01.09.2018 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 03.09.2018
Updated: 23.09.2018

News in Hindi

Video

Source: © Facebook

👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 01 सितम्बर 2018

प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻

🍁🌸🌺🌼🍁

🏝
*155 वां*
मर्यादा महोत्सव
कोयम्बत्तूर


मर्यादा महोत्सव
: दिनांक:
10,11,12
फरवरी 2019

🏤
आचार्य प्रवर का
: प्रवास:
06 फरवरी से
18 फरवरी 2019

🗯
अग्रीम बुकिंग
हेतु
संपर्क सूत्र
🏘
आवास व्यवस्था
नम्बर
7092111177
7092111188
🚘
यातायात व्यवस्था
नम्बर
7092666622
7092666688
🚨
हेल्पलाइन
7871714444

🌿
: प्रस्तुति:
आचार्य महाश्रमण
मर्यादा महोत्सव
व्यवस्था समिति
कोयम्बत्तूर

🌻
: प्रसारक:
*संघ संवाद*

🍁🌸🌺🌼🍁

Source: © Facebook

👉 गांधीधाम - तप अभिनन्दन समारोह का आयोजन
👉 सिलीगुड़ी -ATDC के संचालन कमेटी का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित
👉 अमराईवाड़ी-ओढव - संकल्प संगठन यात्रा

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Video

01September 2018

❄⛲❄⛲❄⛲❄⛲❄

👉 *परम पूज्य आचार्य प्रवर* के
प्रतिदिन के *मुख्य प्रवचन* को
देखने- सुनने के ‌लिए
नीचे दिए गए लिंक पर
क्लिक करें....⏬

https://youtu.be/0OyTokDZANA

📍
: दिनांक:
*01 सितंबर 2018*

: प्रस्तुति:
❄ *अमृतवाणी* ❄

: संप्रसारक:
🌻 *संघ संवाद* 🌻

❄⛲❄⛲❄⛲❄⛲❄

🔰🎌♦♻♦♦♻♦🎌🔰


आचार्य श्री महाश्रमण
प्रवास स्थल
माधावरम, चेन्नई

🔮
परम पूज्य गुरुदेव
मंगल उद्बोधन
प्रदान करते हुए

📒
आचार्य प्रवर के
मुख्य प्रवचन के
कुछ विशेष दृश्य

🏮
कार्यक्रम की
मुख्य झलकियां

🎗️
टी.पी.एफ के
राष्ट्रीय अधिवेशन
का शुभारंभ

📮
दिनांक:
01 सितंबर 2018

🎯
प्रस्तुति:
🌻 *संघ संवाद* 🌻

🔰🎌♦♻♦♦♻♦🎌🔰

Source: © Facebook

👉 दिल्ली - *प्रभावक संथारे का सातवां दिन सानन्द गतिमान....*

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙

📝 *श्रंखला -- 414* 📝

*कलिकालसर्वज्ञ आचार्य हेमचन्द्र*

*राजवंश*

गतांक से आगे...

सोमेश्वर यात्रा के पूर्व एक बार कुमारपाल ने सोमनाथ के मंदिर में जीर्णोद्धार का कार्य प्रारंभ किया। इस कार्य की निर्विघ्न समाप्ति के लिए कुमारपाल ने हेमचंद्राचार्य से मार्गदर्शन चाहा। हेमचंद्राचार्य ने कहा "राजन्! कार्य की निर्विघ्न संपन्नता के लिए ध्वजारोहण पर्यंत पूर्ण ब्रह्मचारी रहो तथा सुरापान और मांसाहार का पूर्णतः परिहार करो।" हेमचंद्राचार्य का मार्गदर्शन पाकर कुमारपाल प्रसन्न हुआ। उसने सुरापान आदि का परित्याग कर व्रत प्रधान जीवन प्रारंभ किया।

