26.05.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 26.05.2016
Updated: 05.01.2017

Update

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Bread khane wale Savdhaan Ho Jaaye,bread khane नुकसान के बारे में आप सभी को सूचित किया जा रहा है । आप स्वयं सावधान होकर इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो ।
धन्यवाद.......
आप सभी का शुभचिंतक
सेवाव्रती

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शंका समाधान
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१. कोटा शहर में पड़ने वाले बच्चों द्वारा की जा रही आत्महत्या के पीछे सबसे बड़ा कारण उनके अभिभावक है जो की बच्चों पर अनावश्यक दबाव डालते हैं! बच्चों को प्रोत्साहित करिये नाकि दबाव डाले! दबाव से वो कुंठित हो जाते हैं!

एक और बड़ी समस्या आती है की इस तरह से बच्चों का बौद्धिक विकास तो हो जाता है लेकिन भावात्मक विकास नहीं हो पाता! ऐसे बच्चे परीक्षा में तो pass हो जाते हैं लेकिन जीवन की परीक्षा में fail हो जाते हैं!

२. किसी की आस्था पर आधात करना सबसे बड़ा अधर्म है!

३. आचार्य कुंद कुंद स्वामी ने ३ दर्शन बताये हैं -
जिनेन्द्र भगवान
उत्कृष्ट श्रावक
आर्यिका माताजी

साथ ही जिन - बिम्ब दर्शन के अंतर्गत साधु परमेष्ठी के दर्शन भी मान्य है! आचार्य कुंद कुंद स्वामी ने, साधु को जिन - बिम्ब तुल्य ही कहा है! यानि की अगर साधु विहार कर रहे हो तो जिनका देव-दर्शन का नियम है वो साधु परमेष्ठी के दर्शन से अपने नियम का पालन कर सकते है!

४. सुप्रीम कोर्ट ने तो अभी नियम बनाया की बेटी भी बेटे के बराबर संपत्ति की अधिकारी है जबकि जैन दर्शन के आदि - पुराण में बेटी को बराबरी का ही हिस्सा दिया गया है! इस लिहाज से बेटी को बुढ़ापे में अपने माँ-बाप की सेवा का भी पूरा अधिकार है!

५. १० वें पूर्व का ज्ञाता को सम्यक दर्शन होना जरूरी है, ९ वें तक कोई भी ज्ञाता हो सकता है!

- प. पू. मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज

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❖ सामज्जस्य... मुनि कुन्थुसागर [ आचार्य विद्यासागर जी की जीवन से जुडी घटनाएं व् कहानिया ] ❖ @ www.facebook.com/VidyasagarGmuniraaj

ये किसने कहा कि
भले में बुराई नहीं होती
और
बुरे में भलाई नहीं होती
देखो तो
चमकती हुई आग में
धुआं पैदा होता है
और गंदे कीचड़ में भी
कमल खिलता है

कुछ सामाजिक व्यवस्थाओं को लेकर चर्चा चल रही थी तब आचार्य महाराज विद्यासागर जी महाराज जी ने कहा, "छोटे-बड़े लोगों को मिलाना, उनमें एकता कराना सरल होता है. वे एक दुसरे के पूरक बनाकर कार्य करते है. एक-दुसरे से सलाह लेकर विचार-विमर्श करके कार्य करते है उनमें सामज्जस्य अच्छा बना रहता है लेकिन जो समकक्ष होते है, उनको मिलाना, उनमें एकता लाना बड़ा हि कठिन कार्य है. वह उसी प्रकार है जैसे रेल की पटरी या दो समान्तर रेखाओं को मिलाना"

note* अनुभूत रास्ता' यह किताब आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी के परम शिष्य मुनिश्री कुन्थुसागर जी महाराज जी की रचना है, इसमें मुनिश्री कुन्थुसागर जी महाराज जी ने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी के अमूल्य विचार और शीक्षा को शब्दित किया है. इस ग्रुप में इसी किताब से रचनाए डालने का प्रयास है ताकि ज्यादा से ज्यादा श्रावक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी के विचारों और शीक्षा का आनंद व लाभ ले सके -Samprada Jain -Loads thanks to her for typing and sharing these precious teachings.

