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*विवाह एक धार्मिक संस्कार है।*
दिनांक 8 मई 2018
श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र क्षेत्रपाल मंदिर, ललितपुर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा कि शरीर स्वस्थ होता है तो ही हर कार्य में मन लगता है।आप सभी ने सुना भी है,
*पहला सुख निरोगी काया*
स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन रहता है। आप सभी भी अनुभव करते हैं कि शरीर स्वस्थ रहता है तो प्रभु की पूजन, भक्ति, सामायिक आदि में मन लगता है और अगर शरीर अस्वस्थ रहता है तो अच्छे कार्यों में भी मन नहीं लगता है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है व्यक्ति खान-पान की शुद्धि रखें, अपने मन को साफ सुथरा रखें, आसन प्राणायाम ध्यान की साधना करें, शरीर से काम करते रहे, प्रातः काल टहलना शुरु करें।
उसी के साथ आचार्य श्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति में पहले बंधन है फिर प्रेम है। विवाह एक धार्मिक संस्कार है। विवाह अनियंत्रित जीवन को नियंत्रित करने की पद्धति है। विवाह का अर्थ वासना को निमंत्रण देना नहीं है अपितु वासना को नियंत्रित करना है। दांपत्य जीवन में आज परस्पर मनमुटाव होता जा रहा है। दंपत्ति आज गमपति बनने जा रहे हैं। पति भी गम में, पत्नी भी गम में, बच्चे भी गम में इसलिए जीवन में कोई सुख शांति नहीं है। जीवन भार स्वरूप सा लगने लगा है। जब देखो तब तनाव, छोटो से लेकर बड़ों तक सभी तनाव में हैं। तनाव मुक्त जीवन के लिए आवश्यक है व्यक्ति मन और इंद्रियों को वश में रखें, प्रतिदिन प्रभु की पूजन करें, माता पिता की सम्मान दें, परस्पर दूसरे को सुख दुख में साथ दें, खानपान में शुद्धि रखें, वर्तमान में जिए भूत भविष्य में ना जिए, दूसरों से बहुत अधिक अपेक्षाएं न रखें।
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