27.04.2018 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 27.04.2018
Updated: 02.05.2018

News in Hindi

🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺

त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 136* 📝

*जेठमलजी गधैया*

*नई दीक्षा और बिखराव*

जेठमलजी ने संवत् 1937 के चातुर्मास का प्रारंभ होने के आस-पास गुरु धारणा की थी। उससे मुनि चतुर्भुजजी तथा उनके अनुयायियों के मन में एक भय का वातावरण बन गया। जेठमलजी द्वारा उठाए गए प्रश्न अन्य व्यक्तियों के मन में भी ऊहापोह उत्पन्न कर रहे थे, अतः उनका समाधान शीघ्र खोज लेना उनके लिए आवश्यक हो गया। नई शिक्षा ग्रहण कर लेने से उन्हें सभी प्रश्न समाहित होते दिखाई दिए, परंतु उसमें केवल यही भय था कि उसकी प्रक्रिया में यदि थोड़ी सी भी त्रुटि रह गई तो बूढ़ा (जयाचार्य) जयपुर से ही ऐसा कोई तीर चलाएगा कि हम सब के लिए टिके रह पाना कठिन हो जाएगा। उन सब ने मिलकर तब उपस्थित या संभावित सभी प्रश्नों के विषय में विचार विमर्श किया और एक व्यवस्था बिठाई। उसी के अनुसार उन्होंने संवत् 1937 श्रावण कृष्णा 14 को नहीं दीक्षा ग्रहण कर ली। तेरापंथ में संवत् 1920 तक साधुता मानी जाए या 27 तक, इस मतभेद को पाटने के लिए मुनि चतुर्भुजजी ने उन सात वर्षों में संघ की साधुता को केवलीगम्य में कहा। इसी निर्णय के आधार पर तेरापंथ में संवत् 1927 तक दीक्षित व्यक्तियों को उन्होंने छेदोपस्थाप्य चारित्र दिया और उसके पश्चात् दीक्षितों को सामायिक चारित्र।

नई दीक्षा लेते समय उन्होंने तेरापंथ की तात्कालिक स्थिति का पूरा-पूरा अनुकरण किया। जयाचार्य के स्थान पर मुनि छोगजी, जयाचार्य के बड़े भाई मुनि सरूपचंदजी के स्थान पर मुनि चतुर्भुजजी, युवाचार्य मघवा के स्थान पर मुनि फोजमलजी और साध्वी प्रमुखा महासती गुलाबांजी के स्थान पर साध्वी हरखूजी को घोषित किया। सरदारशहर में उस समय उनके 15-16 साधु-साध्वी एकत्रित हो गए थे। पहले-पीछे मिलाकर तो वे लोग 16 व्यक्ति थे। इतना होने पर भी उनका संगठन अत्यंत स्वल्पजीवी सिद्ध हुआ।

उस समय उनकी नई दीक्षा को लेकर सरदारशहर में अनेक ऊहापोह चल रहे थे। लोग उनकी दीक्षा प्रक्रिया को अनेक कसौटियों पर चढ़ाकर पर परखने का प्रयास कर रहे थे। स्थानीय तेरापंथी श्रावक मेघराजजी आंचलिया भी उनमें एक थे। उन्होंने आश्विन के शुक्ल पक्ष में एक पत्र जयपुर भेजा। उसमें चतुर्भुजजी आदि के विषय में जयाचार्य से अनेक प्रश्न किए थे। जयाचार्य ने स्थानीय श्रावकों के माध्यम से उन प्रश्नों के उत्तर दिए। उनमें उन लोगों की दीक्षा प्रक्रिया के विरोधाभासों का दिग्दर्शन कराया गया। उस पत्र ने सरदारशहर में एक विस्फोटक का कार्य किया। उसमें प्रदत्त अकाट्य तर्कों का उन लोगों के पास कोई उत्तर नहीं था। फलतः उनमें परस्पर मतभेदों का ऐसा तूफान उठा कि एक ही धक्के में वह नवनिर्मित संगठन धराशाई हो गया। चातुर्मास भी पूरा नहीं हो पाया कि कार्तिक मास में मुनि चतुर्भुजजी और मुनि छोगजी परस्पर सगे भाई होते हुए भी एक दूसरे से सदा के लिए पृथक् हो गए। उनके बिखराव के पश्चात् शीघ्र ही सरदारशहर के अधिकांश लोग तेरापंथी बन गए। जेठमलजी की शुरूआत इस विषय में बहुत ही शुभ एवं कल्याणकर सिद्ध हुई।