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आत्मबल देने वालीं कुछ पंक्तिया:

"ठोकरें ख़ाता हूँ पर,
"शान" से चलता हूँ।
मैं खुले आसमान के नीचे,
सीना तान के चलता हूँ।
मुश्किलें तो "साज़" हैं ज़िंदगी का,
"आने दो-आने दो"।
उठूंगा, गिरूंगा फिर उठूंगा
और
आखिर में "जीतूंगा मैं ही"
ये ठान के चलता हूँ!"
ये हमारे #YoungaJainaAward awardee ने भेजीं है

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Must Read, Follow and Share

"जय जिनेन्द्र"
"जय जय गुरुदेव"
#Jainism #RatriBhojanTyag #GreatValues

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❖ वीतराग वंदौं सदा, भावसहित सिरनाय। कहुँ कांड निर्वाण की भाषा सुगम बनाय॥

अष्टापद आदीश्वर स्वामी, बासुपूज्य चंपापुरनामी।

नेमिनाथस्वामी गिरनार वंदो, भाव भगति उरधार ॥१॥

चरम तीर्थंकर चरम शरीर, पावापुरी स्वामी महावीर।

शिखर सम्मेद जिनेसुर बीस, भाव सहित वंदौं निशदीस ॥२॥

वरदतराय रूइंद मुनिंद, सायरदत्त आदिगुणवृंद।

नगरतारवर मुनि उठकोडि, वंदौ भाव सहित करजोड़ि ॥३॥

श्री गिरनार शिखर विख्यात, कोडि बहत्तर अरू सौ सात।

संबु प्रदुम्न कुमार द्वै भाय, अनिरुद्ध आदि नमूं तसु पाय ॥४॥

रामचंद्र के सुत द्वै वीर, लाडनरिंद आदि गुण धीर।

पाँचकोड़ि मुनि मुक्ति मंझार,पावागिरि बंदौ निरधार ॥५॥

पांडव तीन द्रविड़ राजान आठकोड़ि मुनि मुक्तिपयान।

श्री शत्रुंजय गिरि के सीस, भाव सहित वंदौ निशदीस ॥६॥

जे बलभद्र मुक्ति में गए, आठकोड़ि मुनि औरहु भये।

श्री गजपंथ शिखर सुविशाल, तिनके चरण नमूं तिहूँ काल ॥७॥

राम हणू सुग्रीव सुडील, गवगवाख्य नीलमहानील।

कोड़ि निण्यान्वे मुक्ति पयान, तुंगीगिरी वंदौ धरिध्यान ॥८॥

नंग अनंग कुमार सुजान, पाँच कोड़ि अरू अर्ध प्रमान।

मुक्ति गए सोनागिरि शीश, ते वंदौ त्रिभुवनपति इस ॥९॥

रावण के सुत आदिकुमार, मुक्ति गए रेवातट सार।

कोड़ि पंच अरू लाख पचास ते वंदौ धरि परम हुलास। ।१०॥

रेवा नदी सिद्धवरकूट, पश्चिम दिशा देह जहाँ छूट।

द्वै चक्री दश कामकुमार, उठकोड़ि वंदौं भवपार। ।११॥

बड़वानी बड़नयर सुचंग, दक्षिणदिशि गिरिचूल उतंग।

इंद्रजीत अरू कुंभ जु कर्ण, ते वंदौ भवसागर तर्ण। ।१२॥

सुवरण भद्र आदि मुनि चार, पावागिरिवर शिखर मंझार।

चेलना नदी तीर के पास, मुक्ति गयैं बंदौं नित तास। ॥१३॥

फलहोड़ी बड़ग्राम अनूप, पश्चिम दिशा द्रोणगिरि रूप।

गुरु दत्तादि मुनिसर जहाँ, मुक्ति गए बंदौं नित तहाँ। ।१४॥

बाली महाबाली मुनि दोय, नागकुमार मिले त्रय होय।

श्री अष्टापद मुक्ति मंझार, ते बंदौं नितसुरत संभार। ।१५॥

अचलापुर की दशा ईसान, जहाँ मेंढ़गिरि नाम प्रधान।

साड़े तीन कोड़ि मुनिराय, तिनके चरण नमूँ चितलाय। ।१६॥

वंशस्थल वन के ढिग होय, पश्चिम दिशा कुन्थुगिरि सोय।

कुलभूषण दिशिभूषण नाम, तिनके चरणनि करूँ प्रणाम। ।१७॥

जशरथराजा के सुत कहे, देश कलिंग पाँच सो लहे।

कोटिशिला मुनिकोटि प्रमान, वंदन करूँ जौर जुगपान। ।१८॥

समवसरण श्री पार्श्वजिनेंद्र, रेसिंदीगिरि नयनानंद।

वरदत्तादि पंच ऋषिराज, ते वंदौ नित धरम जिहाज। ।१९॥

सेठ सुदर्शन पटना जान, मथुरा से जम्बू निर्वाण।

चरम केवलि पंचमकाल, ते वंदौं नित दीनदयाल। ॥२०॥

तीन लोक के तीरथ जहाँ, नित प्रति वंदन कीजे तहाँ।

मनवचकाय सहित सिरनाय, वंदन करहिं भविक गुणगाय। ॥२१॥

संवत्‌ सतरहसो इकताल, आश्विन सुदी दशमी सुविशाल।

‘भैया’ वंदन करहिं त्रिकाल, जय निर्वाण कांड गुणमाल। ॥२२॥

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✿ गिरनार चलो • गिरनार चलो • गिरनार चलो