हेमचंद्राचार्य के योग से कुमारपाल अध्यात्म की ओर अग्रसर होता गया। वह अपने जीवन में सातों व्यसनों से मुक्त हो गया। नवरात्रि आदि के उत्सव प्रसंगों पर उसने पशु वध पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया एवं नागरिकों को व्यसन परिहार हेतु निर्देश दिए। प्रबंध चिंतामणि के अनुसार कुमारपाल ने अपने अधीनस्थ 18 देशों में 14 वर्ष तक के लिए अमारि की घोषणा करवाई। वह स्वयं विक्रम संवत् 1216 में मार्गशीर्ष शुक्ला द्वितीया के दिन सम्यक् रत्न को स्वीकार कर बारह व्रतधारी श्रावक बना।

के. एम. मुंशी ने कुमारपाल की मृत्यु के चार वर्ष पूर्व तक उसे शैव माना है। मुंशीजी ने लिखा है "Kumarpala was a Shaiva still in 1169, four years prior to his death."

शिलालेखों में कुमारपाल को 'महेश्वर नृपागणी' कहकर संबोधित किया गया है। जैन ग्रंथों में कुमारपाल के साथ परमार्हत विशेषण आता है। यह विशेषण उसके जैन होने का सूचक है।

हेमचंद्राचार्य ने जीवन के संध्याकाल में शत्रुञ्जय की यात्रा की। उस समय नरेश कुमारपाल उनके साथ था। संभवतः हेमचंद्राचार्य की यह अंतिम तीर्थयात्रा थी।

प्रभावक चरित ग्रंथ के हेमचंद्र प्रबंध में सिद्धराज जयसिंह, कुमारपाल के साथ शाकंभरी के अर्णोराज, आबू के विक्रमसिंह, चंद्रावली के मल्लिकार्जुन, नवधण, खेंगार आदि राजाओं का मंत्री उदयन, मंत्री बागभट्ट और आम्रभट्ट (आंबड), कवि श्रीपाल, कवि देवबोध आदि विशिष्ट व्यक्तियों का उल्लेख इतिहास गवेषक विद्यार्थियों के लिए महत्त्वपूर्ण है।

उदयन सिद्धराज जयसिंह के राज्य में अमात्य पद पर प्रतिष्ठित था। वह स्वामीभक्त था। सामान्य अवस्था में एक बार कुमारपाल मंत्री उदयन से सहयोग प्राप्त करने के लिए गया। कुमारपाल उस समय जयसिंह सिद्धराज का कोपभाजन होने के कारण मंत्री उदयन ने कुमारपाल की उपेक्षा की। यह वफादार मंत्री होने का लक्षण था। नरेश बनने के बाद कुमारपाल ने मंत्री उदयन के इस गुण की प्रशंसा की। बागभट्ट और आम्बड उदयन के पुत्र थे। बागभट्ट कुमारपाल के राज्य में मंत्री पद पर नियुक्त हुआ।

उदयन, बागभट्ट और आंबड तीनों जैन धर्म के प्रति आस्थाशील थे। सिद्धराज जयसिंह और कुमारपाल की भांति इन तीनों की जैन धर्म की प्रभावना में महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।

*कलिकालसर्वज्ञ हेमचंद्राचार्य द्वारा रचित साहित्य* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡

📜 *श्रंखला -- 68* 📜

*उदयचंदजी बैद (ताराणी)*

*महान् संलेखना*

गतांक से आगे...

पारिवारिक जनों के साथ उन्होंने दूसरे ही दिन गंगाशहर में कालूगणी के दर्शन किए। लगभग 17-18 दिन तक वहां ठहरे। जब वापस आने का समय हुआ तब उन्होंने आचार्यश्री से संथारा करा देने की प्रार्थना की। आचार्यश्री ने कहा— "संथारा तो उचित अवसर देखकर ही करवाया जा सकता है, परंतु अभी तुम्हारे जो संलेखना चल रही है। वह भी तो असाधारण है।" उदयचंदजी ने कहा— "इस तपस्या में यदि आप मुझे संयम दे दें तो मेरा जीवन सफल हो जाए।" कालूगणी ने इस प्रार्थना को भी अवसरानुकूल नहीं माना और स्वीकार नहीं किया। उन्होंने तब तीसरी प्रार्थना करते हुए कहा— "गुरुदेव! तीन महीने की तपस्या हो जाने के कारण अब धर्म स्थान में आने-जाने की मेरी शक्ति नहीं रही। इसलिए राजलदेसर में विराजित साध्वियों को आज्ञा दें कि वे मेरे घर पर पधार कर प्रतिदिन घंटा भर के लिए मुझे सेवा कराएं और धर्म ध्यान सुनाएं।" आचार्यश्री ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और तदनुरूप आदेश दे दिया। उदयचंदजी तब आषाढ़ शुक्ला 4 को वापस राजलदेसर आ गए।

राजलदेसर में उन दिनों साध्वी प्रमुखा महासती जेठांजी का स्थिरवास था। प्रतिदिन मध्याह्न में दो साध्वियों को उनके घर भेज कर उन्हें धर्म ध्यान का सहाय देती रहीं। इस प्रकार एक महीना और व्यतीत हो गया। श्रावण शुक्ला 4 को सायंकालीन 4:00 बजे के लगभग वायु प्रकोप के कारण वे कुछ असावधान हो गए। पारिवारिकों ने अंतिम समय निकट समझ कर उन्हें धरती पर बिछौना बिछाकर सुला दिया और साध्वियों को दर्शन देने तथा संथारा कराने की प्रार्थना की। साध्वी प्रमुखा के आदेश से तत्काल दो साध्वियों ने वहां आकर दर्शन दिए और पूछा— "उदयचंदजी संथारा करवा दें।" वे पूर्ण सावधान तो नहीं थे, फिर भी उन्होंने दोनों हाथ जोड़ लिए। साध्वियों ने उनकी स्वीकृति समझ कर उन्हें आजीवन तिविहार अनशन करवा दिया। साध्वियों को वापस गए थोड़ा ही समय हुआ था कि लगभग 5:00 बजे वे सचेत हो गए। उन्होंने स्वयं को धरती पर सोए देखा तो परिजनों से पूछा— "मुझे धरती पर क्यों सुलाया गया है?" भतीजे हुकमचंद जी ने कहा— "आपकी शारीरिक स्थिति काफी डांवाडोल लगी, अतः बिछौना धरती पर कर दिया और आपको संथारा करवा दिया। आपके संथारा चलेगा तब तक मैंने, वीरां भुआजी ने तथा अणचा भुआजी ने भी तिविहार व्रत ग्रहण कर लिया है। आप के पुत्र तथा पुत्र वधू ने नियमित पांच द्रव्यों से अधिक का त्याग कर दिया है।"

*श्रावक उदयचंदजी बैद (ताराणी) अपने भतीजे हुकमचंदजी की इस बात पर क्या प्रतिक्रिया दी...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
https://www.facebook.com/SanghSamvad/
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आचार्य श्री महाश्रमण
प्रवास स्थल, माधावरम,
चेन्नई.......


परम पूज्य आचार्य प्रवर
के प्रातःकालीन भ्रमण
के मनमोहक दृश्य....

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दिनांक:
01 सितम्बर 2018

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शारीरिक स्वास्थ्य व प्रेक्षा ध्यान

प्रेक्षा ध्यान, मौलिक प्रवचन - ५

https://youtu.be/CgP3bh2QGgw

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

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🌻 *संघ संवाद* 🌻

👉 चेन्नई - *श्री निर्मल कोटेचा टी.पी.एफ. के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं डॉ निर्मल चौरड़िया मुख्य न्यासी मनोनित*

*प्रस्तुति 🌻संघ संवाद*🌻

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Sources

Sangh Samvad
SS
Sangh Samvad

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  1. अनशन
  2. अमृतवाणी
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  4. आचार्य महाप्रज्ञ
  5. आचार्य महाश्रमण
  6. दर्शन
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