12.12.2017 ►TMC ►Terapanth Center News

Published: 12.12.2017
Updated: 13.12.2017

Update

-#पुरुलिया को पावन कर बढ़े #ज्योतिचरण, लगभग #13_किलोमीटर का हुआ विहार

-अहिंसा यात्रा संग #महातपस्वी पहुंचे कांटाडीह एस.एस. हाईस्कूल के प्रांगण

-उपस्थित #श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने मानव जीवन को सफल बनाने के बताए सूत्र

-विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने #आचार्य_श्री_महाश्रमण से स्वीकार की संकल्पत्रयी

12.12.2017 #कांटाडीह, पुरुलिया (#पश्चिम_बंगाल):- कभी गांवों में, तो कभी शहरों में, कभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर तो कभी पगडंडियों पर, कभी पथरीले पथ तो कभी समतल मैदानों से होती हुई अहिंसा यात्रा अपने प्रणेता, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, महातपस्वी शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी और उनकी धवल सेना के साथ सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का संप्रसार करते हुए लोगों को अपने जीवनशैली की बदलाव की प्रेरणा देते हुए निरंतर गतिमान है। एक अविरल धवल धारा की तरह मार्ग की परवाह किए बिना जन-जन के मानस को आध्यात्मिक सिंचन प्रदान करने के लिए महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी व उनकी धवल सेना जिस क्षेत्र से निकलती है मानों वहां की फिजा ही बदल जाती है। ऐसे महातपस्वी के चरणरज मात्र से फिजाओं में घुल जाती है खुशबू सौहार्द, मिठास भाईचारे की, प्रभाव नैतिकता का। भला ऐसे महातपस्वी महामानव आचार्यश्री महाश्रमणजी के दर्शन पाकर कौन नहीं आह्लादित हो उठे।
ऐसे महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी मंगलवार की प्रातः पुरुलिया स्थित बंगाल इंस्टीट्यूट आॅफ साइंस एंड टेक्नोलाॅजी से मंगल प्रस्थान किया। नगर में रहने वाले तेरापंथी श्रद्धालुओं के साथ अन्य विभिन्न समाज के लोग ऐसे महापुरुष के दर्शन को अपने घर से बाहर खड़े थे। सभी अपनी श्रद्धानुसार प्रणत होते और अपने आपको आचार्यश्री के आशीर्वाद का भागीदार बना लेते। सबके ऊपर समान रूप से आशीषवृष्टि करते हुए महातपस्वी लगभग 13 किलोमीटर का विहार कर कांटाडीह स्थित कांटाडीह एस.एस. हाईस्कूल के प्रांगण में पधारे।
प्रांगण में बने एक बरामदेनुमा हाॅल में उपस्थित श्रद्धालुओं को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि यह मानव जीवन दुर्लभ है, लेकिन वर्तमान जिन्हें भी यह मनुष्यों जीवन लब्ध है, उसे इसका अच्छा उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने मानव जीवन को एक वृक्ष के रूप में बताते हुए कहा कि इस वृक्ष पर छह प्रकार के फल लगें तो मानव जीवन सार्थक हो सकता है। मानवरूपी वृक्ष का पहला फल जिनेन्द्र पूजा है। अर्हत देवों की पूजा, उनकी आराधना करने का प्रयास करना चाहिए। मानव जीवन रूपी वृक्ष का दूसरा फल गुरु की पर्युपासना करना बताया गया है। आदमी को अपने गुरु की उपासना करने का प्रयास करना चाहिए। इस वृक्ष का तीसरा फल सत्वानुकंपा को बताया गया है। आदमी को सभी प्राणियों के प्रति दया का भाव रखने का प्रयास करना चाहिए। सुपात्र को दान देना मानव जीवन रूपी वृक्ष का चैथा फल होता है। मानव जीवन रूपी वृक्ष का पांचवा फल गुणों के प्रति अनुराग होता है। आदमी को गुण कहीं से भी प्राप्त हो उन्हें ग्रहण करने का प्रयास करना चाहिए। गुणों के प्रति अनुराग की भावना रखने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को स्वयं में भी गुणों का विकास करने का प्रयास करना चाहिए। मानव जीवनरूपी वृक्ष का छठा फल आगमवाणी के श्रवण का होना चाहिए।
यह छह फल मानव जीवनरूपी वृक्ष में लग जाएं तो मानव जीवन सफल हो सकता है, सार्थक बन सकता है। आदमी को अपना जीवन फलवान बनाने का प्रयास करना चाहिए। अफल, निष्फल जीवन जीने से बचने का प्रयास करना चाहिए।
मंगल प्रवचन के उपरान्त साधु-साध्वियों के उपस्थित विगत 7 दिसम्बर को दिवंगत साध्वी ऋजुश्रीजी की स्मृति सभा आयोजित हुई। जिसमें आचार्यश्री ने उनकी जीवनवृत्त पर संक्षिप्त प्रकाश डाला और उनकी आत्मा के प्रति मध्यस्थ भाव से मंगलभावना व्यक्त की। सभी ने चार लोगस्स का ध्यान किया। साध्वीप्रमुखाजी ने दिवंगत साध्वीश्रीजी के लिए आध्यात्मिक मंगलकामना की। अपने विद्यालय में आचार्यश्री का स्वागत करते हुए विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री तापस कुमार पात्रा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने आशीर्वाद स्वरूपी उन्हें संकल्पत्रयी स्वीकार करवाई।

12.12.2017
प्रस्तुति> #तेरापंथ मीडिया सेंटर
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News in Hindi

🙏 #जय_जिनेन्द्र सा 🙏

दिनांक- 12-12-2017
तिथि: - #पौष कृष्ण #दसमी (10)

#मंगलवार त्याग/#पचखाण

★आज #खाने में #झूठा छोड़ने का #त्याग करे।

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जय जिनेन्द्र
#प्रतिदिन जो त्याग करवाया जाता हैं। सभी से #निवेदन है की आप स्वेच्छा से त्याग अवश्य करे। छोटे छोटे #त्याग करके भी हम मोक्ष मार्ग की #आराधना कर सकते हैं। त्याग अपने आप में आध्यात्म का मार्ग हैं।
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🙏तेरापंथ मीडिया सेंटर🙏

🔯 गुरुवर की अमृत वाणी 🔯
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