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मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज के साथ स्वाध्याय करते हुए मुनि श्री वीरसागर जी महाराज मुनि आगमसागर जी महाराज ससंघ । मुनि संघ वर्तमान में खांदूकालोनी बासवाडा में!!
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Kshullak Shree 105 Dhyansagarji maharaj Hastinapur mein yaha virajmaan hain.
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Aacharya KundKund Ji Idol at Ponnur Village Jain Temple
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सूचना के अनुसार कल बीनाजी बारहा में 38 गायों से भरा ट्रक पकड़ा गया। ब्रह्मचारियों ने सभी गायों को निकाला और व्यवस्थित किया।
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भव्य मंगल प्रवेश खान्दुकोलनी बांसवाड़ा मै मुनि श्री 108 सुधा सागर जी ससंघ का..
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🚩🚩🚩आचार्य देशना🚩🚩🚩
🇮🇳"राष्ट्रहितचिंतक"जैन आचार्य 🇮🇳
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
तिथि: फाल्गुन शुक्ल दशमी, २५४२
फाल्गुन अष्टान्हिका पर्व तृतीय दिवस
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सूर्य की दिशा
एक आलोकित हो
दशों दिशायें
भावार्थ: जिस प्रकार सूर्य प्रतिदिन पूर्व से उदय होता है और पश्चिम में जाता है, उसकी दिशा एक ही रहती है किन्तु सूर्य गमन करते हुए दशों दिशाएं प्रकाशित करते जाता है । उसी प्रकार जिनेन्द्र भगवान अथवा सतगुरु अथवा गुरुदेव रुपी सूर्य भी ज्ञान दान के माध्यम से, शिक्षा, दीक्षा के माध्यम से, ज्ञान और चरित्र में उन्नत सम्पूर्ण भारत में विचरण करते हुए अपने शिष्यों के द्वारा दशों दिशाओं के अज्ञान रुपी अन्धकार को दूर करते हैं, कर रहे हैं और करेंगे । ऐसे महान सूरीश्वर आचार्य भगवंत को नमन अनन्तों बार ।
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आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ अभी कटंगी, जबलपुर के समीप विराजमान हैं ।
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"राष्ट्र हित चिंतक"आचार्य श्री के सूत्र
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❖ चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर महाराज का जीवन चरित्र तथा संस्मरण - ये नहीं पढ़ा तो क्या पढ़ा!! ❖
जब शान्तिसागर जी महाराज का कटनी में प्रवेश हो रहा था तो कुछ लोग चिंतित थे, उनके साथ जो यात्रा संघपति चल रहे थे उनके सामने वो बात राखी गयी की एक समस्या है की कटनी में हर वर्ष चूहों के कारण प्लेग [महामारी] पड़ता है, तो ये सुनकर संघपति मुस्कुराने लगे और बोले की आप अभी महाराज जी की महिमा को जानते नहीं हो जब महाराज जी कटनी में प्रवेश करेंगे तो यहाँ पर प्लेग नहीं पड़ेगा!
प्रोफेसर लक्ष्मी चंद जैन आज के हिन्दुस्तान के बहुत बड़े गणितज्ञ है, उनकी किताबे जापान के लोग भी पढ़ते है The Tao of Jain Sciences, उन्होंने बताया की उस समय मैं बालक था और हम सब बच्चे वह खेलरहे थे जब आचार्य शान्तिसागर जी हमारे कटनी गाँव में आये, और आचार्य श्री कुए के पाट पर बैठे तो असमान से चन्दन की वर्षा हुई थी, और उस चदन को उन्होंने हाथ में लेकर सूंघा था जो मंदिर वाला चन्दन होता है वही चन्दन था और फिर उसको हमने चखा भी था वही जैसे चन्दन थोडा सा कड़वा होता है वैसा ही स्वाद उसका था! कटनी में 1994 में एक चन्द्र भान कवि थे उन्होंने बताया की जिस दिन शान्तिसागर जी महाराज आये और सबसे पहले उन्होंने उसी कुए के पाट पर प्रतिक्रमण किया था, तो वहा पर एक आम का पेड़ था उस पेड़ के नीचे उन्होंने प्रतिक्रमण किया, तो जिस डाल के नीचे बैठ कर उन्होंने प्रतिक्रमण किया था, चोमस स्थापित होने के बाद उस डाल पर आम के फल लगे थे, जो आम ग्रीष्म काल में लगते है वो महाराज जी की पवित्रता के कारण उस समय लग गए थे, और सही में दुबारा प्लेग की बीमारी कटनी में नहीं आई, उसके बाद कटनी में अब तक प्लेग नहीं पड़ा!
उनका मुनि जीवन 35 वर्ष का था जिसमे से आचार्य श्री ने 9338 निर्जल उपवास किये है जो की लगभग 27 वर्षो में होते है, और लगभग 3 बार सिंह-निष्क्रिडित नाम का तप किया: 1 आहार 1 उपवास, 1 आहार 2 उपवास, 1 आहार 3 उपवास और ये क्रम 9 उपवास तक चलता फिर 1 आहार 9 उपवास, 1 आहार 8 उपवास ऐसे पूरा क्रम होता है, आचार्य विद्यासागर जी जब विद्याधर थे तब उन्होंने वो आहार देखा था, आचार्य विद्यासागर जी बताते है की “लगता नहीं था की शान्तिसागर जी इतने उपवास के बाद आहार कर रहे है” पहली बार जो आचार्य श्री का नाम विख्यात हुआ वो जब आचार्य श्री कुन्नूर की गुफा में बैठे हुए थे, लोगो का ज्यादा ध्यान भी नहीं था, और अंग्रेजो का शासन था, तो उस समय महाराज जी उस गुफा में तपस्या कर रहे थे, तो एक भयंकर सांप आगया, और सांप धंटो तक पूरे शरीर पर क्रीडा कर रहा तभी पैरो में कभी गर्दन पर इस तरह, तो ये बात किसी तरह अखबार वालो को मालूम होगई की की ''आज के इस आधुनिक वैज्ञानिक युग में भी दक्षिण भारत में कोई नग्न बाबा दिगम्बर मुद्रा में ध्यान मुद्रा में मग्न रहते है और उनके शांत रूप वाले शरीर पर सांप अटखेलिया करते है'' जब ये समाचार अखबार में प्रकाशित हुआ तो जैन समाज में तहलका मच गया, भुधरदास जी और बड़े बड़े कवियों ने "ऐसे गुरु कब मिली है" ऐसे भजन लिखे है, फिर पूरी भीड़ उमड़ पड़ी उनके दर्शन करने के लिए! एक बार महाराज को एक ब्रह्मण मारने आगया तो भाग्य से कुछ लोगो ने पकड़ किया उसे तो पुलिस भी आगई, और उसे पकड़ कर पुलिस बोली अब बताओ बाबा इस दुष्ट का क्या करना है, तो महाराज जी बोले "जब तक आप इसको नहीं छोड़ोगे, तब तक मेरा अन्न जल का त्याग है" तो पुलिस वाला तो पानी-पानी हो ही गया तथा जो तलवार लेकर आया था उसके आँखों में आंसू आगये, और उसने महाराज के चरण पकड़ लिए और महाराज का परम भक्त बन गया!
* ये जीवन चरित्र तथा संस्मरण क्षुल्लक ध्यानसागर जी महाराज (आचार्य विद्यासागर जी महाराज से दीक्षित शिष्य) के प्रवचनों के आधार पर लिखा गया है! टाइप करने में मुझसे कही कोई गलती हो गई हो उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ! –Nipun Jain
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soul gets into the first day body starts developing..
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:(
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Ach Shri आदिनाथ स्वामी जी की प्रतिमा को निहारते हुए...👏👏👏