महातपस्वी से अवबोध पाकर पुलकित हुई ‘आधी आबादी’
-महिला मंडल के 41वें राष्ट्रीय अधिवेशन का अंतिम दिन, 198 शाखाओं की 1100 महिलाओं ने लिया भाग
-आचार्यश्री ने ‘स्वस्थ महिला समाज’ बनाने की दी प्रेरणा
-सैकड़ों महिलाओं ने ली जीवन पर्यन्त नशामुक्त रहने का संकल्प
23.09.2016 गड़ल (असम)ः अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल का 41वां राष्ट्रीय अधिवेशन शुक्रवार को आचार्यश्री के सन्निधि में सकुशल सम्पन्न हुआ। इस अधिवेशन में देश भर की 198 शाखाओं से जुड़ी लगभग 1100 महिलाओं ने प्रतिभाग किया। शुक्रवार को आचार्यश्री ने पूरी दुनिया में ‘आधी आबादी’ के नाम से विख्यात महिलाओं को आध्यात्मिक प्रेरणा प्रदान की और उन्हें ‘स्वस्थ महिला समाज’ की स्थापना का अवबोध प्रदान किया। महिलाओं ने भी महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी का आशीर्वाद पाकर इतनी उत्साहित थीं कि वीतराग समवसरण के पंडाल में बैठी सैकड़ों महिला मंडल के सदस्यों ने आचार्यश्री के समक्ष खड़े होकर आजीवन नशामुक्त रहने का संकल्प दिलाने का आग्रह कर दिया। आचार्यश्री ने सभी को जीवन पर्यन्त नशामुक्त रहने का संकल्प दिलाते हुए एक बेहतर समाज की स्थापना में भागीदार बनने का मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। वहीं महिला मंडल की ओर से श्राविका गौरव अलंकरण भी प्रदान किया गया।
शुक्रवार को चतुर्मास प्रवास स्थल परिसर में बने प्रवचन पंडाल में सुबह के मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के दौरान आचार्यश्री ने अपने मंगल प्रवचन के दौरान गुस्से को असत्य करने की प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी को गुस्से को असफल करने और प्रिय अप्रिय को धारण करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने कहा कि मानों गुस्सा आदमी के जीवन का अंग बना हुआ है। आदमी किसी अप्रिय बात को सहन कर पाता और गुस्सा में चला जाता होगा। आदमी को प्रिय और अप्रिय दोनों स्थितियों में सामान रूप से धारण करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी जब दोनों परिस्थितियों में सामान रहेगा तो गुस्से को नियंत्रित करना आसान हो सकता है।
आचार्यश्री ने अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के 41वें राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने पहुंची महिलाओं को आध्यात्मिक अवबोध प्रदान करते हुए कहा कि अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की सदस्याएं अपने परिवारों पर दृष्टि रखें। परिवार में कलह की स्थिति को विराम लग सके इसका प्रयास करना चाहिए। कलह की स्थितियों का खत्मा या उसके अल्पीकरण का प्रयास होना चाहिए। पारिवारिक हिंसा और घरेलु हिंसा पर लगाम लग सके, इसके प्रति महिलाओं को जागरूक रहने का प्रयास करना चाहिए। परिवार को संस्कारिक बनाने में महिलाओं को महत्त्वपूर्ण योगदान हो सकता है। महिलाएं शनिवार की सांय सात से आठ बजे के बीच सामायिक करने का उपक्रम बनाए तो एक अच्छा धर्म का क्रम चल सकता है। महिला मंडल से जुड़ी महिलाओं को सामाजिक दृष्टिकोण से भी उत्थान हो रहा है। महिलाओं में तत्त्वज्ञान का विकास हो रहा है। कितनी-कितनी महिलाएं उपासिका बनकर लोगों को धर्म के प्रति जागरूक बना