Update
🌻 *जैन विश्व भारती के सत्र 2018-2020 के लिए अध्यक्ष, मुख्य न्यासी, न्यासी एवं पंचमण्डल सदस्यों का हुआ निर्वाचन* 🌻
*अध्यक्ष*
श्री अरविन्द संचेती - अहमदाबाद
*मुख्य न्यासी*
श्री मनोज लूणिया - शिलोंग
*न्यासी*
श्री बाबूलाल बोथरा - कोलकाता
श्री रमेश गोयल - कोलकाता
श्री कैलाश डागा - जयपुर
श्री जोधराज बैद - दिल्ली
श्री कमल किशोर ललवानी - कोलकाता
श्री चांदरत्न दूगड़ - मुम्बई
श्री महेंद्र श्रीमाल - बेगलुरु
*पंचमण्डल सदस्य*
श्री रमेश धाकड़ - मुम्बई
श्री मूलचन्द नाहर - बैंगलुरु
श्री रूपचन्द दूगड़ - मुम्बई
प्रसारक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 माधावरम, *चेन्नई*: *श्री अरविंद संचेती जैन विश्व भारती के अध्यक्ष निर्वाचित*
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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Update
⛩ *चेन्नई (माधावरम), महाश्रमण समवसरण में..*
*गुरुवरो धम्म-देसणं!*
👉 *पूज्य गुरुदेव के पावन सान्निध्य में जैन विश्व भारती - अधिवेशन का आयोजन..*
👉 *आज के "मुख्य प्रवचन" कार्यक्रम के कुछ विशेष दृश्य..*
💠 *परम पावन पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी के दर्शनार्थ* पहुंचे तमिलनाडु राज्य के *उपमुख्यमंत्री माननीय श्री ओ.पन्नीरसेल्वम*..
दिनांक: 20/09/2018
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News in Hindi
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🔰 *भावभरा आमंत्रण* 🔰
💠 *सिर्फ 2 दिन शेष*💠
💢 *216 वां भिक्षु चरमोत्सव*💢
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*125 फिट ऊंचे*
*जैन ध्वज स्तंभ का*
*होगा उद्घाटन*
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💠 *सान्निध्य* 💠
*शासन श्री मुनि श्री रविंद्रकुमार जी*
*व तपोमूर्ति मुनि श्री पृथ्वीराज जी*
💥 *विराट भिक्षु भक्ति संध्या*💥
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*गूजेंगी स्वर लहरी*
*झूमेंगे भिक्षु भक्त*
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*दिनांक - 22 सितम्बर 2018, सिरियारी*
♨ *आयोजक-निमंत्रक:- आचार्य श्री भिक्षु समाधि स्थल संस्थान, सिरियारी*♨
प्रसारक -🌻 *संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 428* 📝
*रमणीय रचनाकार आचार्य रामचन्द्र*
*जीवन-वृत्त*
गतांक से आगे...
समस्या पूर्त्यात्मक श्लोक को सुनकर सिद्धराज जयसिंह को अत्यंत प्रसन्नता हुई। उसी समय इन्हें 'कविकटारमल्ल' की उपाधि से विभूषित किया।
हेमचंद्राचार्य के स्वर्गवास के बाद धर्मसंघ के संचालन का दायित्व मुनि रामचंद्र पर आया। मुनि रामचंद्र इस गुरुतर कार्य के लिए योग्य थे।
आचार्य हेमचंद्र के प्रति महाराज सिद्धराज जयसिंह जैसा ही धार्मिक अनुराग महाराज कुमारपाल में भी था। आचार्य हेमचंद्र के स्वर्गवास की सूचना पाकर कुमारपाल का हृदय शोक वेदना से विक्षुब्ध हो गया। उस संकट की घड़ी को धैर्यपूर्वक पार करने में मुनि रामचंद्र का योग सहायक हुआ।
एक अन्य घटना आचार्य हेमचंद्र के शासनकाल की है। वाराणसी के विश्वेश्वर कवि किसी समय पाटण में आए। हेमचंद्र की सभा में पहुंचे। नरेश कुमारपाल वहीं थे। विश्वेश्वर कवि ने नरेश कुमारपाल को आशीर्वाद देते हुए व्यंगपूर्ण भाषा में कहा
'पातु वो हेमगोपालः दण्ड-कम्बलमुदवहन्'
