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बहती ज्ञानगंगा में #कांटाबांजी वासियों ने लगाए गोते
-प्रवास के दूसरे दिन #आचार्य_श्री_महाश्रमण जी ने लोगों को परोपकार करने की दी पावन प्रेरणा
28.02.2018 कांटाबांजी, बलांगीर (#ओड़िशा):- पश्चिम ओड़िशा के कांटाबांजी में प्रथम त्रिदिवसीय प्रवास कर रहे जैन श्वेताम्बर #तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने इस क्षेत्र में पधारकर श्रद्धालुओं के दर्शन के 48 वर्षों की प्यास को तृप्ति प्रदान कर दी हो। इस गुरुकृपा को प्राप्त कर श्रद्धालुओं को उल्लास अपने चरम पर है। दिन-रात श्रद्धालु अपने आराध्य की सेवा, दर्शन, उपासना और प्रवचन श्रवण को लालायित नजर आ रहे हैं। कांटाबांजी स्थित आलिशान पैलेस रिसोर्ट में मानों वर्तमान में एक तीर्थस्थल सा बन गया है।
कांटाबांजी में प्रवास के दूसरे दिन बुधवार को भी ब्रह्ममुहूर्त में होने वाले बृहत मंगलपाठ के समय से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जमनी शुरू हो गई थी। इसमें न केवल तेरापंथी परिवार बल्कि अन्य जैनेतर परिवार के लोग भी सोत्साह शामिल हैं। सौभाग्य से प्राप्त इस सुअवसर का लोग पूर्ण लाभ उठाने में लगे हुए हैं। इसलिए अधिक से अधिक समय वे आचार्यश्री के आसपास ही रहना पसंद कर रहे हैं।
आचार्यश्री लगभग साढ़े नौ बजे प्रवास स्थल से प्रस्थान कर प्रवचन पंडाल की ओर बढ़े तो श्रद्धालुओं से पूरा मार्ग भर गया और गूंज उठा ‘जय-जय ज्योतिचरण, जय-जय महाश्रमण’ का जयघोष। आचार्यश्री प्रवचन पंडाल में बने मंच पर विराजमान हुए। आचार्यश्री के आगमन से पूर्व मुख्यनियोजिकाजी ने श्रद्धालुओं को उत्प्रेरित किया। आचार्यश्री के आगमन से पूर्व और आचार्यश्री के आगमन के पश्चात तेरापंथ धर्मसंघ की असाधारण #साध्वीप्रमुखाजी ने भी लोगों को संयममय जीवन जीने की पावन पाथेय प्रदान किया।
इसके उपरान्त आचार्यश्री ने अपनी मंगलवाणी से लोगों को परोपकार करने की पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आत्मकल्याण के परकल्याण भी ऐसा प्रयास करना चाहिए। जिस प्रकार अर्हत स्वयं मुक्ति को प्राप्त करते और दूसरों को भी मुक्ति का मार्ग बताते हैं। आदमी को भी परकल्याण अर्थात् परोपकार करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को यह सोचना चाहिए कि किसी का भला न हो सके तो आदमी किसी का बुरा भी नहीं हो, ऐसा प्रयास रखना चाहिए। आदमी किसी को चित्त समाधि देने में सहायक बने, किसी भ्रष्ट को सन्मार्ग पर ला सके तो आध्यात्मिक परोपकार हो जाता है। आदमी को दूसरों का हित करने का यथासंभव प्रयास करना चाहिए। जो आदमी दूसरों का कल्याण करता है, मानों वह स्वयं के लिए भी कल्याण का मार्ग प्राप्त कर लेता है।
आचार्यश्री ने प्रसंगवश श्रीरामचन्द्रजी और केवट के बीच हुए वार्तालाप के प्रसंग की व्याख्या की और साथ ही एक कथानक के माध्यम से लोगों को पर कल्याण करने की पावन प्रेरणा प्रदान की। आदमी दूसरों की आत्मा का कल्याण और परोपकार का प्रयास करे तो स्वयं भी कल्याण को प्राप्त कर सकता है।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के पश्चात समणी संगीतप्रज्ञाजी ने ओड़िया भाषा में गीत के माध्यम से अपने आराध्य की अभ्यर्थना की। तेरापंथ कन्या मंडल ने भी स्वागत गीत का संगान किया। पश्चिम ओड़िशा प्रान्तीय सभा के उपाध्यक्ष श्री निवास जैन, कांटाबांजी महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती ममता जैन, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री विकास जैन ने भी अपने आराध्य के समक्ष अपने भावनाओं को अभिव्यक्त किया। कांटाबांजी सभा के पूर्व अध्यक्ष श्री घासीराम जैन ने गीत के माध्यम से गुरु चरणों की वंदना की।
प्रस्तुति:- The Media Center
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News in Hindi
🙏 #जय_जिनेन्द्र सा 🙏
दिनांक- 28-02-2018
तिथि: - #फाल्गुन #शुक्ल #तेरस (13)
#बुधवार का त्याग/#पचखाण
★आज #ॐ_भिक्षु की कम से कम 13 माला फेरने का संकल्प करे।
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जय जिनेन्द्र
#प्रतिदिन जो त्याग करवाया जाता हैं। सभी से #निवेदन है की आप स्वेच्छा से त्याग अवश्य करे। छोटे छोटे #त्याग करके भी हम मोक्ष मार्ग की #आराधना कर सकते हैं। त्याग अपने आप में आध्यात्म का मार्ग हैं।
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🙏 THE MEDIA CENTER 🙏
🔯 गुरुवर की अमृत वाणी 🔯
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