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TODAY CLICK @ Bhopal ❖ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज...मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान...गाँधी जयंती...क्षमावाणी:) Shivraj Singh Chouhan
आचार्य श्री ने कहा की महावीर जयंती पर इस मैदान में प्रवचन हुआ था । सूर्य देवता भी कहीं छुपे हुए हैं । धरती का नाम क्षमा है,कीट पतंगे, नदी नाले सभी इस धरती की गोदी में विचरण करते हैं । स्वर्ग से अच्छी धरती है ये भारत की धरती । अहिंसा को प्रणाम करने से अहिंसा का पालन नहीं होता । अहिंसा एक निषेधात्मक शब्द है । हिंशा का निषेध् जहां होता है अहिंसा का प्रादुर्भाव बहिसे होता है । उन्होंने कहा कि भोजन चाहते हो तो आपको अग्नि से पाक हुआ भोजन मिलता है । बिना अग्नि के जीवन का निर्माण नहीं होता । कुम्भकार भी मिटटी के बर्तन को अग्नि के हवाले करता है तो अग्नि देवता प्रज्ज्वलित नहीं होते तब कुम्भ कहता है आप अग्नि से इन्हें जलाओगे नहीं बल्कि इन्हें जिलाओगे । हमें पक्का कर दो मेरा जीवन तभी लोगों को शीतलता प्रदान कर पायेगा । आप संकोच मत करो अग्नि देवता मुझे अपना तेज प्रदान करो । उन्होंने कहा की श्रम के बिना पुरुषार्थ के बिना पुरुष का जीवन भी अधूरा होता है इसलिए मुझे पवित्र पावन बना दो तो में एक मंगलकलस बन जाऊंगा । गुरुवर ने कहा की आप जल की शीतलता से ही घबरा जाते हो और मिटटी का कुम्भ अग्नि के तेज से भी नहीं डरता । धरती की दरारें पानी की बूंदों से से भर्ती हैं और जीवन की दरारें क्षमा से भर्ती हैं । पात्र के बिना पानी टिक नहीं सकता और पात्र के बिना प्राणी टिक नहीं सकता । जब तक निस्वार्थ भाव से कार्य करने बाले करपात्री आगे नहीं आएंगे तब तक ये समाज टिक नहीं सक्टा । मुख्यमंत्री जी को ऐंसा ही करपात्र बनना होगा अपने प्रदेश की प्रजा के लिए तभी प्रदेश बिकसित होगा ।
उन्होंने कहा की पुरुषार्थ और श्रम के आभाव में दुर्दशा होती है । हमारी क्षमा में श्रमिकपन आना चाहिए । शिक्षा हमेंशा कर्म की होती है जबकि आज शिक्षाकर्मी की शिक्षा चल रही है । भारत की मर्यादा खेतीबाड़ी, साडी, हैं। शिक्षा ऐंसी हो जो भारतीय संस्कृति के आधार पर होना चाहैए परंतु बिना सिंग और पूँछ की शिक्षा चल रही है । बड़े बड़े स्नातक आज बेरोजगार घूम रहे हैं,अनेक इंजीनियर कर्जे से दबे हुए हैं उन्हें ऋणी बना दिया है । विश्व बैंक के कर्जे से भारत की बैंक भी दब रही हैं । आर्थिक गुलामी के दौर से भारत गुजर रहा है । शिक्षा लेकर अपना अच्छा कर्म करें,पुरुषार्थ करें । सुभाष चंद्र बॉस ने अपनी माँ को पात्र को लिखा था की माँ मुझे बाबू नहीं बनना बल्कि अपने पैरों पर स्वाभिमान से खड़े होना है । गुरुवर ने कहा की भारत के बिना विश्व भी खड़ा नहीं रह सकता है । क्षमा की जो बिधि बताई है क्षमा उस बिधि से ही होती है । बाबू बनने के चक्कर में कर्म से दूर हो रहे हैं देश के युवा । श्रम रहित समाज गुलामी की मानसिकता का प्रतीक बन जाता है । गुरुवर ने कहा कि किसान आज पूरा कर्म करने के बाद भी दुखी क्यों है इस पर विचार करने की जरूरत है । आज इंडिया की नहीं प्राचीन भारत की कृषि को पुनर्जीवित करने की आवशयकता है । आज श्रमिक का जो शोषण हो रहा है सरकार को उसे रोकने के लिए सार्थक कदम उठाना चाहिये तभीएक अच्छे समाज की कल्पना को सार्थक किया जा सकता है । आजशहर शेयर बाजार के चक्कर में आगे बढ़ रहा है और देश को पीछे कर रहा है । मुख्यमंत्री जी आपको जनता ने विधायक बनाया था इसलिए जनता जो शासक है उसके भले को सोचकर ही आगे कदम बढ़ाएं क्योंकि केंद्र कोई भीजनता केंद्रबिंदु है । चुनाब के समय ही नहीं आचार सहिंता हमेशा के लिए लागु होना चाहिए
70 शाल हो गए आजादी को आज आजादी को परंतु जनता का पक्ष कमजोर हो गया है । आज विदेशी भाषा हावी होती जा रही है अपनी राष्ट्रभाषा को पीछे धकेल दिया है । अंग्रेजी को जान्ने बाले गिनती के हैं परन्तु उसे ही हर काममें इस्तेमाल किया जा रहा है । न्याय के क्षेत्र मेंभी इस भाषा के कारन जनता को परेशानी हो रही है । भारत को अपनी भाषा के प्रति गंभीर होना पडेगा तभी हम सही न्याय कर पाएंगे ।राष्ट्र की सभी स्थानीय भाषाओं का उपयोग अंग्रेजी के स्थान पर होना चाहिए । मध्यप्रदेश हिंदी को मजबूत करने के लिए तत्पर है परंतु सम्पूर्ण भारत में इसके लिए अभियान चलाना चाहिए। picture and pravachan shared by mr. brajesh jain ji -loads thanks him!
