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परम पूज्य तपस्वी सम्राट आचार्य श्री सन्मति सागर जी महाराज का आज समाधि दिवस है उनके चरणों मे भाव भीनी विनयांजलि
आज समाधी दिवस है ऐसे महान साधक महान तपस्वी चारित्र चूड़ामणि संत के विषय मे जितना कहा जाये कम होगा कही बार देखा गया रात्रि तीन बजे उठकर एक टांग पर खडे रहकर साधना करना एक उपवास एक आहार वोह भी छाछ और पानी धन्य हो ऐसे निष्प्रह साधक जिनवाणी के ज्ञाता देखा मैने एक छोटे से पाटिया पर अपना विश्राम करना जो एक निष्प्रह साधक ही कर सकता है संघ मे अनुशासन आपको अत्यंत प्रिय था कुंजवन उदगाव वोह पावन स्थान है जहा पूज्य गुरुवर की अंतिम क्रिया हुयी थी
कुछ शब्दों के द्वारा कहूँगा
कहा मिलेगे ऐसे गुरु के चरण दोबारा उन्हे म्रत्यु ने हमे म्रत्यु के समाचार ने मारा सोम छवी आँखों मे करुणा हित मित प्रिय वाणी थी अम्रत धार बही जो जन जन कल्याणी थी
कौन कहता है गुरुवर नहीं है उदगांव की पावन भूमि जब फूल खिलेगे जाओगे कुंजवन उदगाँव तो गुरुवर वही मिलेगे
गुरुवर तुम विश्व धर्म के सूरज हो तप त्याग की अदभुत मूरत हो है धन्य धन्य महिमा तेरी तम हरने वाले सूरज हो
अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी रामगंजमंडी
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