29.05.2018 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 29.05.2018
Updated: 30.05.2018

Update

आचार्य श्री ध्यान करते हुए exclusive...

आत्मा तो अजर अमर हैं.. हमआयु गिने इस तन की.. वैसा ही जीवन बनता, जैसी धारा चिंतन की..

Source: © Facebook

आचार्य विद्यासागर महाराज जी #Nemavar GOLDEN WORDS

जिन और जन में इतना ही अन्तर है कि एक वैभव के ऊपर बैठा है और एक के ऊपर वैभव बैठा है। साधक बनों प्रचारक नहीं।

Source: © Facebook

#Positive_news मांस का व्यापार छोड़ #हथकरघा चलाकर कमा रहे अधिक आजीविका... रामेश्वर माड़पाल (१३ किलोमीटर जगदलपुर से)निवासी पहले कपड़े बुनने का कार्य करते थे लेकिन हथकरघा उद्योग की मंदी के कारण परिवार की आर्थिक आपूर्ति हेतु हथकरघा को छोड़ मांस का व्यापार चालू कर दिया और पिछले कई वर्षों से यही हिंसक कार्य कर रहे थे ।
#आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज की प्रेरणा से प्रारंभ हुए महाकवि पं भूरामल सामाजिक सहकार न्यास हथकरघा केन्द्र जगदलपुर* में रामेश्वर पिछले ३ माह से एक नयी उम्मीद से जुड़ा

यहाँ उसने कपड़े बुनाई की परिष्कृत विधा के साथ साथ अधिक वेतन प्राप्त करते हुए अपनी बुनाई कला को सुधारा और पाया कि इस क्षेत्र में लाभ है ।
आज रामेश्वर अपना *मांस का व्यवसाय पूर्णतः छोड़कर अहिंसक आजीविका कपड़ा बुनाई के माध्यम से करने लगा है* । हथकरघा केन्द्र जगदलपुर के द्वारा *रामेश्वर को घर से कार्य करने के लिये हथकरघा मशीन दी गई है*।अब वह घर से ही कपडे का उत्पादन कर संस्था को कपड़ा देते हुए अहिंसात्मक आजीविका प्राप्त करेगा। आचार्य भगवन के आशीर्वाद से संपूर्ण देश में कई लोग इस सात्विक रोजगार को प्राप्त कर जीवन उज्ज्वल बना रहे हैं

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Update

#worthyRead एक बार रामटेक से छिंदवाड़ा की ओर विहार करते हुए चले जा रहे थे, धूप होने की वजह से रास्ते में बैठने के भाव हो रहे थे, लेकिन बहुत दूर-दूर तक कोई भी छायादार वृक्ष दिखाई नहीं दे रहा था। कुछ दूर और चलने पर देखा आचार्य श्री जी एक पेड़ के नीचे बैठे थे हम लोगों को देखकर आचार्य महाराज ने कहा आओ महाराज बैठ लो अब थोड़ा और चलना है। दोनों महाराज आचार्य महाराज के समीप जाकर बैठ गये जो साथ में महाराज थे उन्होंने कहा हम लोग अभी यही चर्चा कर रहे थे कि कितना चलना हो गया, आचार्य श्री तो कुछ आहार में लेते भी नहीं और इतना चलते भी हैं तो आचार्य महाराज हँसकर कहते हैं, "कुछ लेना ना देना मगन रहना।" हम तो तुम जवानों को देखकर चलते रहते हैं तो हम लोगों ने कहा हम आपको देखकर चलते रहते हैं।

फिर बोले बहुत देर बाद एक छायादार वृक्ष मिला।अब तो मानना होगा 1 वृक्ष 100 संतान के बराबर होता है। देखो कितने लोग इसकी छाया में बैठकर शांति का अनुभव कर रहे हैं। आज वृक्षों को काटकर नगर बसाये जा रहे हैं, लेकिन प्रकृति के बिना मानव सुरक्षित नहीं रह सकता। मानव को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।

संकलन✍🏻 विद्यासागर.गुरु, गुरुदेव नमन ---रजत जैन भिलाई

Source: © Facebook

News in Hindi

घर को कारागृह मत बनाओ अपने शरीर को भी कारागृह मत बनने दो: #आचार्य_विधासागर_जी

गौ रक्षा के लिए हजारों श्रद्धालुओं करेंगे हस्ताक्षर, सौंपेंगे प्रधानमंत्री को... देश के विभिन्न राज्यों में कई गौशालाएं स्थापित करके कत्ल खाने जा रहे हजारों पशुओं को संरक्षण देकर जीवनदान दिया है। आचार्यश्री पशु मांस निर्यात निरोध के लिए जन जागरण अभियान भी चला रहे है। गुरूवार को आचार्यश्री के सानिध्य में मूक पशुओं की रक्षा सुरक्षा के लिए हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया। जिसके माध्यम से देश के प्रधानमंत्री को गौ माता की रक्षा के लिए हजारों लोगों के हस्ताक्षर सहित ज्ञापन सौंपा जाएगा।

आचार्य ने अपनी मंगल देशना के माध्यम से बताया कि घर को कारागृह मत बनाओ अपने शरीर को भी कारागृह मत बनने दो। कारागृह को कारागृह रहने दो। आचार्यश्री ने कहा आयु कर्म का बंध होता है। आयु कर्म के बंध होने के कारण आयु पूरी होने पर आत्मा शरीर से विभक्त हो जाती है। आचार्यश्री ने कहा कि ससारी प्राणी मोही है। अपने भावोंं के द्वारा शरीर का निर्माण करता है। आचार्य श्री ने कहा भ्रमण तो ठीक है जिसे अपना मान रहे हो सारे के सारे पराए हैं। शरीर भी अपने बस नहीं होता वह भी एक दिन छोड़ना पड़ता है। हमें किसी भी वस्तु से मोह नहीं रखना चाहिए मोह ऐसी वस्तु है जो हमें मोक्ष मार्ग में बांधा उत्पन्न करता है।

व्यक्ति अपनी गलती को स्वीकार नहीं करता,
चाहे अपनी हो या पराई, हमें एक एक पल का महत्व समझना चाहिए जिसने इस गूढ़ रहस्य को ढूंढ लिया समझो उसका बेड़ा पार हो गया। आचार्यश्री ने कहा उस धर्म के बंधन में हमको कहा गया कि उस गति के माध्यम से अपने शरीर का दुख दर्द दूर कर लो ऐसे कैसे दुख दर्द दूर होता है। वह तो भावो कर्मों की परिणति का परिणाम है जो भोगना ही पड़ेगा। एक व्यक्ति अपनी गलती को स्वीकार नहीं करता गलती अपनी हो या पराई। उसको स्वीकार करना ही पड़ेगा।

अतिशय क्षेत्र पपौराजी एक ऐसा पुरातन तीर्थ क्षेत्र है यहां के मंदिरों में विराजमान तीर्थंकरों की प्रतिमाएं भक्तों को बरबस अपनी ओर खींच लेती है पपौरा जी में पहले से ही 108 गगनचुंबी जिनालय स्थित है। ऐसे जिनालय के शिखर आसमान को छू लेने की होड लगाए हुए हैं। इसके उपरांत पपौराजी में 1 वर्ष पहले ही भव्य नंदीश्वर दीप की रचना हो चुकी है। एवं क्षेत्र के विशाल प्रांगण में भगवान आदिनाथ की उतंग प्रतिमा खडगासन में स्थित है। आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज नौतपा की झुलसती तपन में अपने संपूर्ण संघ के साथ अपनी साधना में लीन रहते हैं। 35 दिन से लगातार प्रवचन के माध्यम से भक्तों को धर्म रस का पान करा रहे हैं। आचार्यश्री पशु दया के प्रणेता है।

Source: © Facebook

Video

Source: © Facebook

तुम हो त्रिशला कुँवर.. जन्मे कुंडलनगर.. वीर प्यारे.. Wah.. रोंगते खड़े करदेने वाले Lyrics 😊😊

तुमने सन्मार्ग आकर दिखाया.. जग से अंधकारतम को हटाया.. तुम ना आते अगर कौन लेता ख़बर.. 🙂

Sources
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Digambar
      • Acharya Vidya Sagar
        • Share this page on:
          Page glossary
          Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
          1. आचार्य
          2. भाव
          3. शिखर
          Page statistics
          This page has been viewed 393 times.
          © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
          Home
          About
          Contact us
          Disclaimer
          Social Networking

          HN4U Deutsche Version
          Today's Counter: