Update
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*27/02/18* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ ले
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2
का प्रवास
*Jain Sthanak*
*सत्वाचारी*
बेगलौर- चेन्नैइ रोड
☎9108075692,9443006584
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*जैन मन्दिर*
*रामनगर* (कर्नाटक)
Mysore - Bangalore Road
☎9448385582,9900946634
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*Jain Bhawan*
*Thirukalikundram*
☎8107033307,9840130409
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ *मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*T.Athipakkam से 13 km का विहार करके स्कूल मे पधारेगे*
☎9566296874
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के*
*सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*विजयनगरम्*
भुवनेश्वर -विशाखापट्नम् रोड
☎8085400108,7000790899
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*ranjeeth ji bhandari ke ghar Chandrathil road edapally ernakulam viraj rahe h* (केरल) ☎9672039432,7907269421
9246998909
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी एवं मुनि श्री दीप कुमार जी का प्रवास*
*मंगल कार्यलय*
*बगुर* (तमिलनाडु)
बैगलौर = चैनैइ रोड
☎7821050720,9558651374
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*दादा बाडी से 10 km का विहार करके वेपुर गॉव हाईवे पर चर्च के पास Boys Hostal मे पधारेगे*(तमिलनाडु)
बैगलोर - चेन्नेइ हाईवे
☎8890788494
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
*गन्नावरम् से 10.5 km का विहार करके नुरीपुर पधारेगे*
विशाखापट्नम् - चेन्नैइ रोड
☎7297958479,7044937375
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 5* का प्रवास
*अर्हम् भवन विजयनगर*
Bangalore (कर्नाटक)
☎7624946879,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री राकेश कुमारी जी (बायतु) ठाणा 4* का प्रवास
*कॉचली गॉव से 11km का विहार करके KORNUM पद्यारेगे*
भुवनेश्वर- विशाखापट्नम् रोड
☎8917477918,9959037737
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री विमल प्रज्ञा जी ठाणा 19* का प्रवास
*गांव: आन्नदपूरम वैंकेटेस्वर स्कूल से 3.4कि.मी.विहार कर वाग्य देवी विद्या मंदिर (गांव: -गम्भीरम)मे पधारेंगे*
भुवनेश्वर- विशाखापट्नम् रोड
☎9051582096,9123032136
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*Binny Mills Villa No 10 North Town*
*Chennai* (तमिलनाडु)
☎8428020772,9444052840
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञा श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*Datta anjinaya temple Aluva se maheshwari marbles & Granites korraty keralapadharenge*
☎8875762662,9246998909
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिस्या साध्वी श्री सुर्दशना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*पारस गार्डन रायचुर*
☎9845123211
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*संघ संवाद+संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*चिकली गॉव से 12.5 km का विहार करके भरत जी का फार्म हाऊस पधारेगे* (कर्नाटक)
☎9601420513,
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 6* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*गॉधीनगर Bangalore* (कर्नाटक)
☎7568917268
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Sangh Samvad
News, photos, posts, columns, blogs, audio, videos, magazines, bulletins etc.. regarding Jainism and it's reformist fast developing sect. - "Terapanth".
