08.03.2018 ►Acharya Mahashraman Ahimsa Yatra

Published: 08.03.2018
Updated: 09.03.2018

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08-03-2018 Kholan, Balangir, Odisha

अहिंसा यात्रा प्रेस विज्ञप्ति

अखंड परिव्राजक का प्रलंब विहार, धवल सेना संग पहुंचे खोलान

  • अनित्य मानव जीवन का पूर्ण सदुपयोग करने का आचार्यश्री ने दी पावन प्रेरणा

08.03.2018 खोलान, बलांगीर (ओड़िशा)ः

पर कल्याण के साथ स्वकल्याण को निकले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, महातपस्वी, अखंड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी ने गुरुवार को अपनी धवल सेना के साथ पश्चिम ओड़िशा क्षेत्र में बढ़ती गर्मी के बावजूद प्रलंब विहार किया और अपनी धवल सेना संग बलांगीर जिले के खोलान गांव पहुंचे।

गुरुवार को प्रातः आचार्यश्री सिंधीकेला से मंगल प्रस्थान किया तो सिंधीकेला के सैंकड़ों श्रद्धालु अपने आराध्य को अपने गांव से विदा करने को साथ चल पड़े। सभी पर अपने दोनों करकमलों से आशीषवृष्टि करते आचार्यश्री पूर्व दिशा की ओर बढ़ चले। आज आचार्यश्री एक और प्रलंब विहार को निकले थे। ओड़िशा राज्य में अभी से आतप बरसा रही सूर्य किरणें आज भी अपनी प्रखरता से शीघ्र ही पूरे वातावरण को तप्त बनाने लगीं। लोगों के शरीर पसीने से तर-बतर बन रहे थे। आचार्यश्री के धवल चद्दर भी पसीने से भींग रहा था, किन्तु मानवता के मसीहा, अखंड परिव्राजक के कदम निरंतर बढ़ते जा रहे थे। आचार्यश्री की दृढ़ संकल्पशक्ति के समाने मानों आतप बरसाने वाली किरणें भी नतमस्तक नजर आ रही थीं। आचार्यश्री लगभग सोलह किलोमीटर का प्रलंब विहार कर खोलान गांव स्थित पंचाचयत भवन में पधारे। जहां स्थानीय श्रद्धालुओं व अन्य ग्रामीणों सहित ग्राम की सरपंच श्रीमती शारदा अग्रवाल ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया।

पंचायत भवन परिसर में ही बने प्रवचन पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि यह मानव जीवन अनित्य है। इसके अनित्यता का उदाहरण यह है कि जैसे पका हुआ पान का पत्ता पता नहीं कब टूट जाता है, उसी प्रकार यह मानव जीवन कब समाप्त हो जाएगा कहा नहीं जा सकता। कुश के अग्र भाग पर टिकी ओस की बूंद कब गिर जाए, कहा नहीं जा सकता, इसी प्रकार आदमी का जीवन कब समाप्त हो जाए, कहा नहीं जा सकता। इसलिए आदमी को अपने जीवन में क्षण मात्र भी प्रमाद नहीं करना चाहिए और अपने जीवन को धार्मिक और सेवा के कार्यों में लगाकर सदुपयोग करने का प्रयत्न करना चाहिए।

यह जीवन, शरीर, पैसा आदि सब अनित्य है। इस प्रकार आदमी को अनित्यता का चिंतन करने का प्रयास करना चाहिए। अनित्यता का चिंतन कर आदमी आत्मकल्याण की दिशा में आगे बढ़े तो उसका कल्याण हो सकता है और मानव जीवन का पूर्ण सदुपयोग हो सकता है। आदमी को अपने जीवन का कुछ समय धर्म-ध्यान में भी नियोजित करने का प्रयास करना चाहिए। जीवन को अच्छे सेवा के कार्यों में समायोजित कर अपनी आत्मा को शुद्ध बनाने का प्रयास करना चाहिए।
अपने मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री ने उपस्थित लोगों को अहिंसा यात्रा की अवगति प्रदान की तथा उनसे अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्प स्वीकार करने का आह्वान किया तो उपस्थित लोगों ने सहर्ष संकल्पत्रयी स्वीकार की।

आचार्यश्री के आगमन से हर्षित बालक मौखिक अग्रवाल व श्रीमती नमिता अग्रवाल ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। खोलान गांव की सरपंच श्रीमती शारदा अग्रवाल ने आचार्यश्री का अपने गांव की जनता की ओर से अभिनन्दन-स्वागत किया तथा आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।

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