*श्रावक जेठमलजी ने अपने पुत्र श्रीचंदजी को तेरापंथ की अपनी गुरु धारणा की अवगति के साथ सलाह भी दी तो पुत्र का क्या जवाब था...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺

🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆

जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙

📝 *श्रंखला -- 312* 📝

*विश्रुत व्यक्तित्व आचार्य वीरसेन*

दिगंबर विद्वान् आचार्य वीरसेन टीकाकार थे। धावला, जय धवला उनकी अत्यधिक प्रसिद्ध टीकाएं हैं। सिद्धांत, ज्योतिष, व्याकरण, न्यायशास्त्र, प्रमाणशास्त्र का उन्हें प्रकृष्ट ज्ञान था। जिनसेन के शब्दों में वे वादि वृंदारक (वादि मुख्य) थे। लोगविद् थे, कवि थे, वाग्मी थे और श्रुतकेवली के समकक्ष थे। हरिवंश पुराण के कर्त्ता जिनसेन ने 'कवि चक्रवर्ती' का संबोधन प्रदान किया है।

*गुरु-परंपरा*

आचार्य वीरसेन मूल संघान्तर्गत पञ्चस्तूपान्वयी शाखा के थे। वीरसेन की गुरु परंपरा धवला टीका की प्रशस्ति में प्राप्त है। इस प्रशस्ति के अनुसार चंद्रसेन के शिष्य आर्य नंदी और नंदी के शिष्य वीरसेन थे। इसी प्रशस्ति में वीरसेन ने अपने को एलाचार्य का वत्स कहा है। एलाचार्य की गुरु परंपरा का उल्लेख वीरसेनाचार्य ने नहीं किया है। एलाचार्य चित्रकूट के निवासी थे। सकल सिद्धांत शास्त्र के विशिष्ट ज्ञाता थे। इन्हीं से वीरसेनाचार्य ने सिद्धांतों का अध्ययन कर साहित्य की रचना की।

वीरसेन के शिष्य परिवार में जिनसेन, दशरथ, विनयसेन आदि कई शिष्यों के नाम मिलते हैं। दर्शनसार ग्रंथ में प्राप्त उल्लेखानुसार विनयसेन के शिष्य कुमारसेन द्वारा काष्ठ संघ की स्थापना हुई थी।

*साहित्य*

साहित्य में आचार्य वीरसेन का योगदान टीका साहित्य के रूप में है। वर्तमान में उनकी दो टीकाएं उपलब्ध हैं। *1.* धवला *2.* जयधवला। दोनों टीकाओं का परिचय इस प्रकार है

*धवला टीका* धवला टीका षट्खण्डागम ग्रंथ में पांच खंडों की व्याख्या है। षट्खण्डागम के महाबंध नामक छठे खंड का भूतबलि के द्वारा सविस्तार वर्णन है। अतः इस खंड पर वीरसेन को टीका रचने की आवश्यकता ही अनुभूत नहीं हुई होगी। यह धवला टीका प्राकृत संस्कृत मिश्रित 72000 श्लोक परिमाण विशाल टीका है। षट्खण्डागम ग्रंथ पर जितनी टीकाएं रची गई हैं उनमें यह टीका महत्त्वपूर्ण है।

आचार्य वीरसेन ने सिद्धांत मर्मज्ञ एलाचार्य के पास चित्रकूट में सिद्धांतों का गंभीर अध्ययन किया। अध्ययन की संपन्नता के बाद गुरु के आदेश से वे वाट ग्राम (बड़ौदा) आए। बप्पदेवाचार्य रचित टीका से प्रेरणा प्राप्त कर वीरसेन ने इस टीका की रचना की। इस टीका को पढ़ने से आचार्य वीरसेन के व्यापक ज्ञान की जानकारी मिलती है।

