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कविता /मेरी अपनी सोच
By-संजय जैन (मुंबई)
जिसे निभा न सकूँ,/
ऐसा वादा नही करता..!
मैं बातें अपनी हद से,
ज्यादा नहीं करता../१/
तमन्ना रखता हूं /
आसमान छू लेने की../
लेकिन औरो को गिराने का /
कभी इरादा नहीं रखता../२/
जीवन के हर मोड पर, सुनेहरी यादों को रहने दो /
जुबां पर हर वक्त, मिंठास रहने दो /
ये अंदाज है जीने का, ना खुद रहो उदास /
ना दुसरों को रहने दो, जीवन की यादो को जीवित रहने दो /३/
जिसके दिल में, प्यार नहीं /
वो आजादी का, हक़दार नहीं /
मेरा वतन, गुलज़ार है /
यहाँ ख़ारों से, इक़रार नही../४/
तेरी रहमत का असर, दुआओं मे पाया है l
आई जब भी मुसीबत, तूने ही साथ निभाया है
कैसे कह दूँ "मालिक'' के तेरा और मेरा कोई रिश्ता नहीl
गिरा मेरा जब भी अश्क, इसमे तेरा ही चेहरा नज़र आया है../५/