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today UPDATE @ #Bhopal #ShivrajSingh ❖ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के सानिध्य में आज गाँधी जयंती पर सामूहिक क्षमावाणी लाल परेड मैदान में मनाई गयी जिसमे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, वित्त मंत्री जयंत मलैया, श्रीमती साधना चौहान, प्रमोद हिमांशु, अलोक शर्मा आदि ने उनकी अगवानी की! Acharya shri Gajab marmik pravachan jarur padhe or share kare:)
आचार्य श्री ने कहा की महावीर जयंती पर इस मैदान में प्रवचन हुआ था । सूर्य देवता भी कहीं छुपे हुए हैं । धरती का नाम क्षमा है,कीट पतंगे, नदी नाले सभी इस धरती की गोदी में विचरण करते हैं । स्वर्ग से अच्छी धरती है ये भारत की धरती । अहिंसा को प्रणाम करने से अहिंसा का पालन नहीं होता । अहिंसा एक निषेधात्मक शब्द है । हिंशा का निषेध् जहां होता है अहिंसा का प्रादुर्भाव बहिसे होता है । उन्होंने कहा कि भोजन चाहते हो तो आपको अग्नि से पाक हुआ भोजन मिलता है । बिना अग्नि के जीवन का निर्माण नहीं होता । कुम्भकार भी मिटटी के बर्तन को अग्नि के हवाले करता है तो अग्नि देवता प्रज्ज्वलित नहीं होते तब कुम्भ कहता है आप अग्नि से इन्हें जलाओगे नहीं बल्कि इन्हें जिलाओगे । हमें पक्का कर दो मेरा जीवन तभी लोगों को शीतलता प्रदान कर पायेगा । आप संकोच मत करो अग्नि देवता मुझे अपना तेज प्रदान करो । उन्होंने कहा की श्रम के बिना पुरुषार्थ के बिना पुरुष का जीवन भी अधूरा होता है इसलिए मुझे पवित्र पावन बना दो तो में एक मंगलकलस बन जाऊंगा । गुरुवर ने कहा की आप जल की शीतलता से ही घबरा जाते हो और मिटटी का कुम्भ अग्नि के तेज से भी नहीं डरता । धरती की दरारें पानी की बूंदों से से भर्ती हैं और जीवन की दरारें क्षमा से भर्ती हैं । पात्र के बिना पानी टिक नहीं सकता और पात्र के बिना प्राणी टिक नहीं सकता । जब तक निस्वार्थ भाव से कार्य करने बाले करपात्री आगे नहीं आएंगे तब तक ये समाज टिक नहीं सक्टा । मुख्यमंत्री जी को ऐंसा ही करपात्र बनना होगा अपने प्रदेश की प्रजा के लिए तभी प्रदेश बिकसित होगा ।
उन्होंने कहा की पुरुषार्थ और श्रम के आभाव में दुर्दशा होती है । हमारी क्षमा में श्रमिकपन आना चाहिए । शिक्षा हमेंशा कर्म की होती है जबकि आज शिक्षाकर्मी की शिक्षा चल रही है । भारत की मर्यादा खेतीबाड़ी, साडी, हैं। शिक्षा ऐंसी हो जो भारतीय संस्कृति के आधार पर होना चाहैए परंतु बिना सिंग और पूँछ की शिक्षा चल रही है । बड़े बड़े स्नातक आज बेरोजगार घूम रहे हैं,अनेक इंजीनियर कर्जे से दबे हुए हैं उन्हें ऋणी बना दिया है । विश्व बैंक के कर्जे से भारत की बैंक भी दब रही हैं । आर्थिक गुलामी के दौर से भारत गुजर रहा है । शिक्षा लेकर अपना अच्छा कर्म करें,पुरुषार्थ करें । सुभाष चंद्र बॉस ने अपनी माँ को पात्र को लिखा था की माँ मुझे बाबू नहीं बनना बल्कि अपने पैरों पर स्वाभिमान से खड़े होना है । गुरुवर ने कहा की भारत के बिना विश्व भी खड़ा नहीं रह सकता है । क्षमा की जो बिधि बताई है क्षमा उस बिधि से ही होती है । बाबू बनने के चक्कर में कर्म से दूर हो रहे हैं देश