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👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 5 जून 2018
प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 मुम्बई - *मुनि अभिजीत कुमार की राज्यपाल से अध्यात्म एवं विज्ञान के समन्वय पर चर्चा*
👉 नागपुर - मुमुक्षु मंगल भावना समारोह
👉 हिसार - तेयुप द्वारा पौधारोपण कार्यक्रम
👉 हिसार - पर्यावरण दिवस पर कार्यक्रम
👉 रोहिणी, दिल्ली: तेरापंथी सभा का "शपथ ग्रहण समारोह"
👉 चित्रदुर्गा - तेरापंथ युवक परिषद के चुनाव सम्पन्न
👉 खारूपेटिया - विश्व पर्यावरण दिवस पर ते.म.म. द्वारा कार्यक्रम आयोजित
👉 साउथ कोलकाता - सीखे स्व प्रबंधन संवारें अपना जीवन कार्यशाला का आयोजन
👉 हनुमन्त नगर (बेंगलुरु) - पर्यावरण सुरक्षा रैली एवं पौधा वितरण कार्यक्रम का आयोजन
👉 जयपुर शहर - विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रर्यावरण बचाओं प्लास्टिक बैग हटाओ कार्यक्रम
👉 चेन्नई: ट्रिप्लीकेन - तेरापंथ ट्रस्ट का शपथ ग्रहण समारोह
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 343* 📝
*स्वस्थ परम्परा-संपोषक आचार्य सोमदेव*
*जीवन-वृत्त*
गतांक से आगे...
एक बार शास्त्रार्थ करते समय आचार्य सोमदेव अपने प्रतिवादी से कहते हैं—
*सकलसमयतर्कैः नाकलङ्कोऽसि वादिनः*
*न भवसि समयोक्तौ हंससिद्धांतदेवः।*
*न वचनविलासे पूज्यपादोऽसि तत्त्वं,*
*वदसि कथमिदानीं सोमदेवेन सार्धम्।।*
*(नीति वाक्यामृत प्रशस्ति)*
न तुम महान तार्किक विद्वान अकलङ्क हो, न तुम आगम उक्तियों के प्रयोग में हंससिद्धांतदेव हो, न तुम वचन विन्यास में पूज्यपाद हो, कहो सोमदेव के साथ शास्त्रार्थ कैसे कर सकोगे?
आचार्य सोमदेव के कथन में अतिरंजन नहीं था। उनके व्यक्तित्व की असाधारण क्षमता थी। व्याकरण, ज्योतिष, न्याय, दर्शन, काव्य आदि विधाओं में उनकी गति निर्बाध थी और उनका अध्ययन गहन था। उनका धर्म, दर्शन के साथ राजनीति का ज्ञान भी उत्कृष्ट था। कौटिल्य अर्थशास्त्र की तुलना करने वाला उनका नीति वाक्यामृत राजनीति का अनूठा ग्रंथ है। यशस्तिलक के तृतीय आश्वास में राजनीति की विस्तृत चर्चा है। ये दोनों ग्रंथ आचार्य सोमदेव के राजनीति संबंधी विशद ज्ञान के उदाहरण हैं।
सोमदेव के समय में चौलुक्यवंशी नरेश अरिकेशरी के ज्येष्ठ पुत्र वाद्यराज (वद्दिग) की राजधानी गङ्गधारा थी। ये राष्ट्रकूटों के सामंत थे। राष्ट्रकूट राजवंश के नरेश कृष्ण तृतीय उस समय के प्रतापी शासक थे। नरेशों के साथ मित्रता के संबंध स्थापित कर उन्होंने अपने राज्य को उस ओर से निष्कंटक बना लिया था। उनका प्रभुत्व दूर-दूर तक स्थापित हो गया। इनके राज्यकाल में धर्म, दर्शन, ज्ञान, विज्ञान, कला, साहित्य, संस्कृति आदि के नए आयाम उद्घाटित हुए। अपने पूर्वजों की भांति नरेश कृष्णराज (तृतीय) ने जैन धर्म को भी संरक्षण दिया। शांतिपुराण और जिनाक्षरमाले के रचनाकार कन्नड़ जैन कवि पौन्न को उभय भाषा चक्रवर्ती की उपाधि से उन्होंने अलंकृत किया। अप्रभ्रंश में जैन महाकवि पुष्पदंत को इस राजवंश से पर्याप्त प्रश्रय प्राप्त था। आचार्य सोमदेव को भी राष्ट्रकूटों के सुखद शासन में बहुमुखी प्रगति करने का सुंदर अवसर मिला। उन्होंने यशस्तिलक (चम्पू काव्य) जैसे उत्तम काव्य की रचना राष्ट्रकूट नरेश कृष्ण तृतीय के शासनकाल में वाद्यराज (वद्दिग) की राजधानी में की।
*आचार्य सोमदेव द्वारा रचित साहित्य* के बारे में जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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*5 june*
🌍 *"विश्व पर्यावरण दिवस"* 🌍
*संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा*
*प्रकृति को समर्पित*
*दुनियाभर में*
*मनाया जाने वाला*
*सबसे बड़ा उत्सव*
🌍 *विश्व पर्यावरण दिवस* 🌍
🎍 *अणुव्रत के नियम*🎍
*मै पर्यावरण की समस्या*
*के प्रति जागरूक रहूंगा।*
🔅 *हरे - भरे वृक्ष नहीँ काटूंगा*🔅
🔅 *पानी का अपव्यय नहीं करूंगा*🔅
प्रस्तुति
*अणुव्रत सोशल मीडिया*
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प्रसारक
*संघ संवाद*
News in Hindi
👉 *अहिंसा यात्रा के बढ़ते कदम*
🏃♂ *आज का विहार - लगभग 12.6 किलोमीटर*
🏬 *आज का प्रवास स्थल - विवेकानंदा नेक्स्ट जनरल इंग्लिश स्कूल, मरतूर*
📆 05-06-2018
प्रस्तुति - 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
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