18.06.2018 ►TMC ►Terapanth Center News

Published: 18.06.2018
Updated: 19.06.2018

Update

निर्माणाधीन गुरुकुल पाठशाला में पधारे आध्यात्मिक जगत के गुरु

-अपने प्रणेता संग #अहिंसा_यात्रा पहुंची टिप्पा, दस किलोमीटर का हुआ विहार

-आचार्यश्री ने श्रद्धालुओं को बताया सेवा का महत्त्व

18.06.2018 तिप्पा, नेलूर (#आंध्रप्रदेश): प्रकाशम् जिले लगभग पन्द्रह दिनों तक ज्ञान का प्रकाश बांटने के उपरान्त जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता #आचार्य_श्री_महाश्रमण जी अपनी धवल सेना के साथ आंध्रप्रदेश के नेलूर जिले की सीमा में प्रवेश कर गए हैं। आचार्यश्री के पावन ज्योतिचरणों से अब नेलूर जिले की भूमि पावनता को प्राप्त होगी और यहां आचार्यश्री के श्रीमुख से निरंतर अमृतवाणी का प्रवाह होगा जो यहां के लोगों को आध्यात्मिक तृप्ति कराने में सक्षम होगा।
सोमवार को आचार्यश्री आर.एस.आर. इण्टरनेशनल स्कूल से मंगल प्रस्थान किया और राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-16 पर लगभग दस किलोमीटर का विहार कर टिप्पा स्थित निर्माणाधीन गुरुकुल पाठशाला के परिसर में पधारे। मानों यह पाठशाला आधुनिक पढ़ाई की पाठशाला बनने से पूर्व ही आध्यात्मिक गुरु के पदरज से पावन हो उठी और अन्य विषयों की पढ़ाई से पूर्व ही यहां अध्यात्म की पढ़ाई आरम्भ हो गई। ऐसा सौभाग्य प्राप्त कर न सिर्फ यह पाठशाला बल्कि इसके आॅनर श्री श्रीनिवास रेड्डी भी अपने आपको सौभाग्यशाली महसूस कर रहे थे।
पाठशाला परिसर में उपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि जीवन में सेवा का विशेष महत्त्व है। सेवा से जीव तीर्थंकर नाम गोत्र का बंध कर लेता है अर्थात् तीर्थंकर बनने की अर्हता प्राप्त कर लेता है। साधु संस्था में तो सेवा का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान बताया गया है। मानव जीवन सेवा सापेक्ष होता है। सेवा करना एक महान कार्य है। सेवा महान कर्म निर्जरा का साधन भी होता है। इसलिए आदमी को यथासंभव सेवा करने का प्रयास करना चाहिए।

आचार्य की सेवा, उपाध्याय की सेवा, रुग्ण की सेवा, नवदीक्षित मुनियों की सेवा, अक्षम की सेवा और साधर्मिकों की सेवा करने का प्रयास करना चाहिए। सेवा से यदि किसी को चित्त समाधि मिल सके तो उससे अच्छा सेवा का कोई परिणाम नहीं हो सकता। आदमी को अच्छी सेवा करने का प्रयास करना चाहिए। बीमार आदमी अथवा साधु को वात्सल्य के साथ सेवा नहीं मिलती तो उनके चित्त में आशांति व्याप सकती है। इस जीवन को सापेक्ष माना गया है। निरपेक्ष जीवन कठिन होता है। आदमी को ज्यादा से ज्यादा सेवा देने का प्रयास करना चाहिए और कम से कम सेवा लेने का प्रयास करना चाहिए। जहां तक संभव हो सके आदमी को अपना कार्य स्वयं करने का प्रयास करना चाहिए। ‘सेवा से मेवा मिलता है’ आचार्यश्री ने इस वाक्य की व्याख्या की साथ ही आचार्यश्री ने मुनि खेतसीजी स्वामी के सेवा भाव का वर्णन कर लोगों को यथासंभव सेवा करने की पावन प्रेरणा प्रदान की।

आचार्यश्री के अपने पाठशाला में आगमन से अत्यंत हर्षित श्री श्रीनिवास रेड्डी ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी स्थानीय भाषा में भावाभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने उन्हें अहिंसा यात्रा की अवगति प्रदान की तथा अपने पावन आशीष का अभिसिंचन भी प्रदान किया।
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा

18.06.2018
प्रेषक > ƬHЄ MЄƊƖƛ ƇЄƝƬЄƦ
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News in Hindi

🙏 #जय_जिनेन्द्र सा 🙏

दिनांक- 18-06-2018
तिथि: - #ज्येष्ठ (2) #शुक्ल #पांचम (05)

#सोमवार का त्याग/#पचखाण

★आज #इडली #चटनी खाने का #त्याग करे।

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जय जिनेन्द्र
#प्रतिदिन जो त्याग करवाया जाता हैं। सभी से #निवेदन है की आप स्वेच्छा से त्याग अवश्य करे। छोटे छोटे #त्याग करके भी हम मोक्ष मार्ग की #आराधना कर सकते हैं। त्याग अपने आप में आध्यात्म का मार्ग हैं।
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🙏 THE MEDIA CENTER 🙏

🔯 गुरुवर की अमृत वाणी 🔯
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