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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 429* 📝
*रमणीय रचनाकार आचार्य रामचन्द्र*
*साहित्य*
आचार्य रामचंद्र का साहित्य उल्लेखनीय है। उन्होंने मौलिक एवं लोकोपयोगी ग्रंथों का सृजन किया। उस समय गुजरात में लगभग दो दर्जन संस्कृत नाटकों की रचनाएं हुईं उनमें ग्यारह नाटकों के रचनाकार रामचंद्र थे। उस समय संस्कृत नाटक रचना की कई विधाएं प्रचलित थीं। चार विधाओं में संस्कृत नाटक कृतियों की रचना आचार्य रामचंद्र ने की। 'नाट्यदर्पण' आचार्य रामचंद्र के ग्रंथों में अधिक प्रसिद्ध है। कुमार विहार शतक, द्रव्यालङ्कार ग्रंथ– ये भी रामचंद्राचार्य के प्रमुख ग्रंथ हैं। कतिपय मुख्य ग्रंथों का परिचय इस प्रकार है
*नाट्यदर्पण* आचार्य रामचंद्र ने कई नाटक लिखे। उनमें उनको नाट्यदर्पण ग्रंथ की रचना से विशेष ख्याति प्राप्त हुई।
उन्होंने नाट्यदर्पण में कई नवीन दृष्टियां प्रदान कीं। नाटक के प्रकारों एवं रसों के वर्णन में उनका अपना मौलिक चिंतन था। उनका चिंतन अन्य नाटक से उधार लिया हुआ नहीं था। भरत नाट्यशास्त्र से उनका वर्णन पृथक् है।
बहुविध सामग्री से परिपूर्ण लोकोपयोगी यह ग्रंथ सरस है। इसमें चालीस से अधिक नाटकों के उद्धरण हैं। संस्कृत के उपलब्ध, अनुपलब्ध कई नाटकों के उल्लेख हैं। इसमें उनकी गहन अध्ययनशीलता का परिचय मिलता है। अभिनव कलाओं की व्यंजना और मौर्यकाल के इतिहास की झांकी इस ग्रंथ में है। विशाखदत्त के देवीचंद्रगुप्त नामक नाटक के कई उद्धरणों से गुप्तकाल का इतिहास भी इससे ज्ञात होता है। विशाखदत्त का यह नाटक वर्तमान में अनुपलब्ध है।
सामान्य कथावस्तु को नाटकीय रूप में परिवर्तित करने की उनमें अद्भुत क्षमता थी।
रामचंद्र ने इस नाटक में जिन ग्यारह नाटकों का उल्लेख किया है उनमें 'सत्य हरिश्चंद्र नाटक' ऐतिहासिक है। यह कृति सरस, शिक्षात्मक, सुभाषितों एवं मुहावरों से मंडित है। इटालियन भाषा में भी इसका अनुवाद हुआ है।
'नवविलास' नाटक में सात अंक हैं। इस कथावस्तु का मूल आधार महाभारत है। इस कृति में अनेक शिक्षात्मक सुभाषित हैं।
'मल्लिका-मरकन्द' सामाजिक भूमिका पर आधारित सुखांत नाटक है। इसकी कथा काल्पनिक है।
'कौमुदी मित्रानन्द' नाटक भी सामाजिक है। इसके दश अंग हैं। इसे कौमुदी नाटक कहते हैं। डॉ. कीथ के अभिमत से यह कृति पूर्ण रूप से अनाटकीय है। रचनाकार ने इसको प्रकरण माना है।
'रघुविलास' नाटक का मूल आधार जैन रामायण है। इसके आठ अंक हैं।
'निर्भयभीमव्यायोग' नाटक के रूपक का आधार महाभारत है। यह रचना प्रसादगुण से संपन्न है।
रोहिणीमृगाङ्क, राघवाभ्युदय, यादवाभ्युदय, वनमाला ये चारों रचनाएं अनुपलब्ध हैं। 'सुधा-कलश' सुभाषितों का कोश है।
लौकिक विषयों पर आचार्य रामचंद्र जैसा सांगोपांग विवेचन विरले ही आचार्यों में होता है।
*रमणीय रचनाकार आचार्य रामचन्द्र के द्रव्यालङ्कार कृति एवं उनके आचार्य-काल के समय-संकेत* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡
📜 *श्रंखला -- 83* 📜
*फूसराजजी चोपड़ा*
*गंगाशहर में*
गंगाशहर निवासी श्रावक फूसराजजी चोपड़ा का जीवन काल संवत् 1909 से 1976 माघ कृष्णा 4 था। तीन भाइयों में वे ज्येष्ठ थे। उनके छोटे दो भाइयों के नाम क्रमशः लाभूरामजी और गुमानीरामजी थे। तीनों भाइयों में परस्पर घनिष्ठ प्रेम था। फूसराजजी के सात संताने हुईं। उनमें दो पुत्र और पांच पुत्रियां थीं। सुप्रसिद्ध श्रावक समाजभूषण छोगमलजी चोपड़ा उनके ज्येष्ठ पुत्र थे।
फूसराजजी मूलतः देराजसर के निवासी थे। छोटे गांव में बसे हुए ओसवाल प्रायः शहरों में बस जाना पसंद करने लगे थे। उसी क्रम में वह परिवार भी संवत् 1966 में गंगाशहर आ गया। वहीं पर उनका संपर्क साध्वी गंगाजी से हुआ। फलस्वरूप उनकी वृत्ति धर्म ध्यान की ओर विशेष रूप से झुक गई। गंगाशहर में प्रथम चातुर्मास मुनि आनंदरामजी का हुआ और वह उन्हीं के मकान में हुआ।
*प्रधान मुनीम*