👉 बांद्रा (मुम्बई) - तेरापंथ भवन का लोकार्पण
👉 सोलापुर - जैन युवा संगोष्ठी का आयोजन
👉 सोलापूर - महावीर चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित
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👉 *आचार्य श्री विमल सागर सूरीश्वरजी एवं तपोमूर्ती उग्र विहारी मुनि श्री कमल कुमार जी* द्वारा तेरापंथ भवन सिटीलाइट में विशाल धर्मसभा को संयुक्त संबोधन
♦ *भगवान महावीर के अहिंसा एवं अनेकांत दर्शन से समाहित हो सकती है विश्व की विभिन्न समस्याएं।*
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Update
👉 सूरत - महावीर चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन
👉 दलखोला - महासभा अध्यक्ष की संगठन यात्रा
👉 गांधीधाम - महावीर चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन
👉 केलवा - महावीर चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित
👉 कोप्पल - भगवान महावीर चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन
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News in Hindi
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 268* 📝
*मुक्ति-दूत आचार्य मानतुंग*
स्तोत्र काव्य में भक्तामर स्तोत्र उत्तम रचना है। भक्ति रस का यह छलकता निर्झर है। इस स्तोत्र के रचनाकार आचार्य मानतुंग थे। वे अपने युग के प्रतिष्ठित कवि और यशस्वी विद्वान् थे। उनमें कवित्व शक्ति का विकास एवं उनका संस्कृत भाषा पर आधिपत्य था।
*गुरु-परंपरा*
आचार्य मानतुंग ने श्वेतांबर मुनि दीक्षा और दिगंबर मुनि दीक्षा दोनों प्रकार की दीक्षा ग्रहण की थी। यह उल्लेख दोनों परंपराओं के ग्रंथों में प्राप्त है। प्रभावक चरित्र के अनुसार श्वेतांबर परंपरा में आचार्य मानतुंग के गुरु अजितसिंह और दिगंबर परंपरा में उनके दीक्षा गुरु चारुकीर्ति थे। आचार्य अजितसिंह और आचार्य चारुकीर्ति किस गण, गच्छ, परंपरा से संबंधित थे इस संबंध का उल्लेख प्रभावक चरित्र ग्रंथ में नहीं है।
*जन्म एवं परिवार*
आचार्य मानतुंग का जन्म वाराणसी में हुआ। वे ब्राह्मणक्षेत्रिय श्रेष्ठी धनदेव के पुत्र थे। उनकी बहन का संबंध वाराणसी निवासी लक्ष्मीधर श्रेष्ठी के साथ हुआ था। मां और बहन के नाम का उल्लेख नहीं है। लक्ष्मीधर श्रेष्ठी का आस्तिक जनों में शीर्षस्थ स्थान था।
*जीवन-वृत्त*
मानतुंग का परिवार धार्मिक संस्कारों से संस्कारित था। धर्मनिष्ठ पिता धनदेव के योग से मानतुंग को धार्मिक संस्कार प्राप्त हुए। जैन दिगंबर मुनियों से प्रवचन सुनकर धीर-गंभीर मानतुंग को संसार से विरक्ति हुई। मां-बाप से अनुमति लेकर उन्होंने आचार्य चारुकीर्ति से दिगंबर मुनि दीक्षा ग्रहण की। मुनि जीवन में उनका नाम महाकीर्ति रखा गया। मुनि चर्या में सजग महाकीर्ति एक दिन लक्ष्मीधर श्रेष्ठी के घर गोचरी को गए। लक्ष्मीधर श्रेष्ठी की पत्नी मानतुंग की बहन थी। वह श्वेतांबर परंपरा को मानती थी। उसने मुनि के सामने श्वेतांबर मुनि चर्या का वर्णन किया।
बहन से बोध प्राप्त कर महाकीर्ति मुनि ने दिगंबर मुनि चर्या का परित्याग कर श्वेतांबराचार्य अजितसिंह के पास श्वेतांबर मुनि दीक्षा ग्रहण की। श्वेतांबर श्रमण बनने के बाद संप्रदाय-परिवर्तन के साथ संभवतः उनका नाम परिवर्तित हुआ। वे मानतुंग से संबोधित होने लगे जो उनके गृहस्थ जीवन का नाम था।