धवला की प्रशस्ति में वीरसेनाचार्य ने एलाचार्य का विद्यागुरु के रूप में उल्लेख किया है।

*आचार्य वीरसेन द्वारा रचित जय धवला टीका उनके आचार्य काल* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜ 🔆

👉 पूर्वांचल (कोलकाता) - आचार्य श्री के 9 वें पट्टोत्सव समारोह का कार्यक्रम आयोजित
👉 दलखोला: तपोयज्ञ आयम्बिल अनुष्ठान का आयोजन
👉 पूर्वांचल (कोलकाता) - आचार्य श्री का 57 वे जन्मोत्सव पर कार्यक्रम आयोजित
👉 पीलीबंगा - महातपो यज्ञ आयंबिल अनुष्ठान का आयोजन

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

👉 बेहाला, कोलकत्ता - आचार्य श्री महाश्रमण जन्मोत्सव व पटोत्सव का आयोजन
👉 अहमदाबाद - तपोयज्ञ आयम्बिल अनुष्ठान का आयोजन
👉 साउथ हावड़ा: तपोयज्ञ आयम्बिल अनुष्ठान का आयोजन
👉 गोरेगांव, मुम्बई - तपोयज्ञ आयम्बिल अनुष्ठान का आयोजन
👉 जलगांव - आचार्य श्री महाश्रमण के जन्मोत्सव पर मास खमण तपस्या की भेंट

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

👉 रायपुर - तपोयज्ञ आयम्बिल अनुष्ठान का आयोजन
👉 वडोदरा - तपोयज्ञ आयम्बिल अनुष्ठान का आयोजन
👉 उधना, सूरत - तपोयज्ञ आयम्बिल अनुष्ठान का आयोजन
👉 जावद - आचार्य प्रवर के जन्मोत्सव एवं पटोत्सव पर कार्यक्रम
👉 श्री डूंगरगढ़ - आचार्य प्रवर के पट्टोत्सव पर कार्यक्रम आयोजित
👉 नोखा - तपोयज्ञ आयम्बिल अनुष्ठान का आयोजन
👉 बेहाला, कोलकत्ता - तपोयज्ञ आयम्बिल अनुष्ठान का आयोजन
👉 अलिपोर, कोलकत्ता - तपोयज्ञ आयम्बिल अनुष्ठान का आयोजन
👉 हिसार - तपोयज्ञ आयम्बिल अनुष्ठान का आयोजन
👉 राउरकेला: आचार्य श्री महाश्रमणजी के 57वें जन्मदिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
👉🏽जयनगर, बेंगलुरु- आचार्य श्री महाश्रमण जी के 57 वें जन्म दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
👉 बेहाला - निर्माण एक नन्हा कदम स्वच्छता की ओर कार्यक्रम का आयोजन
👉 तिरुपुर - सामूहिक सामायिक का आयोजन
👉 किशनगंज - तपोयज्ञ आयम्बिल अनुष्ठान का आयोजन
👉 मानसा - तपोयज्ञ आयम्बिल अनुष्ठान का आयोजन
👉 कोलकाता, पूर्वांचल: २५ बोल प्रतियोगिता का आयोजन
👉 कोटा - "प्रखर एवं निपुण वक्ता कैसे बनें" विषय पर कार्यशाला का आयोजन

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Video

Source: © Facebook

*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:

*प्रेक्षा ध्यान क्यों: वीडियो श्रंखला ५*

👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*

*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482

संप्रेषक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए

🌻 *संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Sources

Sangh Samvad
SS
Sangh Samvad

Share this page on:
Page glossary
Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
  1. Preksha
  2. आचार्य
  3. आचार्य महाप्रज्ञ
  4. कोटा
  5. जिनसेन
  6. ज्ञान
  7. भाव
  8. वडोदरा
Page statistics
This page has been viewed 322 times.
© 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
Home
About
Contact us
Disclaimer
Social Networking

HN4U Deutsche Version
Today's Counter: