16.11.2018 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 16.11.2018
Updated: 19.11.2018

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👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 16 नवम्बर 2018

प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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Update

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙

📝 *श्रंखला -- 470* 📝

*धर्मध्वज आचार्य धर्मसिंह*

*जीवन-वृत्त*

गतांक से आगे...

धर्मसिंहजी इस कड़ी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए। यतिजी से आशीर्वाद एवं अनुमति प्राप्त कर वहां से चले। अहमदाबाद के दरियापुरी दरवाजे पर जाकर रुके। वहां उन्होंने प्रथम धर्मदेशना दी। निर्भीकता एवं साहस के साथ लोंकाशाह की नीति का बिगुल बजाया। धर्मसिंहजी द्वारा क्रियोद्धार करने का यह प्रसंग वीर निर्वाण 2162 (विक्रम संवत् 1692) का है।

धर्मसिंहजी आगम के गंभीर अध्येता थे। उनका शास्त्रीय अध्ययन तलस्पर्शी था। वाणी में ओज था। सैकड़ों व्यक्तियों ने उनके विचारों का अनुगमन किया। कई व्यक्ति उनसे दीक्षित हुए एवं मुनि जीवन में प्रवेश किया।

क्रियोद्धारक धर्मसिंहजी का मुख्य विहरण क्षेत्र गुजरात में सौराष्ट्र था। श्रमण जीवराजजी ने लोंकाशाह के मत का अनुगमन करते हुए समयसाधना हेतु नियमोपनियम बनाए और आचार्य धर्मसिंहजी ने उन्हें दृढ़ता प्रदान की।

यति संप्रदाय से अलग होने के बाद आचार्य धर्मसिंहजी ने पहला प्रवचन दरियापुरी दरवाजे पर किया, अतः उनका संप्रदाय दरियापुरी संप्रदाय के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

*साहित्य*

श्री धर्मसिंहजी की मेधा निर्मल थी। उन्होंने 27 जैन आगमों पर टब्बों की रचना की। उनके टब्बे दरियापुरी टब्बे के नाम से प्रसिद्ध हैं। इन टब्बों की रचना धर्मसिंहजी ने क्रियोद्धार करने से पहले की थी। इस रचना कार्य में देवजी यति की प्रेरणा थी। देवजी यति के स्थान पर कहीं शिवजी यति का भी उल्लेख आता है। धर्मसिंहजी को शिवजी यति का शिष्य बताया जाता है।

*समय-संकेत*

स्थानकवासी संप्रदाय में आचार्य धर्मसिंहजी का नाम क्रियोद्धारक के रूप में प्रसिद्ध है। उनका स्वर्गवास वीर निर्वाण 2198 (विक्रम संवत् 1728) में आश्विन कृष्णा चतुर्थी को हुआ। आचार्य धर्मसिंहजी का टब्बा साहित्य के रूप में जैन समाज को विशेष अवदान है। जैन आगम ग्रंथों के गूढ़ शब्दों को समझने के लिए ये टब्बे उपयोगी बने।

*धर्मोद्योतक आचार्य धर्मदास के प्रभावक चरित्र* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡

📜 *श्रंखला -- 124* 📜

*श्रीचंदजी गधैया*

*बन्दूकें तन गईं*

पुत्र-वधू की दीक्षा संपन्न हो जाने के पश्चात् वापस सरदारशहर जाने की तैयारी हुई। बहन-बेटियों का पूरा परिवार उनके साथ था। सभी प्रकार से सुरक्षा की व्यवस्था लेकर ही वे आए थे और वापस भी उसी व्यवस्था पूर्वक जा रहे थे। दस-बारह राजपूत उनके साथ थे। लगभग बारह बैलियों (रथों) और ऊंटों का वह काफिला वहां से चला। राजलदेसर तक का मार्ग तो उन्होंने सकुशल पार कर लिया उसके आगे वे लोग 'देगां' की ओर बढ़े।

उन दिनों रूपजी चावड़ां का डाकू-दल बहुत उपद्रव किया करता था। आसपास के सभी गांवों में उसका आतंक छाया हुआ था। संयोगवश उस रात वे लोग भी राजलदेसर और देगां के बीच के जंगल में ही कहीं विश्राम कर रहे थे। जब यह काफिला उनके निकट पहुंचा तो वे सावधान हो गए। घर बैठे इतनी बड़ी खेप पा जाने कि उनके मन में अवश्य ही प्रसन्नता आई होगी, परंतु जब इतने आदमियों को देखा तब बिना समझे-बूझे ही उनसे उलझ पड़ने की भूल उन्होंने नहीं की। शायद बलाबल को टंटोलने की दृष्टि से ही रूपजी ने व्यंग में कोई चुभती बात कह दी। उधर से भी उतना ही व्यंग भरा उत्तर मिला। दूसरे ही क्षण रूपजी का गर्व मानो फुफकार उठा। वे बोले— "क्या मरना ही चाहते हो?"

इधर से भी उतना ही सनसनाता हुआ उत्तर मिला— "मार कर ही मरेंगे, पहले नहीं।"

बात का रुख देखते ही मिद्दू खां और गोपालजी जो कि श्रीचंदजी के पूर्ण विश्वस्त व्यक्ति थे, बंदूकें तान कर आ गए आ गए। अन्य राजपूत भी ऊंटों को गोलाई में लेते हुए उन्हें घेरने का प्रयास करने लगे। रूपजी ने जब इतने राजपूतों को देखा तो बात को मोड़ देते हुए बोले— "हम लोग तुम्हें छेड़ते थोड़े ही हैं। तुम अपने मार्ग जाओ, हम अपने मार्ग जाते हैं।

लड़ना उन्हें भी नहीं था, अतः सावधानी बरतते हुए आगे बढ़ गए। सशस्त्र झड़प होते-होते बच गई।

*महान् शासन-सेवी... महान् उपासक... आचार्यों के कृपापात्र श्रावक श्रीचंदजी गधैया के परिवार के साथ आचार्यश्री कालूगणी के दर्शनार्थ जाते समय मार्ग में घटित एक घटना* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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आचार्य श्री महाश्रमण
प्रवास स्थल
माधावरम, चेन्नई

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*गुरवरो धम्म-देसणं*

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आचार्य प्रवर के
मुख्य प्रवचन के
कुछ विशेष दृश्य

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कार्यक्रम की
मुख्य झलकियां

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दिनांक:
16 नवम्बर 2018

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प्रस्तुति:
🌻 *संघ संवाद* 🌻

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