05.02.2018 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 05.02.2018
Updated: 06.02.2018

Update

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*06/02/18* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ ले
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*के.वी. कुप्पम*
गुडियातम-वैलुर रोड
☎9003789485,9894529102
9488921371
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*नागमंगला*
मडिकेरी- मेसुर रोड (कर्नाटक)
☎9448385582
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*महावीर भवन*
*विलिपुरम*
☎8107033307
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ *मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*महावीर भवन*
*विलिपुरम*
☎9566296874
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Sree Agastiya Temple*
No ER -391/91
Pudiyagoan
Tirupunitra(केरला) ☎9672039432,7907269421
9246998909
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी एवं मुनि श्री दीप कुमार जी का प्रवास*
*जैन मन्दिर*
*हरिहर* (कर्नाटक)
पुना - बैगलौर हाईवे
☎7821050720,9558651374
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*कुप्पम से विहार करके नडीमाडु A P माडल स्कूल* पघारेगे
KGF - KRISHNAGIRI ROAD (कर्नाटक)
☎8890788494,9845353039
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
*पम्पाकल्याण मण्डप*
*अन्नावरम्*(विहार 9.5 km)
विशाखापट्नम् - चेन्नैइ रोड
☎7297958479,9025434777
7044937375
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 6* का प्रवास
*अर्हम भवन विजयनगर बैगलौर*
(कर्नाटक)
☎7624946879,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*North town*
*Chennai* (तमिलनाडु)
☎9884901680,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*मोसलेहोस्लली स्कुल से 11km का विहार करके ऐलेशपुरा पधारेगे*
हासन - मैसुर रोड
☎9601420513,
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 6* का प्रवास *तेरापंथ सभा भवन गॉधीनगर बैगलौर* (कर्नाटक)
☎7798028703
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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प्रस्तुति:- 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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Update

*चातुर्मास घोषणा*

*आचार्य श्री महाश्रमण जी* ने महती कृपा कर मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा 2 का सन 2018 का चार्तुमास पुणे फरमाया है।

प्रस्तुति -🌻 *संघ संवाद* 🌻

News in Hindi

👉 सेलम - प्लास्टिक फ्री वीक सप्ताह आयोजन
👉 उधना, सूरत - ज्ञानशाला ज्ञानार्थीयों के लिए खेलकुद प्रतियोगिता का आयोजन
👉 नेरुल, मुम्बई - प्लास्टिक को कहे ना अभियान
👉 गदग - प्लास्टिक फ्री वीक बेनर का अनावरण व बनें श्रेष्ठ अभिभावक कार्यशाला का आयोजन
👉 राउरकेला - तेरापंथ महिला मंडल द्वारा कार्यक्रम
👉 दिल्ली - अणुव्रत समिति का शपथ ग्रहण आयोजित

प्रस्तुति: *🌻संघ संवाद🌻*

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 251* 📝

*भवार्णव पारगामी आचार्य भद्रबाहु-द्वितीय*
*(निर्युक्तिकार)*

*साहित्य*

आचार्य भद्रबाहु आगम मर्मज्ञ थे। उन्होंने निर्युक्ति साहित्य के रूप में आगमों की सूत्र स्पर्शी व्याख्याएं कीं। *'उवसग्गहरं स्तोत्र'*और 'भद्रबाहु संहिता' भी आचार्य भद्रबाहु की रचना है। भद्रबाहु संहिता वर्तमान में उपलब्ध नहीं है। जो उपलब्ध है, वह निर्युक्तिकार भद्रबाहु की नहीं है।

व्यंतर देव के उपद्रव से क्षुब्ध जनमानस को शांति प्रदान करने के लिए भद्रबाहु ने 'उवसग्गहरं पासं' इस पंक्ति से प्रारंभ होने वाला विघ्न-विनाशक मंगलमय स्तोत्र बनाया था। वह स्तोत्र अत्यधिक चामत्कारिक सिद्ध हुआ। आज भी लोग संकट की घड़ियों में हार्दिक निष्ठा से इस स्तोत्र का स्मरण करते हैं।

ग्रंथकारों के अभिमत से यह व्यंतर देव वराहमिहिर था। तपस्वी मुनियों के सामने उसका कोई बल काम नहीं कर सका। वह पूर्व वैर से रुष्ट होकर श्रावक समाज को त्रास दे रहा था। संघ ने भद्रबाहु से विनती की "आप जैसे तपस्वी आचार्य होते हुए भी हम कष्ट पा रहे हैं।"

