07.06.2018 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 07.06.2018
Updated: 08.06.2018

Update

Source: © Facebook

👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 7 जून 2018

प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻

Update

🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆

जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙

📝 *श्रंखला -- 345* 📝

*स्वस्थ परम्परा-संपोषक आचार्य सोमदेव*

*साहित्य*

गतांक से आगे...

*नीतिवाक्यामृत* यह राजनीति विषय का उत्तम ग्रंथ है। इसमें राजनीति का सूत्रात्मक शैली में सांगोपांग विवेचन है। इस ग्रंथ में कई ऐतिहासिक प्रसंग हैं। इसमें ऐसे शब्दों के प्रयोग हैं जिनके अर्थ शब्दकोष में नहीं हैं। मनु, भारद्वाज, शुक्र, बृहस्पति जैसे राजनीतिविज्ञ प्राचीन आचार्यों के अभिमत भी इस कृति में उद्धृत हैं। नीति वाक्यों का अमृत इसमें है। यह कृति के नाम से स्पष्ट है।

'यतोऽभ्युदयनिःश्रेयससिद्धिः स धर्मः' धर्मनीति की व्याख्या भी इस ग्रंथ में है। संस्कृत भाषा में लिखा हुआ यह अनुपम ग्रंथ नीति शास्त्र के विद्यार्थियों के लिए पठनीय और माननीय है। संपूर्ण कृति 32 अध्यायों में विभक्त है। इस ग्रंथ की प्रशस्ति से स्पष्ट है कि यशस्तिलक चम्पू काव्य के बाद कवि ने इस कृति की रचना की है। समय और स्थान का संकेत इस कृति में नहीं है। यशस्तिलक ग्रंथ रचना के प्रेरणास्रोत कान्यकुब्ज नरेश महेंद्रदेव थे।

डॉ. नेमिचंद्र शास्त्री ने आचार्य सोमदेव का संबंध कन्नौज के प्रतिहार नरेश महेंद्रपाल द्वितीय के साथ होने का समर्थन किया है। यह अभिमत कालक्रम की दृष्टि से ठीक प्रतीत होता है। महेंद्रपाल द्वितीय का समय ईस्वी सन् 945-46 माना गया है। यशस्तिलक काव्य रचना का समय ईस्वी सन् 959 है।

यशस्तिलक काव्य के मंगलाचरण में 'महोदय' और प्रथम आश्वास के अंतिम श्लोक में 'महेन्द्रामरमान्यधी जैसे शब्दों एवं वाक्यों के प्रयोग आचार्य सोमदेव और महेंद्रदेव के पारस्परिक गहरे संबंधों का संकेत करते हैं।

पंडित सुंदरलाल शास्त्री ने सन् 1950 में हिंदी अनुवाद सहित नीतिवाक्यामृत ग्रंथ का प्रकाशन कराया था।

*अध्यात्म तरङ्गिणी* कृति के नाम से प्रतीत होता है कि यह आध्यात्मिक रचना है। यह मात्र 40 पद्यों का स्तोत्र है। इसमें ध्यान विधियों का वर्णन है। इस पर मुनि गुणधर कीर्ति की संस्कृति टीका है। जिसकी रचना चौलुक्य वंशीय जयसिंह सिद्धराज के राज्यकाल में विक्रम संवत् 1189 में हुई थी।

आचार्य सोमदेव के उक्त तीन ग्रंथों के अतिरिक्त षण्णवति प्रकरण, युक्तिचिन्तामणिस्तव, त्रिवर्ग-महेन्द्रमातिल- संजल्प इन तीन ग्रंथों की सूचना नीतिवाक्यामृत प्रशस्ति में तथा स्याद्वादोपनिषद् एवं सुभाषित की सूचना नरेश वद्दिग द्वारा प्रदत्त परभणी के ताम्रपत्रों में प्राप्त है। वर्तमान में यह ग्रंथ उपलब्ध नहीं है।

आचार्य सोमदेव ने अपने काव्य ग्रंथों में रूढ़ मान्यताओं को नहीं, स्वस्थ विचारों की परंपराओं को समर्थन दिया है।

*समय-संकेत*

आचार्य सोमदेव ने राष्ट्रकूट नरेश कृष्णराज तृतीय के चरणकमलोपजीवी सामंत चौलुक्य वंशी अरिकेसरी के प्रथम पुत्र वाद्यगराज (वद्दिग द्वितीय) की राजधानी गङ्गधारा में (शक संवत् 881) वीर निर्वाण 1486 (विक्रम संवत् 1016) चैत्र शुक्ला त्रयोदशी के दिन यशस्तिलक चम्पू काव्य को संपन्न किया था। इस समय राष्ट्रकूट नरेश कृष्ण (तृतीय) पाण्ड्य, सिंहल, चोल, चर आदि राजाओं को जीतकर मेलपाटी के सैन्य शिविर में ठहरे हुए थे।

यशस्तिलक की प्रशस्ति में काव्य रचना की संपन्नता का यह संवत् समय आचार्य सोमदेव के काल निर्णय में पुष्ट प्रमाण है। स्वस्थ परंपरा पोषक आचार्य सोमदेव वीर निर्वाण 15वीं (विक्रम 11वीं, ईस्वी 10वीं) शताब्दी के विशिष्ट विद्वान् थे।

*अमित प्रभावक आचार्य अमितगति (द्वितीय) के प्रभावक चरित्र* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜ 🔆

👉 *अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में*

💥 *मुम्बई - महाराष्ट्रीय स्तरीय आँचलिक कन्या कार्यशाला पहचान का हुआ आगाज*

💥 *शासन श्री साध्वी श्री सोमलता जी के सान्निध्य में*
💥 *अभातेमम अध्यक्ष कुमुद कच्छारा की उपस्थिति में*
💥 लगभग 260 कन्याओं की उपस्थिति

दिनांक - 06-06-2018

प्रस्तुति -🌻 *संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

News in Hindi

👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए

🌻 *संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

*आगामी प्रेक्षाध्यान शिविर:*

*स्थान: जैन विश्व भारती (लाडनूँ)*

👉 *एक प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें* - *जीवन बदल जाएगा, जीवन का दृष्टिकोण बदल जाएगा..*

*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482

सम्प्रसारक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Sources

Sangh Samvad
SS
Sangh Samvad

Share this page on:
Page glossary
Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
  1. Preksha
  2. अमृतवाणी
  3. आचार्य
  4. आचार्य महाप्रज्ञ
  5. कृष्ण
Page statistics
This page has been viewed 165 times.
© 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
Home
About
Contact us
Disclaimer
Social Networking

HN4U Deutsche Version
Today's Counter: