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*22/07/2018 आचार्य श्री महाश्रमण जी एवं चारित्रात्माओं के दक्षिण भारत में सम्भावित विहार/ प्रवास सबंधित सूचना*
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🌈 *"अहिंसा यात्रा" प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी* का चातुर्मासिक प्रवेश *माधावरम, चेन्नई* में हो गया है।
प्रवास स्थल
*Acharya sri Mahashraman 2018 Chaturmas Pravas Sthall*
57, Jain Terapanth Nagar, 58D, Thattankulam Rd, Lotus Colony, J Garden, Madhavaram, Chennai, Tamil Nadu 600060
🍫9444076373,9940335644
*लोकेशन लिंक*
https://goo.gl/maps/xfHr2czNbm92
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री मुनिसुव्रत कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*Terapanth Sabha Bhavan*
Next to -
Prakash Appliance
Achary Shree Tulsi Marg
Robertsonpet *KGF*- 563122 (Karnataka)
☎9602007283,9916532500
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी एवं मुनि श्री रमेश कुमार जी का प्रवास*
*देवेंद्र जी दक के निवास स्थान पर*
ब्रिगेड अपार्टमेंट
नियर मेट्रो कैश एंड कैरी
बैगलौर
☎8085400108,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3 का प्रवास*
*तेरापंथ भवन*
*पूनैराजपुरम*
*कोयम्बत्तूर*
☎8107033307,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री अर्हत कुमार जी ठाणा 3 का प्रवास*
*तेरापंथ भवन*
N.C.S. Road
*विजयनगरम* _ 535002.(A. P.)
☎9665000605,9490302424
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*बजरंग जी कोठारी के निवास स्थान पर*
*Tirupur*
☎9629588016,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 5* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*गॉधीनगर, बैगलौर*
☎080-22912735
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री राकेश कुमारी जी (बायतु) ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
D.V.Colony
*सिकन्दराबाद*
☎9959037737,
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*संघ संवाद+ संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या सुर्दशना श्री जी ठाणा 4 का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*बेल्लारी*
☎6362889726
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*मैसुर*
☎9448023050,
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मधुस्मिता जी ठाणा 6 का प्रवास*
*अर्हम भवन*
*विजयनगर, बैगलौर*
☎7798028703,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*प्रस्तुति:- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 21 जुलाई 2018
प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 साउथ हावड़ा - तिविहार संथारे का प्रत्याखान
👉 श्री गंगानगर - दो धाराओं का आध्यात्मिक मिलन
👉 कालू - तप अभिनंदन का कार्यक्रम आयोजित
👉 आमेट - चातुर्मासिक मंगल प्रवेश एवं कार्यक्रम
👉 जयपुर - चातुर्मासिक मंगल प्रवेश
👉 मैसूर - चातुर्मासिक मंगल प्रवेश एवं सभा और तेयुप का शपथ ग्रहण कार्यक्रम
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 गॉधीनगर (बेंगलुरु): शासन श्री साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 5 का चातुर्मासिक प्रवेश
👉 बेहाला (कोलकाता) - Empowerment के अंतर्गत Elavate yourself आध्यात्मिक कार्यशाला का आयोजन
👉 श्रीरामपुरम (बेंगलुरु): महिला मंडल द्वारा स्कूल में कार्यक्रम आयोजित
👉 जयपुर - सुजोक थेरेपी सेन्टर योगा का उद्घाटन
👉 गांधीनगर (बेंगलुरु): महिला मंडल द्वारा कार्यशाला का आयोजन
👉 जलगाँव - ते.म.म. द्वारा स्वप्रबंधन कार्यशाला का आयोजन
👉 अहमदाबाद - साध्वीवृंद का चातुर्मासिक मंगल प्रवेश एवं स्वागत समारोह
👉 अमराईवाड़ी- ओढव (अहमदाबाद) - चातुरमासिक मंगल प्रवेश
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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❄ *अणुव्रत* ❄
🔮 संपादक 🔮
*श्री अशोक संचेती*
🍀 *जुलाई अंक* 🍀
🌿 पढिये 🌿
*सुप्रभात*
स्तम्भ के अंतर्गत
चार
*विचारोत्तेजक प्रसंग*
🌼
*महिमा मूर्छा की*
🔅
*क्रिया शून्य ज्ञान*
🔅
*यह कैसी बुद्धिमत्ता?*
🔅
*बिम्ब कहां?*
🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿
➿ प्रेषक ➿
*अणुव्रत सोशल मीडिया*
➿ संप्रसारक ➿
🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 चेन्नई - पूज्य प्रवर का चातुर्मासिक मंगल प्रवेश
🌀 *अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण के चातुर्मासिक प्रवेश पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री श्री ई. पल्लनीस्वामी सहित गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति*
दिनांक - 21-07-2018
प्रस्तुति -🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 चेन्नई - गुरुदेव का मंगल चातुर्मासिक प्रवेश
🌀 *दक्षिण की धरा पर आचार्य श्री महाश्रमण का प्रथम ऐतिहासिक चातुर्मास*
🌀 *तेरापंथ धर्म संघ के देदीप्यमान महासूर्य अहिंसा यात्रा प्रणेता पूज्यप्रवर आचार्य श्री महाश्रमण का चेन्नई चातुर्मासिक स्थल माधावरम में भव्य चातुर्मासिक मंगल प्रवेश के ऐतिहासिक पल के अनमोल दृश्य*
दिनांक 21-07-2018
प्रस्तुति -🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 *चेन्नई - पूज्यवर का चेन्नई के चातुर्मास स्थल माधावरम में भव्य मंगल प्रवेश*
🌀 *ऐतिहासिक चातुर्मासिक प्रवेश के अनमोल क्षण*
दिनांक 21-07-2018
प्रस्तुति -🌻 *संघ संवाद* 🌻
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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡
📜 *श्रंखला -- 35* 📜
*किसनमलजी भंडारी*
*व्रतधारी श्रावक*
किसनमलजी को युवाकाल से ही राजकीय कार्यों में व्यस्त रहना पड़ता था, फिर भी अपनी धार्मिक प्रवृत्तियों में भी वे निरंतर जागरूक रहते थे। साधु-साध्वियों के प्रति उनके मन में अत्यंत आदर और श्रद्धा का भाव था। जयाचार्य से लेकर डालगणी तक के के प्रत्येक युग में उन्हें संघ की आवश्यक और अंतरंग सेवाओं का अवसर उपलब्ध होता रहा।
क्रियात्मक धर्म में भी वे किसी से पीछे नहीं थे। माला, जप, सामायिक आदि प्रवृत्तियां उनकी दैनिक चर्या की अभिन्न अंग थीं। संत समागम के अवसर का भी वे भरपूर लाभ उठाते रहते थे। संवत् 1926 में मुनि हंसराजजी ने जोधपुर में चातुर्मास किया। उनकी प्रेरणा से कार्तिक कृष्णा 13 के दिन उन्होंने 32 वर्ष की अवस्था में श्रावक के बारह व्रत धारण किए। उस समय उन सहित 14 व्यक्तियों ने व्रत धारण किए थे। उनमें 6 भंडारी, 4 मुंहता, 3 सुराणा और 1 सिंघवी परिवार का था। उनके नाम क्रमशः इस प्रकार हैं—
भंडारी—
*1.* किसनमलजी
*2.* जसवंतमलजी
*3.* सुखराजजी
*4.* लक्षमणदासजी
*5.* चतुर्भुजजी
*6.* धर्मचंदजी
मुंहता—
*7.* प्रेमचंदजी
*8.* दानमलजी
*9.* आनंदमलजी
*10.* उदयराजजी
सुराणा—
*11.* गोरूरामजी
*12.* कस्तूरचंदजी
*13.* समरथमलजी
सिंघवी—
*14.* समरथराजजी (छगनराजजी के पुत्र)
*मुनि डालचंदजी को उनके आचार्य पद पर चुनाव की सूचना किसने और किस विधि से दी...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 381* 📝
*जिनशासनसेवी आचार्य जिनवल्लभ*
जिनवल्लभसूरि जनवल्लभ थे। ये पहले चैत्यवासी परंपरा में दीक्षित हुए बाद में संविग्न पक्ष की मुनि दीक्षा स्वीकार की। उनका जन्म आशिका (आशीदुर्गपुर) में हुआ। बचपन में ही पिता का साया मस्तक से उठ गया। माता के संरक्षण में बालक का पालन-पोषण हुआ।