*"कुञ्जरस्कंधाधिरूढ़ोऽपि भषणैर्क्ष्यते"*
(गजारूढ़ व्यक्ति भी कुत्तों से काटा जा रहा है)

श्रा समाज की इस दर्द भरी प्रार्थना पर आचार्य भद्रबाहु का ध्यान केंद्रित हुआ। उन्होंने इस प्रसंग पर पंच श्लोकात्मक महाप्रभावी उक्त स्तोत्र का पूर्वों से उद्धार किया था।

निर्युक्ति साहित्य का सृजन कर आचार्य भद्रबाहु ने विपुल ख्याति अर्जित की। भद्रबाहु की अधिकांश निर्युक्तियां आगम साहित्य पर हैं, अतः आगम के व्याख्या ग्रंथों में उनका सर्वोच्च स्थान है।

निर्युक्तियां आर्या छंद में निर्मित पद्यमयी प्राकृत रचनाएं हैं। काल की दृष्टि से भी वे प्राचीन हैं। उनकी शैली गूढ़ और सांकेतिक है। आगम के पारिभाषिक शब्दों की स्पष्ट व्याख्या करना उनका मुख्य उद्देश्य है। निक्षेप पद्धति के आधार पर प्रतिपाद्य शब्दों में संभावित विविध अर्थों की सूचना देने के बाद स्वाभिप्रेत अर्थ का ग्रहण और वर्णन इन निर्युक्तियों में हुआ है। शब्द व्याख्या में यह निक्षेप शैली शोध पाठकों के लिए विशेष उपयोगी और ज्ञानवर्धक है। ये निर्युक्तियां अपने आप में परिपूर्ण हैं, स्वाभिप्रेत की अभिव्यक्ति में सफल हैं। विषय सामग्री की दृष्टि से संपन्न हैं एवं मधुर सुक्तियों के प्रयोग से सरस भी। भारत की सुप्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति के दर्शन इनमें किए जा सकते हैं। विभिन्न घटनाओं, दृष्टांतों, कथानकों के संकेतों एवं उपयोगी सूचनाओं से गर्भित निर्युक्ति-साहित्य मूल्यवान है।

*आचार्य भद्रबाहु ने 10 निर्युक्तियों की रचना किन ग्रंथों पर की है...?* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 75* 📝

*कुंवर लालसिंहजी*

गोगुंदा ठाकुर के पुत्र कुंवर लालसिंहजी ऋषिराय के संपर्क में आए। धीरे-धीरे उनकी रुचि जैन धर्म की और बढ़ती चली गई। उन्होंने तत्त्व को समझा और ऋषिराय के पास गुरु-धारणा करके विधिवत् तेरापंथी श्रावक बन गए। वे केवल बनने के लिए ही तेरापंथी नहीं थे अपितु अच्छी तरह से तत्त्वज्ञान प्राप्त करके ही बने थे। इसीलिए कोई भी विपक्ष उन्हें भटका नहीं सकता था। जहां कहीं भी अवसर आता था वहां वे अपने मंतव्यों का अच्छी तरह से मंडन करते थे। अपनी बात को सहज रूप से दूसरों के हृदय में उतार देने की कला में वे बड़े निपुण थे।

तात्कालीन मेवाड़ राज्य के नियमानुसार प्रत्येक 'उमराव' को प्रतिवर्ष कुछ महीनों के लिए महाराणा की सेवा में उदयपुर रहना होता था। गोगुंदा से कभी स्वयं ठाकुर साहब सेवा में चले जाते थे और कभी कुंवर साहब को भेज देते थे। एक बार कुंवर लालसिंहजी वहां गए हुए थे। प्रतिदिन महाराणा जवानसिंहजी के सम्मुख उमरावों की उपस्थिति हुआ करती थी। उस समय प्रसंगोपात विविध बातें चला करतीं। एक दिन परिषद् में किसी उमराव ने प्रसंग छेड़ते हुए महाराणा से निवेदन किया कि "कुंवर साहब अब तो तेरापंथी बन गए हैं। न मंदिर में जाते हैं और न भगवान् की पूजा ही करते हैं।"

महाराणा ने आश्चर्य करते हुए उनसे पूछा— "क्यों लालसिंह! क्या यह ठीक कह रहे हैं?

