07.06.2018 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 07.06.2018
Updated: 08.06.2018

Update

शुभ रात्रि..:) सोने से पहले 3 बार णमोकार मंत्र पढ़े!

Source: © Facebook

हम सबकी इच्छा होती हैं जब आचार्य श्री को नमोस्तु करे तो आचार्य श्री बस एक बार डेलह ले हमारी ओर.. एक बार एक सज्जन बार बार नमोस्तु कर रहेथे तब आचार्य श्री कहा...

चाहे वह साधक हो, या श्रावक हो, प्रत्येक की भावना यही रहती है कि जब हम अपने गुरूवर को नमोस्तु निवेदित करें तभी गुरू महाराज की दृष्टि हमारी ओर हो और उनका आशीर्वाद का हाथ उठा हुआ हो। जब तक आचार्य श्री की दृष्टि नहीं* *उठती और आशीर्वाद का हाथ नहीं उठता तब तक किसी भी शिष्य व भक्त को आत्मसंतुष्टि नहीं होती और यदि गुरूवर की दृष्टि आशीर्वाद का हाथ उठ जाता है तो वह गद्गद् हो उठता है एवं अपने को धन्य मानता है। कई भक्त तो तब तक नमोस्तु-नमोस्तु बोलते रहते हैं कि जब तक आचार्य श्री आशीर्वाद का हाथ न उठा दें।

एक बार किसी भव्यात्मा को नमोस्तु करने के उपरान्त आचार्य श्री का आशीर्वाद नहीं मिला, तब उन्होंने आचार्य भगवंत से कहा कि - आचार्य श्री कई* *बार आपका आशीर्वाद नहीं मिलता तो आकुलता होती है। आचार्य श्री ने सहजता से उत्तर दिया कि नमोस्तु करते समय आप लोगों का सिर नीचे रहता है, इसलिए आशीर्वाद का हाथ उठता भी होगा तो आप लोगों को दिखता नहीं है। अपने श्रद्धान को मजबूत बनाईये, गुरु का आशीर्वाद तो चाहे प्रत्यक्ष या परोक्ष हो वह हमेशा रहता है। आचार्य श्री ने उदाहरण देते हुए समझाया कि जब आपकी अच्छी, जैसा आप चाहते थे वैसी फोटो खिंच गई हो तो आप अपने पास रख लेते हैं, वैसे ही आशीर्वाद की एक बार की मुद्रा को अपनी धारणा में रख लो और उसी को स्मृति में लाते रहें।

*✍🏻संकलन✍🏻*
*_विद्यासागर.गुरु_*
*_गुरुदेव नमन_*
*_रजत जैन भिलाई_*

Source: © Facebook

#आचार्यश्री जी ने बताया कि संसार में सबसे दुर्लभ वस्तु है- सच्ची श्रद्धा। हमारे मंत्रों में बहुत शाक्ति विद्यमान है, लेकिन यह मंत्र आज काम क्यों नहीं करते? क्योंकि जैनियों को* *णमोकार मंत्र पर श्रद्धा नहीं है। अन्य जगह विश्वास रखते है। यदि कोई जैनी हमारे पास आकर मंत्र मांगता है तो हम कह देते हैं। णमोकार मंत्र पढ़ो इससे बड़ा कोई मंत्र नहीं है तो वह कह देते हैं। यह मंत्र तो हम फेरते हैं, जपते हैं । मतलब यह हुआ कि मात्र जपते हैं, उस मंत्र पर विश्वास नहीं रखते।

जैनियों के मंत्र पर विश्वास रखने वाले मुसलमान बंधु भी बिच्छु, सर्प आदि ने किसी व्यक्ति को काट लिया हो तो उसका जहर उतार देते हैं (दूर कर देते हैं)। उनसे पूछो, आपने तो बड़ा चमत्कार कर दिया तो वह कहते हैं आप लोगों के णमोकार मंत्र ने चमत्कार किया है, मैंने कुछ नही किया। मैंने तो णमोकार मंत्र पढ़कर हाथ फेर दिया जहर उतर गया।
जैनियों की बात तो ऐसी हो गई कि- एक व्यक्ति के घर में दो T.V. थी। एक स्वयं के मेहनत के पैसों से खरीदी थी और दूसरी दहेज में मिली थी। उसके बेटे ने एक दिन आकर कहा- पिताजी T.V. बिगड़ गई। पिता ने पूछा- कौन-सी दहेज वाली कि अपनी। बेटे ने कहा- दहेज वाली। पिताजी कहते है बिगड़ तो जाने दो आखिर है भी तो दहेज की। बस यही दशा जैनियों की है। उन्हें णमोकार मंत्र जन्म से ही जैन कुल में प्राप्त हुआ है, इसलिए उसे दहेज में मिला है ऐसा समझकर पढ़ लेते हैं। श्रद्धा तो अंजन चोर जैसी होनी चाहिए।
संकलन
विद्यासागर.गुरु
गुरुदेव नमन

Source: © Facebook

जैन इतिहास का गौरवमयी इतिहास -1965, भारत पाक यूद्ध का समय, 1962 का चीन युद्ध हारने के बाद चिंतित प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री दिल्ली लाल मंदिर में विराजमान 108 आचार्य श्री देश भूषण जी "विजयी भव" का आशीर्वाद देते हुए। यह चित्र स्वर्गीय श्री त्रिभवन प्रशाद जैन दिल्ली ने लिया गया।

Source: © Facebook

Update

जब तक हम पूरा ध्यान नहीं_देंगे वह काम पूरा नहीं हाेगा -आचार्यश्री विद्यासागरज महाराज #पपौरा

आचार्यश्री ने कहा तीन प्रतिभास्थली खुली थी दो और खुलने जा रही हैं। एक अतिशय क्षेत्र पपौराजी एवं दूसरी इंदौर में इसी सत्र से शुरू हो जाएगी। यह सब आप लोगों के पुण्य का प्रतिफल है। यह कार्य प्रतिभास्थली की पूर्व पीठिका कि मेहनत से सफल होने जा रहा है। आचार्य श्री ने कहा हमें शास्त्रों से ज्ञात होता है मोक्ष मार्ग में या मोह मार्ग में कर्तव्य करना पड़ता है। जैसा आप मार्ग चुनेंगे वैसा कर्तव्य करना पड़ेगा यह चुनाव है आपको स्वयं चुनना है। कोई सोचता है मोक्ष मार्ग में संरक्षण अनिवार्य है हमारे लिए उदाहरण बहुत जल्दी मिल जाते हैं। आचार्य श्री ने कहा जब तक हम पूर्ण रुप से ध्यान नहीं देंगे वह काम पूर्ण नहीं हो पाता संकल्प तो हो जाता लेकिन परिणाम सामने आना चाहिए, लेकिन गलत दिशा में कार्य करता है तो वह अज्ञानता के कारण कार्य अधूरा भी नहीं हो पाता हम तैयारियां करते हैं परिश्रम करते हैं कुछ स्थितियों में हमें विफलता हाथ लगती है। गलत अनुपात में विफलता का फल मिलता है। सही अनुपात से ही सफलता मिलती है।

जैन कला को दर्शाने वाला एक मात्र स्थान अतिशय क्षेत्र पपौराजी में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज विगत 48 दिनों से 37 मुनिराजो के साथ विराजमान है। आचार्यश्री तपती गर्मी को मात देकर अपनी कठिन साधना में लीन है। 24 घंटे में एक बार विधि मिलने पर आहार ग्रहण करना उनके मूल गुणों में से एक मूल गुण है।

संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी

Source: © Facebook

News in Hindi

This is my room, you love it or leave it!