गुरु के पास तपोविधि पूर्वक मुनि मानतुंग ने आगम का अध्ययन किया। स्वल्प समय में वे आगम विज्ञ मुनियों की गणना में आने लगे। गुरु ने योग्य समझकर उनकी नियुक्ति सूरि पद पर की। मानतुंगसूरि को गच्छ से विशेष सम्मान प्राप्त हुआ। सरस्वती उन पर प्रसन्न थी। वे बुद्धि के धनी एवं कुशल काव्यकार थे।
*मुक्ति-दूत आचार्य मानतुंगसूरि ने वाराणसी के राजा हर्षदेव की सभा में किस प्रकार जैन धर्म की प्रभावना की...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 92* 📝
*भैरूंलालजी सींधड़*
*जयपुर नरेश और लालाजी*
जयपुर नरेश रामसिंहजी बहुधा रात्रि के समय वेश बदलकर शहर में घूमा करते थे। अवसर देखकर कई बार वे जयाचार्य के दर्शनार्थ लालाजी की हवेली में भी आ जाया करते थे। अपने विषय में किसी के सम्मुख बात बताने का उन्होंने जयाचार्य को निषेध कर दिया था। अतः उनके आवागमन का बहुत समय तक अन्य किसी को पता नहीं लग पाया। नरेश के साथ बहुधा ठाकुर नारायणसिंहजी रहा करते थे। एक बार हवेली में प्रविष्ट होते समय ठाकुर साहब ने किसी प्रसंग पर उन्हें 'अन्नदाता' कहकर संबोधित किया। वह शब्द लालाजी के एक नौकर के कानों में पड़ गया। उसी से उसको थोड़ा संदेह हुआ। उसने वह बात लालाजी से कही तो उन्होंने अबकी बार के आगमन पर ध्यान रखकर पहले से ही सूचित कर देने को कहा। कुछ दिन पश्चात् जब नरेश का पुनः आवागमन हुआ तो नौकर ने तत्काल लालाजी को सूचित कर दिया। लालाजी द्वार पर खड़े होकर उनके वापस आने की प्रतीक्षा करने लगे। महाराज रामसिंहजी दर्शन तथा बातचीत कर वापस लौटकर जब द्वार पर आए तब लालाजी ने अपनी तरफ से कुछ भेंट उनके सम्मुख उपस्थित की। नरेश मुस्कुराए और बोले— 'अच्छा तो तुमने मुझे पहचान लिया है।' लालाजी ने भी तत्काल उत्तर दिया कि सूर्य को कौन नहीं पहचान लेता। नरेश उनकी बात से बहुत प्रसन्न हुए और यह कहकर आगे बढ़ गए कि यहां तो हम गुरुदर्शन के लिए आए हैं, भेंट लेने के लिए नहीं।
*अंतिम दिनों में*
संवत् 1938 का चातुर्मास प्रायः चौथाई ही बीत पाया था कि लालाजी अचानक रुग्ण हो गए। रोग ने तीव्र आक्रमण किया था अतः उनके बचने की आशा बहुत क्षीण हो गई। जयाचार्य स्वयं वृद्ध होने के साथ-साथ उन दिनों रुग्ण भी थे। फिर भी उस दिन मध्याह्न तथा सांयकाल में दो बार ऊपर पधारकर दर्शन दिए। जयाचार्य के मंगलमय उपदेश ने लालाजी के परिणामों को उच्च बनाने में बड़ा सहयोग प्रदान किया। उसी दिन श्रावण पूर्णिमा को उनका देहावसान हो गया। उनका परिवार बहुत बड़ा था। परिजनों तथा मित्रजनों का विस्तार भी बहुत था। शहर का एक सम्मानित घर होने के कारण उनकी मृत्यु पर संवेदना व्यक्त करने वालों का आवागमन भी बड़ी मात्रा में होने वाला था। इसीलिए जयाचार्य सूर्योदय होते ही सरदारमलजी लूणिया के मकान में पधार गए। छट्ठे दिन सांय वे पुनः लालाजी के मकान में आ गए। वहां भाद्र कृष्ण द्वादशी को उनका भी स्वर्गवास हो गया। लाला भैरूंलालजी ने गुरु विरह नहीं देखा। वे जयाचार्य से मात्र बारह दिन पहले ही दिवंगत हुए थे।
*आचार्य ऋषिराय से थली में पधारने की प्रार्थना करने वाले चार प्रसिद्ध और प्रथम श्रावकों में से एक बिदासर के श्रावक उत्तमचंदजी बैंगानी के प्रेरणादायी जीवन-वृत्त* के बारे में आगे और जानेंगे व प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम
👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "सलण्डी" पधारेंगे
👉 आज का प्रवास - श्याम राइस मिल, सलण्डी जिला - बलांगीर (ओड़िशा)
प्रस्तुति - *संघ संवाद*
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