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गुरु ने किया ‘गुरु’ की ‘गुरुता’ का गुणगान
-लगभग #दस_किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री पहुंचे येकोल्लू स्थित जिला परिषद हाइस्कूल
-#चतुर्विध धर्मसंघ को आचार्यश्री ने दी #गुरु की $आज्ञा में रहने की पावन प्रेरणा
27.06.2018 येकोल्लू, नेलूर (#आंध्रप्रदेश): जन-जन को पावन प्रेरणा प्रदान करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता, आध्यात्मिक जगत् के गुरु #आचार्य_श्री_महाश्रमण जी ने बुधवार को गुरु की ‘गुरुता’ का गुणगान करते हुए लोगों को गुरु की आज्ञा में रहने की पावन प्रेरणा प्रदान की।
बुधवार की सुबह आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ लगभग दस किलोमीटर का विहार कर नेलूर जिले के येकोल्लू स्थित जिला परिषद हाइस्कूल में पधारे।
स्कूल परिसर में आयोजित आज के मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के दौरान आचार्यश्री के सम्मुख श्रावकों का समूह उपस्थित था तो चतुर्दशी तिथि होने के कारण आचार्यश्री के दांयीं और बांयीं ओर साधु-साध्वियों का समूह उपस्थित था। ऐसा लग रहा था मानों सप्तरंगी रश्मियों के साथ धरती का महासूर्य इस विद्यालय परिसर में देदीप्यमान हो रहा था। क्योंकि आज अवसर था ‘हाजरी’ वाचन का। तेरापंथ धर्मसंघ की साधु पंरपरा के नियमानुसार प्रत्येक पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ‘हाजरी वाचन’ का क्रम होता है, जिसमें चारित्रात्माएं अपने लिए गए महाव्रतों के साथ संघ और संघपति के प्रति अपनी संपूर्ण निष्ठा के संकल्पों को दोहराते हैं।
इस तरह आयोजित कार्यक्रम में महातपस्वी आचार्यश्री ने चतुर्विध धर्मसंघ को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी जीवन में गुरु का बहुत बड़ा महत्त्व होता है तथा तेरापंथ धर्मसंघ में तो गुरु को और भी अधिक विशेष स्थान प्राप्त है। गुरु का लक्ष्य होता है कि उसका शिष्य सुशिष्य बन जाए, वे इसके लिए सदैव प्रयत्नशील होते हैं। जिस प्रकार कुम्हार घड़े को उपयोग लायक बनाने के लिए एक सुन्दर आकार देने के उपरान्त दहकते अंगारे में भी डालता है तो वह सबकुछ सहन करने योग्य बन जाता है। उसी प्रकार गुरु भी अपने शिष्य को सुशिष्य बनाने के लिए कई प्रकार के प्रक्रियाओं से गुजारने वाले हो सकते हैं। शिष्य को अपने गुरु को सदैव प्रसन्न बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। शिष्य को यह प्रयास करना चाहिए कि गुरु की कृपा हमेशा उस पर बनी रहे। गुरु की कृपा ही मोक्ष का आधार है। इसलिए शिष्य को कभी भी गुरु की आसातना नहीं करनी चाहिए। उसे गुरु के सम्मुखीन बने रहने का प्रयास करना चाहिए।
गुरु की आज्ञा का अवलेहना करने वाले भले कितना ध्यान, तपस्या, भावना, इन्द्रिय साधना कर ले, कोई विशेष बात नहीं होती। गुरु के अनुशासन में रहने का प्रयास होना चाहिए। गुरु के प्रति संपूर्ण सम्मान का भाव रखने का प्रयास करना चाहिए। गुरु के आदेश ही नहीं, अपितु इंगित मात्र का भी पूर्ण सजगता से पालन करने का प्रयास करना चाहिए। गुरु की आज्ञा को बहुमान देने का प्रयास करना चाहिए। गुरु के प्रति निर्मल समर्पण की भावना शिष्य के जीवन में आ जाए तो बहुत बड़ी उपलब्धि हो सकती है।
मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री हाजरी वाचन किया तो उपस्थित साधु-साध्वियों ने सामूहिक स्वर में #लेखपत्र का उच्चारण किया। आचार्यश्री ने विद्यालय के शिक्षकों को संकल्पत्रयी स्वीकार कराई।
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी #महासभा
27.06.2018
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News in Hindi
🙏 #जय_जिनेन्द्र सा 🙏
दिनांक- 27-06-2018
तिथि: - #ज्येष्ठ (2) #शुक्ल #चतुर्दशी (14)
#बुधवार का त्याग/#पचखाण
★आज #आम खाने का #त्याग करे।
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जय जिनेन्द्र
#प्रतिदिन जो त्याग करवाया जाता हैं। सभी से #निवेदन है की आप स्वेच्छा से त्याग अवश्य करे। छोटे छोटे #त्याग करके भी हम मोक्ष मार्ग की #आराधना कर सकते हैं। त्याग अपने आप में आध्यात्म का मार्ग हैं।
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🙏 THE MEDIA CENTER 🙏
🔯 गुरुवर की अमृत वाणी 🔯
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