*गुरु-परंपरा*
जिनवल्लभसूरि का परिवार चैत्यवादी परंपरा को मानता था। उस समय चैत्यवादी परंपरा प्रभाव में थी। अनेक शहरों और नगरों में उनके मठ थे। मठाधीश मुनि विद्वान् थे तथा प्रभावक थे। चित्तौड़ के चैत्यवासी मठ की एक शाखा कूर्चपुर (मारवाड़) में थी। आशीदुर्ग निवासी जिनेश्वरसूरि उस शाखा के अध्यक्ष थे। जिनवल्लभसूरि बचपन में अपनी मां के साथ जिनेश्वरसूरि के पास धार्मिक शिक्षा लेने आते थे। अध्ययन करते-करते बालक के मन में वैराग्य हो गया और उन्हीं के पास जिनवल्लभ ने दीक्षा ग्रहण की। अतः जिनवल्लभ के प्रथम दीक्षा गुरु चैत्यवासी परंपरा के जिनेश्वरसूरि थे। सुविहितमार्गी परंपरा में उनके गुरु वर्धमानसूरि के शिष्य जिनेश्वरसूरि और टीकाकार अभयदेवसूरि थे।
*जीवन-वृत्त*
मुनि जिनवल्लभ की बुद्धि प्रखर थी। चैत्यवासी जिनेश्वरसूरि ने उन्हें व्याकरण, काव्य, न्याय, दर्शन आदि विविध विषयों का प्रशिक्षण दिया। कई चामत्कारिक विद्याएं प्रदान कीं और उनकी नियुक्ति वाचनाचार्य पद पर की।
बाल मुनि जिनवल्लभ की प्रतिभा से जिनेश्वरसूरि प्रभावित थे। अपना उत्तराधिकारी बनाने हेतु विशेष प्रशिक्षण के लिए उन्होंने बाल मुनि जिनवल्लभ को श्रमण जिनशेखर के साथ नवांगी टीकाकार अभयदेवसूरि के पास भेजा। वे दोनों मुनि गुरु का आशीर्वाद लेकर अणहिल्लपुर पाटण पहुंचे। अभयदेवसूरि भी स्फूर्त मनीषा के धनी जिनवल्लभ जैसे योग्य शिष्य को पाकर प्रसन्न हुए। उन्होंने थोड़े समय में जिनवल्लभ को सिद्धांत का पारगामी विद्वान् बना दिया। एक पंडित के सहयोग से ज्योतिष शास्त्र का भी जिनवल्लभ ने विशेष अध्ययन किया था।
वे अध्ययन समाप्ति के बाद दीक्षा गुरु से मिलने गए। अपनी जन्मभूमि आशीदुर्ग से तीन कोस दूर मरुकोट (मायड) में मुनि जिनवल्लभ गुरु से मिले। दोनों का एकांत में वार्तालाप हुआ। मुनि जिनवल्लभ ने गुरु के सामने चैत्यवास को अस्वीकार किया और बड़गच्छ की संविग्न शाखा के आचार्य वर्धमानसूरि के शिष्य जिनेश्वरसूरि के शिष्य बने। नवांगी टीकाकार अभयदेवसूरि उनके विद्या गुरु थे। खरतरगच्छ पट्टावली के रचनाकार जिनवल्लभगणी को नवांगी टीकाकार आचार्य अभयदेव का शिष्य मानते हैं।
जिनवल्लभ मुनि को योग्य समझते हुए भी परिस्थितिवश अभयदेवसूरि ने उन्हें आचार्य पद पर नियुक्त नहीं कर वाचनाचार्य के रूप में अथवा गणी के रूप में स्वतंत्र विहरण करने का आदेश दे दिया।
एक बार जिनवल्लभसूरि चित्तौड़ गए। प्रारंभ में उनका विरोध हुआ फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और निष्ठा से अपने सिद्धांतों का प्रचार करते रहे। लोग प्रवचनों से प्रभावित हुए। कई उनके अनुयाई भी बने थे। धारा नगरी के राजा नरवर्मदेव पर भी उनका विशेष प्रभाव था। वीर निर्वाण 1637 (विक्रम संवत् 1167) आषाढ़ शुक्ला छठ को देवभद्राचार्य ने चित्तौड़ में जिनवल्लभसूरि को अभयदेवसूरि के स्थान पर आचार्य रूप में नियुक्त किया।
जिनवल्लभसूरि की शिष्य परंपरा से मधुकर गच्छ रूद्रपल्ली गच्छ आदि गच्छों का जन्म हुआ।
*जिनशासनसेवी आचार्य जिनवल्लभ की साहित्य-साधना व आचार्य-काल के समय-संकेत* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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🌈 *"अहिंसा यात्रा" के बढ़ते कदम..*
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👉🏻 *पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ "चातुर्मासिक प्रवेश" के लिए Madhavaram, चेन्नई की ओर*...
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
*संकल्प शक्ति का विकास: वीडियो श्रंखला २*
👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*
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