13.01.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 13.01.2016
Updated: 05.01.2017

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Source: © Facebook

❖ जैनोके अल्पसंख्यक घोषणापत्रपर सटीक व्याख्या [ January 22, 2014 at 2:49pm ] नवभारत टाइम्स, दिल्ली दिनांक 22 जनवरी 2014 (लेख: जाहिद खान) कृपया वो जैन या अजैन अवशय पढ़े जो जैन धर्म को राष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्र और अल्पसंख्यक धर्म घोषित होने पर अपना विरोध प्रकट कर रहे है! ❖

आखिरकार पूरी हुई जैन समुदाय की पुरानी मांग: केंद्र सरकार ने जैन समुदाय को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक का दर्जा दे दिया है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। दिल्ली, मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित लगभग दर्जन भर से अधिक राज्य पहले ही राज्य स्तर पर जैन समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा दे चुके हैं। अब जैन समुदाय के 50 लाख लोगों को भी देश के अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की तरह सरकारी योजनाओं व कार्यक्रमों का फायदा मिलने लगेगा। जैन समुदाय अपने निजी शिक्षण संस्थानों को स्वशासी बना सकेगा। वर्तमान में मुस्लिम, सिख, पारसी, ईसाई व बौद्ध समुदाय के लोगों को यह दर्जा हासिल है।

जैन समुदाय के लिए अल्पसंख्यक दर्जे की मांग काफी पुरानी है। हालांकि एक बड़ा वर्ग इसका विरोध भी करता रहा है। इसकी वजह यह रही कि उसे इस संबंध में कई बुनियादी जानकारी ही नहीं थी। हमारे संविधान के अनुच्छेद 29 में अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण और अनुच्छेद 30 में अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों की स्थापना एवं संचालन करने आदि अधिकारों का साफ-साफ उल्लेख है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार (यूएनएचआर) से जुड़े नागरिक एवं राजनीतिक अधिकार अंतरराष्ट्रीय नियम 1966 के तहत ऐसे समूहों को अल्पसंख्यक अधिकार प्रदान किए जा सकते हैं, जो जातीय, धार्मिक एवं भाषायी अल्पसंख्यक हों और जिनकी अपनी अलग पहचान एवं संस्कृति हो। यानी भारतीय संविधान और संयुक्त राष्ट्र द्वारा दी गई अल्पसंख्यकों की परिभाषा के दायरे में जैन समुदाय भी आता है।

जनसंख्या के नजरिए से देखें तो देश में पारसी समुदाय के बाद, जैन समुदाय दूसरा कम जनसंख्या वाला समुदाय है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक देश की कुल आबादी में जैन समुदाय की हिस्सेदारी महज 0.4 फीसदी है। इस समुदाय के लोग देश के अन्य धर्मों-समुदायों के लोगों के मुकाबले आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक सभी स्थितियों में बेहतर स्थिति में हैं। इस आधार पर भी उन्हें अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने का विरोध किया जाता रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने चर्चित टीएमए पई केस में 'अल्पसंख्यक कौन है ', इस विवाद पर एक महत्वपूर्ण व्यवस्था दी थी। अदालत का कहना था- 'देश के किसी भी हिस्से में अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए हर राज्य को एक इकाई माना जाएगा और हर राज्य में पचास फीसद से कम संख्या वाले जो समूह होंगे, उन्हें अल्पसंख्यक माना जाएगा। फिर वे चाहे कोई भी मजहब या भाषा के बोलने वाले हों।

