29.03.2016 ►TMC ►Terapanth Center News

Published: 29.03.2016
Updated: 09.01.2018

Update

🌎 आज की प्रेरणा 🌎
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
प्रस्तुति - अमृतवाणी 📺
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से --
आर्हत वाड्मय एन कहा गया है - लाभ-अलाभ, सुख-दुःख, जीना-मरना, मान- अपमान इन सब में समता रक्खो | लाभ-अलाभ का जोड़ा है | इन दोनों में हमें मानसिक संतुलन रखने का प्रयास करना चाहिए | न लाभ में ज्यादा प्रसन्नता व न ही अलाभ में ज्यादा शोक | भोजन मनोज्ञ हो तो ज्यादा सराहना न करें व वह अमनोज्ञ हो तो ज्यादा निंदा न करें| साधुओं को भोजनकी प्रशंसा से इंगर नामक दोष व निंदा से धूम नामक दोष लगता है | महान व्यक्ति सम्पति और विपति में उसी प्रकार सम रहता है, जैसे सूर्य का रंग उदय काल में भी लाल रहता है और अस्त काल में भी लाल | सुख-दुःख में भी समता व जीने-मरने में भी समता | लंबे जीवन काल में भी शांति और आयुष्य कम हो तो भी शांति | निंदा में भी शांति और प्रशंसा में भी शांति | मान हो या अपमान, दोनों में हमारी समता विखंडित न हो | प्रियता व अप्रियता के भावों के बिना देखना समता की साधना है | अहिंसा यात्रा के तीनों आयाम - सद्भावना, नैतिकता और नशा मुक्ति में भी समता की अपेक्षा होती है |
दिनांक - २९ मार्च २०१६, मंगलवार

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🔯 गुरुवर के अमृत वचन 🔯
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