सर्वप्रथम संवत् 1929 में वे बंगाल गए। मुर्शिदाबाद निवासी सेठ इंद्रचंदजी नाहटा के यहां काम सीखने के लिए रहे। प्रारंभ में केवल ढाई रुपए मासिक वेतन में उन्होंने वहां कार्य किया। जो भी कार्य उन्हें सौंपा जाता उसे वे अत्यंत कुशलता से संपन्न करते। उनकी क्षमता से प्रभावित होकर मालिकों ने शीघ्र ही उनका वेतन बढ़ाना प्रारंभ कर दिया। उन्होंने वेतन बढ़ाने के लिए अपनी ओर से कभी कुछ नहीं कहा। संवत् 1948 से 1966 तक के 18 वर्षों का जमा खर्च नाहटाजी ने 501 रूपये वार्षिक के हिसाब से 1501 रूपये एक साथ कराए थे। इस प्रकार क्रमिक प्रगति करते हुए कालांतर में वे नाहटाजी के वहां प्रधान मुनीम बन गए। नाहटाजी का काम कलकत्ता, माहीगंज, दिनाजपुर, सिताबगंज, जियागंज, आईसढाल, काउनिया आदि अनेक स्थानों पर था। फूसराजजी माहीगंज या कलकत्ता में रहा करते थे। देख-रेख के लिए यथावसर अन्य स्थानों पर भी जाते-आते रहते थे।
*देश-प्रेम*
फूसराजजी धर्मानुरागी और नीतिनिष्ठ व्यक्ति थे। देश-प्रेम भी उनका बहुत उच्च कोटि का था। वे उस युग में भी किसी प्रकार की विदेशी वस्तुओं का प्रयोग नहीं करते थे। यहां तक के वृद्धावस्था में देशी मलमल का थान वे सदा अपने साथ रखने लगे थे। ताकि मृत्यु के पश्चात् उनके शरीर पर कफन के रूप में भी कोई विदेशी वस्तुओं का उपयोग न कर पाए। अपने पारिवारिकों के लिए भी उनका यही आदेश था कि देशी वस्तुओं के लिए चाहे मूल्य अधिक ही क्यों न देना पड़े किंतु कोई विदेशी वस्तुओं का उपयोग न करें। स्वदेशी आंदोलन प्रारंभ होने के साथ ही वे इतने कट्टर स्वदेशी भक्त हो गए थे।
*कूपमंडूक नहीं*
संवत् 1944 में इंद्रचंदजी नाहटा तथा इंद्रचंदजी दूधोड़िया ने जब मारवाड़ी समाज में सर्वप्रथम विदेश यात्रा की तब वापस लौटने पर समाज के धुरिणों में उनको जाति बहिष्कृत कर दिया। इस प्रश्न को लेकर ओसवाल समाज देशी और विलायती इन दो धड़ों में विभक्त हो गया। जातिगत वह कलह वर्षों तक समाज को मथता रहा। फूसराजजी ने उस समय विदेश यात्रा के समर्थन का पक्ष लिया। कूपमंडूकता को प्रश्रय देना उन्हें कभी अभीष्ट नहीं हुआ।
*गंगाशहर के श्रावक फूसराजजी चोपड़ा के जीवन प्रसंग से जुड़ी नमक की बोरियों की घटना* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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🏛 *जैन विश्व भारती* की 47वीं वार्षिक साधारण सभा में *अध्यक्ष, मुख्य न्यासी, न्यासी, पंचमण्डल सदस्य* कुल 12 जनों के *निर्वाचन* का संक्षिप्त वीडियो..
दिनांक: 20/08/2018
प्रस्तुति: *अमृतवाणी*
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 21 सिंतबर 2018
प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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🔰 *भावभरा आमंत्रण* 🔰
💠 *सिर्फ 1 दिन शेष*💠
💢 *216 वां भिक्षु चरमोत्सव*💢
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*125 फिट ऊंचे*
*जैन ध्वज स्तंभ का*
*होगा उद्घाटन*
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💠 *सान्निध्य* 💠
*शासन श्री मुनि श्री रविंद्रकुमार जी*
*व तपोमूर्ति मुनि श्री पृथ्वीराज जी*
💥 *विराट भिक्षु भक्ति संध्या*💥
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*गूजेंगी स्वर लहरी*
*झूमेंगे भिक्षु भक्त*
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*दिनांक - 22 सितम्बर 2018, सिरियारी*
♨ *आयोजक-निमंत्रक:- आचार्य श्री भिक्षु समाधि स्थल संस्थान, सिरियारी*♨
प्रसारक -🌻 *संघ संवाद* 🌻
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⛩ *चेन्नई (माधावरम), महाश्रमण समवसरण में..*
📿 *आचार्य श्री डालगणी परिनिर्वाण दिवस*
🌐 *उग्र-विहारी देश - विदेशे विचर वरी विख्याति,*
*अदभुत अनुभव प्राप्त किए क्या वर्णी जाए ख्याति।*
*बड़े भाग्य से शासन में ऐसे शासनपति आए।।* 🙏🏻
*गुरुवरो धम्म-देसणं!*
👉 आज के *"मुख्य प्रवचन"* और *"डालगणी परिनिर्वाण दिवस"* के *कुछ विशेष दृश्य..*
दिनांक: 21/09/2018
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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
*प्रेक्षा प्रयोग है चिर यौवन का: वीडियो श्रंखला १*
👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*
*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482
संप्रेषक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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