How Live Tension free -प्रमाण सागर जी महाराज

आप किसी के घर गए। उसके घर में कुछ चीजें आपको अव्यवस्थित दिखीं। किसी के घर में अव्यवस्थित चीजें देखकर आपके मन में कुछ होता है क्या? कैसा व्यक्ति है जिसकी चीजें अव्यवस्थित हैं? पर इससे आपको क्या करना है? जीवन में भी ऐसे ही चलना चाहिए।

एक परिवार की बात मैं बता रहा हूँ। एक सज्जन ने मुझे बताया- उनके घर में एक M.B.A. पढ़ा हुआ लड़का था लेकिन उसका कमरा एकदम अव्यवस्थित। अच्छा पैकेज पाने वाले, एक बड़ी कम्पनी में बड़े पद पर काम करने वाले युवा का कमरा एकदम अव्यवस्थित। इस कारण कोई लड़की वाले आएँ तो उसे पसन्द न करें। वह सज्जन उनके परिचित थे उन्होंने कहा भाई! उसे कुछ समझाओ, लड़का माने तो कुछ रास्ता निकले। लड़के के कमरे में गए तो वहाँ हर चीज अव्यवस्थित देखकर लड़के से कहा- भैया! हर चीज व्यवस्थित होनी चाहिए, व्यवस्थित जिन्दगी जीना चाहिए। उन्होंने कहा महाराज जी! उस लड़के ने मुझे बहुत बड़ा बोध दे दिया। उसने दरवाजा खोला और दरवाजे के पीछे तरफ लिखा हुआ था *This is my room, you love it or leave it* (यह मेरा कमरा है आप चाहें तो इसे प्यार करें चाहें तो इसे छोड़ दें)। वह सज्जन वापस आ गए कि इसके कमरे पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं, यह जैसे चाहेगा वैसे ही रहेगा।

यह कर्म का संसार है, इसमें मेरा कोई रोल नहीं, वह जैसा चाहे रखे। ऐसी दृष्टि अपने भीतर विकसित कर लो। तुम्हारे हाथ में कुछ है ही नहीं। *तुम जिस चीज को जैसा maintain करना चाहो, वैसा हो ही नहीं सकता*। कर्म जैसे करोगे फल भी वैसे ही मिलेंगे और कर्म जैसा चाहेगा तुम्हें वैसा नचाएगा। जिस दिन इस बात पर विश्वास हो जाएगा जीवन धन्य हो जाएगा।

मन में तनाव और चिन्ता, इससे अपने आपको मुक्त कर लेना एक तपस्या है। तनाव क्यों आता है? आजकल तो तनाव, tension एक बहुत बड़ी समस्या है। महामारी बन गई है। बच्चे से लेकर बूढ़े तक। आठ साल का बच्चा हो या साठ साल का वृद्ध; सबको टेंशन है। बच्चों को शुरु से अपने पेपर के marks की tension हो जाती है, बड़ों को अपनी नौकरी-पेशे, व्यापार की चिंता, बच्चों के विवाह का tension और बूढ़ों को अपने बुढ़ापे का tension। आदमी tension में जन्मता है, tension में ही मरता है और जितने दिन जीता है उतने दिन tension में ही रहता है।

अपने मन को प्रसन्न रखें, सौम्य भाव रखें, पवित्रता को अपने हृदय में विकसित करें, इन्द्रियों का निग्रह करें, अपनी विषयों की आसक्ति को नियन्त्रित करें, इच्छाओं का शमन करें -ये सब भी तपस्या है। ऐसी तपस्या सबके जीवन में प्रकट हो तो फिर कोई समस्या शेष नहीं रहेगी, हमारे जीवन का निश्चयत: उद्धार होगा।

_______मुनिश्री प्रमाण सागर जी______

7253904904 को save करें, whatsapp पर जय जिनेन्द्र भेजें। आपको प्राप्त होगी चुनिंदा क्लिप्स और क्विज आदि।

Source: © Facebook

Sources
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Digambar
      • Acharya Vidya Sagar
        • Share this page on:
          Page glossary
          Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
          1. आचार्य
          2. भाव
          3. सागर
          4. स्मृति
          Page statistics
          This page has been viewed 502 times.
          © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
          Home
          About
          Contact us
          Disclaimer
          Social Networking

          HN4U Deutsche Version
          Today's Counter: