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*पुज्यवर का प्रेरणा पाथेय*
👉 *‘महाश्रमण समवसरण’ से महाश्रमण की वाणी सुन निहाल हुए केसिंगावासी*
👉 *-चतुर्विध धर्मसंघ को महातपस्वी ने दी मंगल प्रेरणा, तपस्या को किया व्याख्यायित*
दिनांक - 16 - 03 -2018
प्रस्तुति - *संघ संवाद*
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👉 केलवा - *अणुव्रत महासमिति अध्यक्ष श्री अशोक संचेती की संगठन यात्रा एवं अणुव्रत संगोष्ठी का आयोजन*
👉 राजाजीनगर (बेंगलुरु) - प्रेक्षाध्यान कार्यशाला आयोजित
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद*🌻
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*17/03/18* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ ले
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
*नवरत्न जी बाठिया के निवास स्थान*
*Polur* (तमिलनाडु)
(वेलुर- तिरुवन्नामलाई रोड)
☎9108075692,
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*सुरेश जी देवड़ा के निवास स्थान*
*बिड़दी* (कर्नाटक)
(Mysore - Bangalore Road)
☎ 9448374522
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 5* का प्रवास
*Javarilal ji Bumb*
C/o ranjeeth medicals
No: 17 /4 kamraj street
West *tambaram*
*Chennai:45*
☎8107033307,9840214382
9444492965
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ *मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*गौतमकुमार जी सेठिया*
43/1 गोपाल पिल्लैयार कोइल स्ट्रीट *तिरुवन्नामलाई*
☎9566296874,9487556076
9940744445
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*कल्याण मंडप*
*अन्नावरम्*
(विशाखापट्टनम -चेन्नई रोड)
☎8085400108,7000790899
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Tushar Marbles Palakkad se Bagrecha Glass House Padharenge*
(अर्नाकुलम- कोयम्बतुर रोड) ☎9672039432,9246998909
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*पल्लावरम* चेन्नैई (तमिलनाडु)
☎8890788494
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
*संगटुर से 12.7 km का विहार करके सिगारकोडा पद्यारेगे*
(विजयवाडा -चेन्नैइ हाईवे)
☎7297958479,7044937375
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 5* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*गॉधीनगर Bangalore* (कर्नाटक)
☎7624946879,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री राकेश कुमारी जी (बायतु) ठाणा 4* का प्रवास
*विशाखापट्नम्*
☎8917477918,9959037737
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री विमल प्रज्ञा जी ठाणा 10* का प्रवास
*कतीपूढी से 14 km का विहार करके मिनेरवा ड्रीग्री कोलेज पधारेंगे*
(विशाखापटनम -चेन्नैइ रोड)
☎9051582096,9123032136
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रमिला कुमारी जी ठाणा 5* का प्रवास
*लक्ष्मीपत जी कोठारी*
Kothari nivas Lalithanagar Nager
*Visakhapatnam*
☎:9014491997,8290317048
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*संघ संवाद+ संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*Ashta Mangal villa*
27 Lettangs Road, Purasavakam, Chennai-7 (तमिलनाडु)
☎8428020772,984017646
9884244004
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञा श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*सुबह का प्रवास*
SHANMUGAM VELU House,Behind S P Appreal (विहार12 Km)
*शाम का प्रवास*
"गायत्री मंदिर"
Vanjipalayam (विहार 6 Km)
(कोयम्बतुर- त्रिपुर रोड)
☎9629840537,7200690967
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिस्या साध्वी श्री सुर्दशना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*पारस गार्डन रायचुर*
☎9845123211
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*कलेहही से 12 km का विहार करके जैन भवन ऊटी पधारेगे*
(मैसुर-ऊटी रोड)
☎9601420513,8489484381
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 6* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*गॉधीनगर Bangalore* (कर्नाटक)
☎7798028703
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प्रस्तुति:- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 283* 📝
*कोविद-कुलालङ्कार आचार्य भट्ट अकलङ्क*
*साहित्य*
*अष्टशती टीका* यह आचार्य समंतभद्र रचित आप्तमीमांसा (देवागम स्तोत्र) का व्याख्या ग्रंथ है। इसके 800 श्लोक हैं। अतः इसे अष्टशती कहा गया है। यह संक्षिप्त, अर्थ-बहुल और गंभीर टीका है। इस टीका के अध्ययन से आचार्य अकलंक की सूक्ष्म प्रज्ञा के दर्शन होते हैं। इस पर विद्यानंद की अष्ट सहस्री टीका भी है। अष्ट सहस्री के अभाव में अष्टशती को समझना कठिन है। मूल ग्रंथ में अष्टशती नाम का उल्लेख नहीं है। अष्ट सहस्री ग्रंथ में अष्टशती नाम पाया जाता है। नगर ताल्लुक के 46वें शिलालेख में इस ग्रंथ का संकेत है। इस ग्रंथ में अनेकांतवाद एवं सप्तभंगी की भी चर्चा है। ग्रंथ की भाषा जटिल होते हुए भी मनोमुग्धकारी है। अनेकांत के सजीव दर्शन इस टीका में होते हैं।
*लघीयस्त्रय स्वोपज्ञ वृत्ति सहित* आचार्य अकलंक की यह न्याय विषयक कृति है। इस ग्रंथ के तीन प्रवेश प्रकरण एवं छह परिच्छेद हैं। कारिकाओं की संख्या 78 है। प्रथम प्रमाण प्रकरण के चार परिच्छेद हैं *(1)* प्रत्यक्ष *(2)* प्रमेय *(3)* परोक्ष *(4)* आगम।
प्रथम परिच्छेद में प्रत्यक्ष प्रमाण के लक्षणों की चर्चा, द्वितीय परिच्छेद में प्रमेय का वर्णन, तृतीय परिच्छेद में परोक्ष प्रमाण का वर्णन और चतुर्थ परिच्छेद में आगम प्रमाण का विवेचन है।
प्रमाण प्रवेश के इन चार परिच्छेदों के साथ नय प्रवेश और प्रवचन प्रवेश इन दोनों प्रकरणों को मिलाने पर परिच्छेदों की संख्या छह हो जाती है। नय प्रवेश में नैगम आदि नयों का एवं प्रवचन प्रवेश में प्रमाण और नय की चर्चा है और सकलादेश तथा विकलादेश का सयौक्तिक वर्णन है।
यह ग्रंथ अकलंक की पहली दार्शनिक कृति है। मूल कारिकाओं के साथ इनका स्वोपज्ञ विवरण भी है। विवरण में कारिकाओं का व्याख्यान नहीं है पर ग्रंथकार के प्रतिपाद्य का कुछ अंश कारिकाओं में है। अवशिष्ट अंश विवरण में प्रस्तुत हुआ है। विवरण गद्यात्मक है। कारिकान्तर्गत विषय का पूरक होने के कारण इस विवरण को विवृति (विशेष व्याख्या) कहा है। आचार्य अकलंक ने समुचित प्रमाण व्यवस्था इस ग्रंथ में प्रस्तुत की है। यह ग्रंथकार की स्वतंत्र रचना है।
*न्यायविनिश्चय सवृत्ति* यह न्याय विषयक ग्रंथ है। इसके तीन परिच्छेद हैं प्रत्यक्ष, अनुमान और प्रवचन। इन तीनों प्रकरणों में 481 कारिकाएं हैं। प्रथम प्रकरण में जैन दर्शन सम्मत प्रत्यक्ष लक्षण का विवेचन है। बौद्ध दर्शन सम्मत इंद्रिय प्रत्यक्ष, मानस प्रत्यक्ष और स्वसंवेदन प्रत्यक्ष के निराकरण के साथ ही सांख्य और नैयायिक दर्शन सम्मत लक्षण का निरसन भी है। प्रत्यक्ष प्रमाण के स्वरूप को समझने के लिए यह प्रथम परिच्छेद विशेष पठनीय है।
अनुमान परिच्छेद में अपने विषय की सांगोपांग चर्चा है। यह ग्रंथ कई दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है। इसमें आचार्य अकलंक की सूक्ष्म प्रज्ञा के दर्शन होते हैं। यह दुर्बोध ग्रंथ है। इसकी शैली सूत्रात्मक है। इस पर संभवतः अकलंक देव ने टीका रचना भी की होगी, पर वर्तमान में उपलब्ध नहीं है। इस ग्रंथ पर आचार्य वादिराज की एक विस्तृत टीका है। इसमें न्याय विषयक प्रचुर सामग्री है।
*कोविद-कुलालङ्कार आचार्य भट्ट अकलङ्क द्वारा रचित कुछ और भी ग्रंथों* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 107* 📝
*मोखजी खमेसरा*
*मौन की करामात*
गतांक से आगे...
मोखजी ने मां की उस बात को कोई गंभीरता से नहीं लिया। अतः यों ही हंसते हुए उठकर बाहर चले गए। उनका विचार था मां यों ही धमकी दे रही है। वह मेरे से बिना बोले रह ही नहीं सकती है। परंतु उनका वह व्यामोह है तब शीघ्र ही टूट गया जबकि वे कुछ देर पश्चात् अंदर आए और किसी कार्य के विषय में मां से पूछने लगे। मां ने उन्हें कोई उत्तर नहीं दिया। वे पूर्णतः मौन रहीं। मोखजी को तब पता चला कि माताजी का निर्णय साधारण नहीं था। वे कुछ देर के लिए बाहर चले गए। परंतु उनका मन माना नहीं। थोड़ी ही देर के पश्चात् वे फिर अंदर आए और किसी बहाने मां को बुलाने लगे। परंतु वे नहीं बोलीं तो नहीं बोलीं। मोखजी ने दिन भर में अनेक बार प्रयत्न किए, पर उन्हें निराशा ही हाथ लगी।
माताजी का इस प्रकार मौन हो जाना स्वयं मोखजी के मन को कचोटने लगा। वे मां बेटे के बीच में अकारण ही आ खड़ी होने वाली मौन की उस दीवार को तत्काल समाप्त कर देना चाहते थे। उसे मिटा देने में उन्हें कोई अड़चन नहीं थी। उसमें केवल अपनी संकोचशीलता ही बाधक बनी हुई थी। अब उस बाधा को तोड़ डालना उनके लिए अनिवार्य हो गया।
आखिर उन्होंने अपने मन को दृढ़ किया और साधुओं के स्थान की ओर चल पड़े। स्थान में प्रविष्ट तो बहुत सहमते-सहमते ही हुए, परंतु अंदर जाने के पश्चात् थोड़ी देर की बातचीत ने ही उनके सारे संकोच को दूर कर दिया। उन्होंने खुलकर धार्मिक जिज्ञासाएं कीं और उनका समुचित समाधान पाया। अंदर जाते समय जितना विवशता का लोह-भार उनके मन पर था वह सारा वहीं उतर गया। वापस आते समय तो उनके मन की झोली प्रसन्नता की सुरभि से भरी हुई थी।
वे सीधे माता के पास आए और कहने लगे— "लो, अब तो बोलोगी? मैं आज संतों के पास जा आया हूं और घंटे भर तक बातचीत भी कर आया हूं।"
मां को आखिर बोलना तो था ही। अपने पुत्र से मौन कैसे और कब तक रह सकती थी? परंतु पुत्र के संकोच को तोड़ने के लिए उन्हें यह उपाय अपनाना पड़ा था। उसमें उन्हें पूर्ण सफलता मिली। वे प्रसन्न हो गई तो पुत्र भी कृतकृत्य हो गया।
एक बार के उस विवशता से किए गए संपर्क ने मोखजी की जीवन धारा को बदल दिया। उसके पश्चात् वे प्रतिदिन संतों के यहां जाने लगे। धीरे-धीरे उन्होंने तत्त्वज्ञान भी प्राप्त किया और एक दिन पक्के श्रद्धालु बनकर मां की कल्पना को साकार कर दिया। उसके पश्चात् उनका सारा जीवन ही दृढ़ श्रद्धालु हो गया। उस समग्र परिवर्तन के मूल में मोखजी की मां के उस स्वल्पकालीन मौन की ही करामात कहनी चाहिए।
*श्रावक मोखजी के महत्त्वपूर्ण जीवन प्रसंगों* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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News in Hindi
👉 तिरूपुर: *चौविहार संथारा परिसम्पन्न*
