27.01.2017 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 27.01.2017
Updated: 28.01.2017

Update

मुनि पुंगव श्री सुधा सागर जी महाराज के दर्शन करने जर्मनी से पर्यटक आये और उनका कहना था कि वो जर्मनी में डॉ. नगेंदर जैन के पडोसी है और उनका भी जैन धर्म और णमोकार मन्त्र में बहुत आस्था है और वो हफ्ते में एक बार णमोकार का जाप भी करते है और वो नारेली भी जाकर आये है और वो आप के दर्शन के लिए ही यहा आये है इस दौरान 2 घण्टे इन भक्तो ने वँहा बिताये और जिज्ञासा समाधान में पूछा की वो जर्मनी में रहकर कैसे सादगी पूर्वक जीवन व्यतीत करे #MuniSudhaSagar #AcharyaVidyaSagar

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बात सन् 2001 की है.. #AcharyaVidyasagar

आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज, छत्तीसगढ़ के पेंड्रा रोड नामक शहर में थे, जहाँ से उन्हें विहार करके चातुर्मास के लिये अमरकंटक जाना था, चातुर्मास स्थापना के कुछ ही दिन शेष बचे थे एक रात्रि अचानक आचार्य श्री को पैर में घुटने के नीचे पिंडली में दर्द होने लगा, दर्द रात्रि में हुआ तो किसी से कहाँ भी नही, लेकिन सुबह जब सभी मुनिराजों ने देखा गुरूजी के चेहरे पर प्रतिदिन जैसी मुस्कान नही है, तो एक मुनिश्री ने पूछ लिया, तब आचार्य श्री ने बताया की कल रात्री से हमारे पैर में दर्द हो रहा है, सोचा था सुबह तक ठीक हो जायेगा परन्तु अब तो और बढ़ गया, जब ये बात वहाँ की कमेटी को पता चला तो वो एक वैधजी को बुला लाये, वैधजी ने गुरुदेव के पैर में एक लेप लगाया तो लेप लगाते ही दर्द और बढ़ गया, उसके बाद कई और वैध हकीम अपनी अपनी दवा और लेप लेकर आये, लेकिन दर्द कम होने की जगह और बढ़ रहा था, और बढ़कर घुटने से ऐड़ी तक पहुंच गया, अब तो गुरूदेव आहार चर्या में भी नही जा पा रहे थे, आचार्य श्री के स्वास्थ की खबर जंगल की आग की तरह देशभर में फैल गई, जगह जगह गुरूदेव के अच्छे स्वास्थ के लिये विधान और अन्य धार्मिक अनुष्ठान होने लगे, आचार्य श्री के शिष्य-शिष्या जहाँ जहाँ थे वो सभी गुरूजी के स्वास्थ के लिये जाप, उपवास, फलों और रसों का त्याग करके अपनी विशुध्दि बढाने लगे

_इतनी वेदनीय स्थिति में भी आचार्य भगवन् ने अपनी दैनिक चर्या में कोई परिवर्तन नही किया_ एक रात्री में गुरूजी को असहनीय पीड़ा हो रही थी तो वह सिर्फ एक भी नाम की माला जप रहे थे

*_आचार्य श्री ज्ञान सागर जी की जय_*
*_आचार्य श्री ज्ञान सागर जी की जय_*

उसी दिन तड़के 4 बजे एक व्यक्ति वहाँ आया और दिन निकलने का इंतजार करने लगा जैसे ही दिन निकला तो लोग आने लगे, उसने लोगो से कहा, हमे पता चला है आपके गुरु महाराज के पैर में बहुत दर्द हो रहा है, एक बार हम भी ठीक करके देखना चाहते हैं, लोगो ने उससे कहा भाई जब बड़े बड़े वैध हकीम जब कुछ नही कर सके तो तुम क्या करोगे, लेकिन उसके बार बार आग्रह पर वहाँ उपस्थित लोगों ने ये बात आचार्य श्री तक पहुंचा दी, तो आचार्य श्री ने कहा अब इतने लोग देख गए तो उसे भी देख लेने दो, वो ऊपर गया तो आचार्य श्री तखत पर बैठे हुये थे, उसने हाथ जोड़कर प्रणाम किया और नीचे बैठकर अपने एक हाथ से आचार्य श्री के पैर का अंगूठा पकड़ा और दूसरे हाथ से अपनी जेब से एक लकड़ी निकाली और आचार्य श्री की पिंडली पर घिसने लगा, आचार्य श्री के चेहरे को देखकर लग रहा था की पीड़ा और बढ़ गई, लेकिन वो आदमी आचार्य श्री को देखे बिना लकडी घिसता रहा था और कुछ बुदबुदाता रहा, फिर धीरे धीरे आचार्य श्री के चेहरे के भाव सामान्य होने लगे, थोड़ी देर बाद वह आदमी खड़ा हुआ और बोला अभी थोड़ा समय लगेगा आपको ठीक होने में, लेकिन अब पहले जितना दर्द नही होगा, वो जाने लगा तो, साथ में खड़े मुनि श्री पुराण सागर जी महाराज ने उससे कहा भैया ये जादुई लकडी हमे दे जाओ हम भी सुबह शाम ऐसे ही घिस दिया करेंगे, पर उसने कहा अब जरूरत नही पड़ेगी, उससे पूछा आप कहाँ से आये हो तो उसने बताया की फ़ला गांव से आया हूँ, और नीचे उतर गया, उतरने के बाद उसे किसी ने नही देखा कि वो कहा गायब हो गया, लोगों ने उसके गांव में पता करवाया लेकिन नही मिला

अब आचार्य श्री थोड़ा अच्छा महसूस कर रहे थे, मुनिराजों ने गुरूदेव से कहा पता नही आचार्य श्री वो आदमी कहाँ से आया था कही मिला ही नही, तो आचार्य श्री बोले शायद उसे आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने भेजा होगा, साथ में खड़े मुनिश्री पुराण सागर जी महाराज ने कहा हाँ आप सही कह रहे हो आचार्य श्री..!! आप रातभर से आचार्य ज्ञानसागर जी को ही तो याद कर रहे हो, उसके बाद बाहर के कई बड़े डॉक्टर वहाँ पहुंचे और बताया की इस बीमारी का नाम है_ *_हर्पीज_*

*हर्पीज होने से शरीर पर लाल दाने आ जाते हैं, और इस रोग को ठीक होने में २१ दिन लगते हैं, आचार्य श्री को डॉक्टर ने २ किलोमीटर से अधिक चलने के लिये मना किया था लेकिन आचार्य श्री तो एक बार में १० - १० किलोमीटर चलकर अमरकंटक पहुंचे, और धीरे धीरे दर्द भी ठीक हो गया, ये संस्मरण मुनि श्री पुराण सागर जी महाराज दी गई जानकारी के अनुसार है

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प्रवेश प्रारंभ @ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ, आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के पावन आशीर्वाद से संचालित कन्या आवासीय विद्यालय प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में संस्कारित हो रही है बेटियां!! #SaveGirl #AcharyaVidyaSagar #PratibhaSthali

प्रतिभास्थली जबलपुर (8 वर्ष), डोंगरगढ़ (4 वर्ष), रामटेक (3 वर्ष) पूर्ण करने जा रही है यहॉ 1200 के लगभग छात्राएं संस्कारित हो रही है, इस वर्ष भी 1 फरवरी 2017 से प्रवेश प्रारम्भ होने जा रहे है।
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