News in Hindi
Source: © Facebook
एक एक बूंद पानी की अहमियत समझनी हो तो देबाशीष घोष से मिलिए।
पेशे से सरकारी अधिकारी और शौक है रास्ते में टपकते नल की मरम्मत करना। रास्तों पर चलते वक्त जब भी उन्हें कोई टपकता नल दिखता है तो वह उसको ठीक करने में लग जाते हैं। वह पेड़-पौधे लगाने में सक्रिय रहने के साथ ही तालाब साफ कराने जैसे काम में भी शामिल रहते हैं।
देबाशीष का कहना है कि जितना पानी की कमी है उससे ज्यादा पानी बर्बाद किया जा रहा है। लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि आने वाले वक्त में लोग तेल के लिए नहीं बल्कि पानी के लिए लड़ेंगे। उन्होंने कहा, 'यह हमारी धरती है और हमें ही अपना घर बचाना होगा। अगर मैं आज पानी बचाता हूं तो कल मेरे बच्चे उसके लिए परेशान नहीं होंगे। अगर हमारे हाथ से खून बहने लगे तो हम उसे रोकने का उपाय करते हैं, लेकिन जब हमें सड़क पर कोई टोटी खुली हुई दिखती है तो हम उसे बंद करने का प्रयास क्यों नहीं करते?'
देबाशीष दो साल बाद रिटायर हो जाएंगे। फिर उनके पास इस काम को करने का काफी वक्त होगा। उन्होंने बताया कि अभी वह सिर्फ छुट्टियों में ही यह काम करते हैं। उनकी पत्नी शांता ने कहा, 'शुरू में मुझे इनके काम को देखकर लगता था कि यह समय की बर्बादी है। मैं सोचती थी कि वह किसी दूसरे के लिए क्यों काम करते हैं? लेकिन कुछ दिनों बाद मुझे यह अहसास हुआ कि वह समाज के लिए काफी भले का काम कर रहे हैं।'
देबाशीष के काम को उनके पड़ोसी और मित्र सराहने के साथ ही उनका सहयोग भी करते हैं। उनके एक साी सौभिक घोष ने कहा, 'उनके काम को देखकर हम सभी आगे आए। मैंने आजतक किसी को ऐसा करते नहीं देखा है।' देबाशीष ने कहा, 'हर कोई यह सोचता है कि मैं नगर निगम का आदमी हूं। निगम अच्छा काम कर रहा है। हमें उनके काम को सपॉर्ट करने की जरूरत है। मैं निगम के सहयोग से काम करना पसंद करूंगा।'
Source: © Facebook