हर वर्ष की भांती इस वर्ष भी 11 जुलाई को भगवान नेमिनाथ के मोक्ष कल्याण पर अलोक टोंक पर 22किलो का निर्वाण मोदक लाडू आचार्य निर्मल सागर जी महाराज के सानिध्य में धूम धाम से चढाया जायगा । 9 जुलाई को आचार्य निर्मल सागरजी महाराज का 50 वा स्वर्ण जयंती दीक्षा महोत्सव मनाया जा रहा है । देश के कोने कोने से गिरनार पहुँच कर धर्म लाभ ले ।

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आज जेष्ठ कृष्णा पंचमी वार गुरुवार दिनांक 26 मई 2016 को

परम पूज्य चारित्र चक्रवर्ती गुरुणां गुरु आचार्य 108 श्री शांति सागर जी महाराज की पट्ट परंपरा के प्रथम पट्टाधीश परम पूज्य चारित्र चूड़ामणि आचार्य 108 श्री वीर सागर जी महाराज के अंतिम दिक्षित शिष्य कलकत्ता गौरव द्वादश वर्षिय सल्लेखना धारी परम पूज्य आचार्य कल्प श्री श्रुत सागर जी महाराज का 29वा समाधि दिवस श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन गुणसागर आराधना अतिशय क्षेत्र चकवाडा गुणस्थली पर परमपूज्य द्वितीय पट्टाधीश आचार्य श्री शिव सागर जी महाराज से 56 वर्ष पूर्व सीकर नगर राजस्थान में दीक्षित एवं परम पूज्य आचार्य कल्प श्री श्रुत सागर जी महाराज की संघस्थ आर्यिका परम पूज्य प्रशांत मूर्ति आगम रक्षिका आर्यिका रत्न 105 श्री आदि मति माताजी परम पूज्य आर्यिका 105 श्री श्रुत मती माताजी परमपूज्य आर्यिका 105 श्री सुबोध मति माताजी ससंघ के पावन सानिध्य में विभिन्न आयोजनों के साथ मनाया गया...

जयकारा गुरुदेव का जय जय गुरुदेव...

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✿ गुरूवर ने कहां --- INDIA नहीं भारत बोलो #vidyasagar #kundalpur

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✨समस्त दिगम्बर जैन समाज के गणमान्य साथियो *गोरेगाँव* (NESCO)में आयोजित दिनांक *05*/06/2016 को सुबह *11* बजे से आयोजित *आचार्य* *विमल* *सागर* *जी* *अवतरण* *शताब्दी* *समारोह* में अपने पुरे परिवार और मित्रो सहित अपनी उपस्थिति जरूर जरूर सुनिश्चित करे
समय से पधारे।
समाज की अखंड एकता में आपकी उपस्थिति की भूमिका का सहयोग जरूरी है|
क्योकि महाराष्ट के *मुख्य मंत्री* माननीय देवेन्द्र जी फडणवीस अपने सहयोगी मंत्री, ऍम एल ए और ऑफिसर्स के साथ आने वाले हैं अतः समय का पूरा ध्यान रखे|
दिगम्बर जैन समाज को सरकार को अपनी एकता दिखाने का यह अमूल्य अवसर हैं समय पर अपने परिवार और मित्रो के साथ पहुँच कर पुण्यार्जन और धर्मार्जन कर अपना सामाजिक दायित्व निभाए🙏🏻

*दिवंगत* *आचार्य* *पूज्यश्री* *विमलसागर* *जी* *महाराज* *की* *जय* *हो!*

*🙏🏼जैनं* *जयतु* *शासनम्*॥🙏🏼

Update

सभी को सादर जय जिनेंद्र। बुधवार २६ मई २०१६
आज का विषय - दूसरों के गुणों को सहन ना कर ईर्ष्या वश, स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने के लिए जब हम दूसरों के अवगुण देखने लगते हैं तब हमारी दृष्टि की निर्मलता खो जाती है।अपने विचारों में इस तरह की मलिनता को ना आने देकर हम अपनी दृष्टि को गुणग्राही कैसे बनाए यहीं शिक्षा हमें मुनिश्री क्षमासागर जी महाराज के आज के प्रवचन से मिलती है।

Thought of the day:- The tendency to find faults in others while ignoring our own shortcomings hinders clarity of vision in our life. In today's clip Munishri Kshamasagarji explains how looking for the good qualities in the world around us can elevate our life and thoughts to higher level.

मैत्री समूह
9827440301

Link - https://soundcloud.com/user-289993/26thmay

26thMay - दृष्टि को गुणग्राही कैसे बनाए
सभी को सादर जय जिनेंद्र। बुधवार २६ मई २०१६ आज का विषय - दूसरों के गुणों को सहन ना कर ईर्ष्या वश, स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने के लिए जब हम दूसरों के अवगुण देखने लगते हैं तब हमारी दृष्टि की निर्मलता खो

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✿ चरित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री 108 शांतिसागर जी महाराज केशलोंच करते हुए। #RarePic #Jainism

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