दण्ड, कम्बलधारी हेमगोपाल आपकी रक्षा करे।
हेमगोपाल का संबोधन देकर कही गई यह बात नरेश कुमारपाल को उचित नहीं लगी। उनकी भौहें वक्र हो गईं। तभी रामचंद्र श्लोकार्द्ध की पूर्ति करते हुए बोले
*"षड्दर्शनपशुग्रामं चारयन् जैनगोचरे"*
नरेश कुमार पाल मुनि रामचंद्र की आशु रचना पर प्रसन्न हुए। विश्वेश्वर कवि को मुनि की प्रत्युत्पन्नमति से सबके सामने लज्जित होना पड़ा।
सिद्धराज जयसिंह विक्रम संवत् 1991 में मालव विजय प्राप्त करके लौटे। उस समय जैनों के प्रतिनिधि रूप में हेमचंद्राचार्य ने विजय सिद्धराज जयसिंह को आशीर्वचन दिया। इस घटना के बाद रामचंद्राचार्य का सिद्धराज जयसिंह से परिचय मुनि अवस्था में हुआ। विक्रम की 12वीं शताब्दी के संपन्न होने से पूर्व ही नरेश सिद्धराज जयसिंह का देहावसान हो गया था।
*रमणीय रचनाकार आचार्य रामचन्द्र द्वारा रचित साहित्य* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡
📜 *श्रंखला -- 82* 📜
*हस्तीमलजी दुगड़*
*आज चले जाना है*
प्रातःकाल के समय हस्तीमलजी अपने पौत्र को प्रायः अत्यंत आवश्यकता होने पर ही जगाया करते थे, अन्यथा प्रतीक्षा कर लेते थे। पौत्र देरी से उठता, तब उन्हें उपालंभ देता कि आप मुझे जगह क्यों नहीं लेते? वे कहते— "बहुत आवश्यक हुए बिना मैं तेरी नींद में व्याघात क्यों करूं?" न जगाने के लिए पौत्र उन्हें बहुधा उपालंभ देता रहता था।
एक दिन हस्तीमलजी ने पौत्र कनकमलजी को प्रातः शीघ्र ही आवाज देकर जगाया और अपने पास बुलाया। वे बोले— "तू रोज-रोज उपालंभ देता है, इसलिए आज तुझे जल्दी जगा लिया है। बस इस जीवन का यह अंतिम दिन है। आज मुझे चले जाना है।"
पौत्र कनकमलजी ने कहा— "आप ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं? क्या आज आपके शरीर में कोई विशेष गड़बड़ है?"
हस्तीमलजी ने कहा— "नहीं, कोई अतिरिक्त गड़बड़ नहीं है, परंतु मेरा अनुभव बतलाता है कि इस यात्रा का अब किनारा आ गया है।"
पौत्र का अनुमान रहा कि अवश्य ही कुछ न कुछ अस्वस्थता बढ़ी है। अन्यथा चले जाने तक की बात क्यों कहते? वे तत्काल गए और डॉक्टर शिवनाथचंदजी को बुला लाए।
डॉक्टर को देखकर उन्होंने पौत्र को उपालंभ दिया कि व्यर्थ में इन को कष्ट क्यों दिया? परंतु डॉक्टर के आग्रह पर उन्होंने शारीरिक परीक्षा करवा ली। डॉक्टर को चालू रोग के अतिरिक्त कोई नई गड़बड़ नहीं मिली। उसने कहा— "शरीर में कोई नया परिवर्तन नहीं है, अतः आप निश्चिंत रहें।"
हस्तीमलजी ने कहा— "आपको चाहे कोई परिवर्तन दृष्टिगत नहीं होता हो, पर मुझे आज मेरी नाड़ी में काफी परिवर्तन लग रहा है इसलिए मैं समझता हूं कि मेरे लिए आज का दिन अंतिम है।" उनका कथन सत्य निकला मध्याह्न में उनकी जीभ मोटी पड़ गई और उन्हें बोलने में कठिनाई होने लगी। अंतिम समय समीप आता देखकर उन्होंने तिविहार संधारा ग्रहण कर लिया। उस वर्ष साध्वी सोहनांजी (राजनगर) का वहां चातुर्मास था। सूचना होते ही वे आईं और लगभग तीन घंटे तक वहां ठहरकर आध्यात्मिक सहयोग दिया। उनके जाने के कुछ देर पश्चात् ही लगभग 4:00 बजे 80 वर्ष की अवस्था में संवत् 1987 कार्तिक शुक्ला 2 को उनका देहांत हो गया।
*गंगाशहर के श्रावक फूसराजजी चोपड़ा के प्रेरणादायी जीवन-वृत्त* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
*अपने प्रभु का साक्षात्: वीडियो श्रंखला ५*
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