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👉 भीमगढ: *'अणुव्रत प्राध्यापक' मुनि श्री सुखलाल जी के दर्शनार्थ अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष के साथ पदाधिकारीगण*
👉 कामरेज (सूरत) - निर्माण एक नन्हा कदम स्वच्छता की ओर कार्यक्रम
👉 गांधीनगर, बेंगलुरु - महिला मंडल के 51 वर्ष पूर्णाहुति पर स्वर्णेहम कार्यक्रम का आयोजन
🔷 *कर्नाटक के महामहिम राज्यपाल श्री वजूभाई की गरिमामय उपस्थिति*
👉 KGF - ARE YOU A SNAKE OR A LADDER IN OTHERS LIFE कार्यशाला का आयोजन
👉 मंड्या (कर्नाटक) - तत्व ज्ञान एवं तेरापंथ दर्शन की द्वितीय कार्यशाला आयोजित
👉 पर्वत पाटिया, सूरत - आध्यात्मिक मंगल मिलन
👉 कोयम्बत्तूर - 155 वां मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति कार्यालय का जैन संस्कार विधि से शुभारंभ
👉 पूर्वांचल कोलकाता - होली स्नेह मिलन एवं "प्रेरणा सम्मान" कार्यक्रम का आयोजन
👉 राजसमन्द: *राष्ट्रीय अणुव्रत शिक्षक संसद संस्थान में महासमिति अध्यक्ष*
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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*
*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482
संप्रेषक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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केसिंगा, कालाहांडी (ओड़िशा): *पूज्यप्रवर का "प्रेरणा पाथेय"*
*"केसिंगा प्रवास का प्रथम दिवस"*
👉 *आचार्य श्री प्रातः सूर्योदय के पश्चात् कश्रुपाड़ा से लगभग आठ किलोमीटर का विहार कर केसिंगा पधारे..*
👉 *48 वर्षों के उपरांत अपने आराध्य को अपने घर-आंगन में पाकर प्रत्येक श्रद्धालु परिवार अत्यधिक उल्लसित था*
👉 *‘महाश्रमण समवसरण’ से महातपस्वी आचार्य सर महाश्रमण जी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को त्याग और संयम की प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि..*
👉 *..स्वयं पर अनुशासन के लिए आदमी के भीतर त्याग और संयम की चेतना का विकास होना चाहिए..*
👉 *..आदमी को यथासंभव त्याग स्वीकार करने का प्रयास करना चाहिए। त्याग और संयम से सुख और शांति की प्राप्ति हो सकती है।*
👉 *मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्य श्री ने केसिंगावासियों को "अहिंसा यात्रा" की संकल्पत्रयी स्वीकार कराई।*
👉 *ओड़िशा राज्य सरकार के हाउसिंग बोर्ड के चेयरमेन तथा पूर्व राज्यसभा सांसद श्री भूपेंद्र सिंह एवं स्थानीय विधायक श्री अनाम नायक ने भी आचार्य श्री के दर्शन व प्रवचन श्रवण का लाभ उठाया।*
दिनांक: 15/03/2018
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