंभ में उस परंपरा से प्रभावित रहे थे। बौद्ध विद्वान् धर्मानंद कौशांबी का मत है कि बोधि प्राप्ति से पूर्व कुछ समय के लिए भगवान् बुद्ध पार्श्व परंपरा में दीक्षित हुए थे। बोधि प्राप्ति से पूर्व का अपना जीवन चरित्र बतलाते हुए स्वयं बुद्ध ने जो बातें कही हैं, वे कौशांबीजी के मत को पुष्ट करने वाली हैं। वे अधिकांश बातें जैनाचार से संबंधित हैं। उन्होंने अपने तपस्वी जीवन का वर्णन करते हुए कहा— "सारिपुत्र! बोधी प्राप्ति से पूर्व मैं दाढ़ी-मूंछों का लुंचन करता था। मैं खड़ा रहकर तपस्या करता था। उकड़ू बैठकर तपस्या करता था। मैं नंगा रहता था। लौकिक आचारों का पालन नहीं करता था। हथेली पर भिक्षा लेकर खाता था। बैठे हुए स्थान पर आकर, दिए हुए अन्न को, अपने लिए तैयार किए हुए अन्न को और निमंत्रण को भी स्वीकार नहीं करता था। गर्भिणी व स्तनपान कराने वाली स्त्री से भिक्षा नहीं लेता था।"
*जैन परंपरा के ऐतिहासिक काल में भगवान् महावीर के शासन* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पायेंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
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*कन्याकुमारी*
*(तमिलनाडु)*
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*परम पूज्य गुरुदेव*
*अमृत-देशना*
*प्रदान करते हुए*
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*मुख्य प्रवचन*
*के कार्यक्रम की*
*विशेष झलकियां*
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*दिनांक:*
*25 मार्च 2018*
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*प्रस्तुति:*
🌻 *संघ संवाद* 🌻
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🧘♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘♂
🙏 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत मौलिक प्रवचन
👉 *प्रेक्षा वाणी: श्रंखला ८४* - *कार्य कौशल और प्रेक्षाध्यान १*
एक *प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें*
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*
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