के युवा । श्रम रहित समाज गुलामी की मानसिकता का प्रतीक बन जाता है । गुरुवर ने कहा कि किसान आज पूरा कर्म करने के बाद भी दुखी क्यों है इस पर विचार करने की जरूरत है । आज इंडिया की नहीं प्राचीन भारत की कृषि को पुनर्जीवित करने की आवशयकता है । आज श्रमिक का जो शोषण हो रहा है सरकार को उसे रोकने के लिए सार्थक कदम उठाना चाहिये तभीएक अच्छे समाज की कल्पना को सार्थक किया जा सकता है । आजशहर शेयर बाजार के चक्कर में आगे बढ़ रहा है और देश को पीछे कर रहा है । मुख्यमंत्री जी आपको जनता ने विधायक बनाया था इसलिए जनता जो शासक है उसके भले को सोचकर ही आगे कदम बढ़ाएं क्योंकि केंद्र कोई भीजनता केंद्रबिंदु है । चुनाब के समय ही नहीं आचार सहिंता हमेशा के लिए लागु होना चाहिए
70 शाल हो गए आजादी को आज आजादी को परंतु जनता का पक्ष कमजोर हो गया है । आज विदेशी भाषा हावी होती जा रही है अपनी राष्ट्रभाषा को पीछे धकेल दिया है । अंग्रेजी को जान्ने बाले गिनती के हैं परन्तु उसे ही हर काममें इस्तेमाल किया जा रहा है । न्याय के क्षेत्र मेंभी इस भाषा के कारन जनता को परेशानी हो रही है । भारत को अपनी भाषा के प्रति गंभीर होना पडेगा तभी हम सही न्याय कर पाएंगे ।राष्ट्र की सभी स्थानीय भाषाओं का उपयोग अंग्रेजी के स्थान पर होना चाहिए । मध्यप्रदेश हिंदी को मजबूत करने के लिए तत्पर है परंतु सम्पूर्ण भारत में इसके लिए अभियान चलाना चाहिए। picture and pravachan shared by mr. brajesh jain ji -loads thanks him!
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News in Hindi
आज आचार्यश्री जी के परम सानिध्य में मनेगा, क्षमावाणी दिवस*। स्वयं मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह करते हैं यह आयोजन । #Shivraj #ShivrajSingh #AcharyaShri #Vidyasagar #Kshamavani
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विगत कई वर्षों से मप्र के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह जी मुख्यमंत्री निवास पर क्षमावाणी महोत्सव मनाते आ रहे हैं । यह सर्व विदित है कि श्री शिवराज जी, आचार्यश्री के पक्के आज्ञाकारी माने जाते हैं और उनमे अटूट श्रद्धा रखते हैं ।
इन दिनों स्वयं आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ भोपाल में चातुर्मासरत हैं, ऐसे में इस आयोजन को अधिक विशाल रूप दिया गया है, इसी कारण मुख्यमंत्री निवास की बजाय इसे लाल परेड ग्राउंड पर रखा जा रहा है ।
जानकारी मिली है कि, कल पूज्य आचार्यश्री जी ससंघ की आहार चर्या टीन शैड मन्दिर जी से हो सकती है बही से दोपहर में 2 बजे आयोजित इस कार्यक्रम हेतु लाल परेड ग्राउंड जाएंगे ।
भोपाल में इस कार्यक्रम को भव्यतिभव्य बनाने हेतु व्यापक स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं ।
*अनिल बड़कुल -Loads thanks him!
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पूर्व भव में तुमने जाने कितनी तपस्या करी है।
उसके ही प्रतिफल में आज तुमको यह पदवी मिली है।
निधि पाई, तुम हरषाईं, त्याग की कहानी है—
मां ज्ञानमती, तू सबसे पुरानी है......।।
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