कुंवर साहब ने निवेदन करते हुए कहा— "हां अन्नदाता! बिल्कुल ठीक कह रहे हैं। मूर्तिपूजा में मेरा विश्वास नहीं है। यों हमारे गांव में अनेक मंदिर हैं। वहां पूजा भी होती है। मैं उसके लिए कोई विरोध नहीं करता। पर मूर्ति को भगवान् मानना या न मानना अपने-अपने विश्वास पर ही निर्भर है।"

महाराणा समझाते हुए बोले— "भगवान् की मूर्ति तो भगवान् ही होती है। अनादिकाल से चली आ रही इस धार्मिक पद्धति को तुमने क्यों छोड़ दिया? मूर्ति की पूजा तो हम भी करते हैं। यदि इसमें कोई सार नहीं होता तो शास्त्रों में इसका कथन ही क्यों आता?"

कुंवर साहब— "त्रुटि के लिए क्षमा हो तो एक निवेदन करूं।"
महाराणा— "हां-हां बेखटके कहो न।"
कुंवर साहब— "अब से हमें आज्ञा दीजिए कि हम अपने गांव में ही रहें और यहां सेवा में न आएं।"
महाराणा— "क्यों यह किसलिए? सेवा में तो तुम्हें आना ही चाहिए।"
कुंवर साहब— "हम आपकी एक मूर्ति वहां रख लेंगे और वहां उसी की सेवा बजा लिया करेंगे या फिर हमारी एक मूर्ति यहां भेज देंगे जो कि प्रतिदिन आपकी सेवा में रहा करेगी।"
महाराणा— "यह सेवा मैं कैसे मान सकता हूं? सेवा तो तुम्हें यहां आकर ही बजानी होगी।"
कुंवर साहब— जब आप ही अपनी मूर्ति की सेवा को अपनी सेवा नहीं मानते, तो फिर भगवान् कैसे मानते होंगे?"

सारे सभासद चुप थे। महाराणा भी इस बात पर कोई समुचित उत्तर नहीं दे पाए। अंततः उन्होंने सभासदों की ओर देखते हुए कहा— "लालसिंह की यह बात है तो ध्यान देने योग्य।"

कुंवर लालसिंहजी को फिर कभी इस बात का उत्तर देने की आवश्यकता नहीं पड़ी। उनके उस एक बार के उत्तर ने ही पूरा काम कर दिया था।

*दृढ़ श्रद्धालु श्रावक ऋषभदासजी तलेसरा के प्रेरणादायी जीवन-वृत्त* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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🔵🔴 *अणुव्रत* 🔴🔵

🔹 *संपादक* 🔹

*श्री अशोक संचेती*

📍 *फरवरी अंक* 📍

‼पढिये‼
*प्रकाश धर्म का*
स्तम्भ के अंतर्गत
*साध्वी राजीमती*
की सतत साधना
का नवनीत❗.......

🔅प्रेषक 🔅
*अणुव्रत सोशल मीडिया*

🔅संप्रसारक🔅
🌻 *संघ संवाद* 🌻

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📿 *नवीन चातुर्मास घोषणा*📿

🔹 *परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी* ने महत्ती कृपा कर *मुनि श्री प्रसन्न कुमार जी* आदि ठाणा 4 का *संवत 2075 का चातुर्मास कामरेज* में फरमाया है।

🔹 *परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी* ने महत्ती कृपा कर *शासन श्री साध्वी श्री केलाशवती जी* ठाणा -5 का *संवत 2075 का चातुर्मास अम्बाजोगाई, जिला-बीड* में फरमाया है ।
*साथ ही करीब 8 सप्ताह का प्रवास लातुर में कराने का निर्देश फरमाया है।*

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद*🌻

👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए

🌻 *संघ संवाद* 🌻

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https://goo.gl/maps/JQofgS7UeF32
👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम

👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "जरपाड़ा" पधारेंगे

👉 आज का प्रवास - पतित पावन उच्च विद्यालय, जरपाड़ा, जिला - अंगुल (ओड़िशा)

प्रस्तुति - *संघ संवाद*

Source: © Facebook

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Sources

Sangh Samvad
SS
Sangh Samvad

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Page glossary
Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
  1. अशोक
  2. आचार्य
  3. आचार्य महाप्रज्ञ
  4. दर्शन
  5. पूजा
  6. भाव
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