रही हैं और संघ की सेवा कर रही हैं। इस कारण वे धर्म से भी संतृप्त हो रही हैं। कितनी-कितनी महिलाएं ज्ञानाशाला की प्रशिक्षिका बन बच्चों को संस्कारवान बना रही हैं। उन्हें बच्चों को आध्यात्मिक ज्ञान भी प्रदान करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने महिला मंडल को तेरापंथ धर्मसंघ की शालीन संस्था के नाम से संबोधित किया तो उपस्थित महिलाओं ने ‘ओम अर्ह्म’ की मंगल ध्वनि से पूरे वातावरण को गूंजायमान कर दिया। आचार्यश्री ने महिला मंडल को साध्वीप्रमुखाजी के निर्देशन में खूब अच्छा आध्यात्मिक विकास करने का शुभाशीष प्रदान किया और महिलाओं को घर में शांति और सौहार्द बनाए रखने का ज्ञान प्रदान किया।
चन्दन पाण्डेय
आचार्यश्री ने अपने उद्बोधन के उपरान्त एक सूचना देते हुए कहा कि अब मैं सुबह नौ बजे से दस बजे, सायं चार से बजे और रात लगभग आठ बजे से नौ बजे तक प्रायः मौन रहूंगा। साथ ही पहले की घोषणा के अनुसार एक बजे से ढाई बजे तक मौन रहने का भी क्रम यथासंभव चलेगा।
इसके उपरान्त महिला मंडल के कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। इस क्रम में सर्व प्रथम अखिल भारतीय महिला मंडल की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती कल्पना बैद ने आचार्यश्री के सम्मुख अपने भावनाओं की अभिव्यक्ति देते हुए कहा कि गुरुदेव के आपके आशीर्वाद से परिवार में सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाने के लिए महिलाएं कार्य कर रही हैं। साथ ही कन्याओं को स्वयं की सुरक्षा करने का भी प्रशिक्षण दिया गया है। भारत सरकार द्वारा महिला मंडल को स्वच्छता अभियान की जो जिम्मेदारी मिली है उसमें भी महिलाएं अपना बेहतर योगदान दे रही हैं और तेरापंथ धर्मसंघ की प्रभावना को उत्तरोत्तर बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया और आचार्यश्री से शुभाशीष प्राप्त किया। श्राविका गौरव श्रीमती मंजू नाहटा ने महिलाओं को सम्यत्व, संयमी को बनने की आवश्यकता जताई और सिद्धांतों को शैली में उतार बेहतर जीवन जीने की बात बताई। इस वर्ष का श्राविका गौरव अलंकरण श्रीमती किरणदेवी आंचलिया को प्रदान को प्रदान किया गया। प्रशस्ति पत्र वाचन श्रीमती शायरदेवी बेंगानी ने किया तो महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती कल्पना बैद व महामंत्री श्रीमती सुमन नाहटा ने श्रीमती आचंलिया को अलंकरण प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। आचार्यश्री ने इसे एक महत्त्वपूर्ण सम्मान बताया और उनके प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना की। साथ ही महिला मंडल ने मुमुक्षु डा. शांताबाई और श्रीमती कनक बरमेचा को भी सम्मानित किया।
आचार्यश्री की प्रेरणा से उत्साहित महिलाओं ने आचार्यश्री से आजीवन नशामुक्त रहने का संकल्प कराने का आग्रह किया तो आचार्यश्री ने उन्हें जीवन पर्यन्त नशामुक्त रहने का संकल्प प्रदान किया।
दूसरी ओर जैन विश्वभारती के अध्यक्ष श्री धर्मचंद लूंकड़ सहित अन्य सदस्यों ने शासन श्री मुनिश्री सुखलाल जी की पुस्तक ‘छाया भी परछाया भी’ और शासन श्री मुनिश्री राकेशकुमारजी की पुस्तक ‘तुलसीकथामृतम्’ को आचार्यश्री के चरणों में समर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
चन्दन पाण्डेय