जैन समुदाय की दलील यह रही है कि उसे अल्पसंख्यक दर्जा इसलिए नहीं चाहिए कि वह आर्थिक लाभ या विशेष रियायतें ले सके। बल्कि इसके पीछे उसका मकसद जैन विचारधारा पर आधारित अपने शैक्षणिक संस्थानों को स्वयं संचालित करना है, ताकि वह अपनी विचारधारा एवं संस्कृति को सुरक्षित रख सके। इस दलील में कुछ भी गलत नहीं। जब मुस्लिम, पारसी, बौद्ध एवं सिख समुदाय ऐसा कर रहे हैं तो जैन समुदाय क्यों नहीं कर सकता? जैन समुदाय को अल्पसंख्यक दर्जा देने के खिलाफ लोगों का मानना रहा है कि चूंकि जैन समुदाय, एक धर्म विशेष की शाखा है, लिहाजा उसे यह दर्जा नहीं दिया जाना चाहिए। यानी वह तबका जैन समुदाय के एक अलग और स्वतंत्र धर्म के अस्तित्व से ही इंकार करता है। जबकि जैनागम और इतिहास का तटस्थ अध्ययन करने से साफ मालूम होता है कि जैन धर्म विश्व का प्राचीनतम धर्म है। यह एक स्वतंत्र धर्म है। यह न वैदिक धर्म की शाखा है और न बौद्ध धर्म की।

पुरातत्व, भाषा, विज्ञान, साहित्य और नृतत्व विज्ञान आदि से स्पष्ट है कि वैदिक काल से भी पहले भारत में एक बहुत ही समृद्ध संस्कृति थी। यही संस्कृति आज जैन संस्कृति के नाम से जानी जाती है। जैन धर्म के अपने मौलिक सिद्धांत, परंपरा, इतिहास और ग्रंथ हैं, जो इसे अन्य धर्मों से अलग करते हैं। जाति, धर्म के आधार पर मंडल कमिशन ने भी जैन समुदाय को अहिंदू धार्मिक ग्रुप में मुस्लिम, सिख, बौद्ध व ईसाइयों के साथ रखा है। जाहिर है, केंद्र सरकार ने काफी सोच-समझकर ही यह फैसला किया है!

❖ ♫ www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse ❖

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❖ जैनोके अल्पसंख्यक घोषणापत्रपर सटीक व्याख्या [ January 22, 2014 at 2:49pm ] नवभारत टाइम्स, दिल्ली दिनांक 22 जनवरी 2014 (लेख: जाहिद खान) कृपया वो जैन या अजैन अवशय पढ़े जो जैन धर्म को राष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्र और अल्पसंख्यक धर्म घोषित होने पर अपना विरोध प्रकट कर रहे है! ❖

आखिरकार पूरी हुई जैन समुदाय की पुरानी मांग: केंद्र सरकार ने जैन समुदाय को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक का दर्जा दे दिया है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। दिल्ली, मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित लगभग दर्जन भर से अधिक राज्य पहले ही राज्य स्तर पर जैन समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा दे चुके हैं। अब जैन समुदाय के 50 लाख लोगों को भी देश के अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की तरह सरकारी योजनाओं व कार्यक्रमों का फायदा मिलने लगेगा। जैन समुदाय अपने निजी शिक्षण संस्थानों को स्वशासी बना सकेगा। वर्तमान में मुस्लिम, सिख, पारसी, ईसाई व बौद्ध समुदाय के लोगों को यह दर्जा हासिल है।

जैन समुदाय के लिए अल्पसंख्यक दर्जे की मांग काफी पुरानी है। हालांकि एक बड़ा वर्ग इसका विरोध भी करता रहा है। इसकी वजह यह रही कि उसे इस संबंध में कई बुनियादी जानकारी ही नहीं थी। हमारे संविधान के अनुच्छेद 29 में अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण और अनुच्छेद 30 में अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों की स्थापना एवं संचालन करने आदि अधिकारों का साफ-साफ उल्लेख है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार (यूएनएचआर) से जुड़े नागरिक एवं राजनीतिक अधिकार अंतरराष्ट्रीय नियम 1966 के तहत ऐसे समूहों को अल्पसंख्यक अधिकार प्रदान किए जा सकते हैं, जो जातीय, धार्मिक एवं भाषायी अल्पसंख्यक हों और जिनकी अपनी अलग पहचान एवं संस्कृति हो। यानी भारतीय संविधान और संयुक्त राष्ट्र द्वारा दी गई अल्पसंख्यकों की परिभाषा के दायरे में जैन समुदाय भी आता है।

जनसंख्या के नजरिए से देखें तो देश में पारसी समुदाय के बाद, जैन समुदाय दूसरा कम जनसंख्या वाला समुदाय है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक देश की कुल आबादी में जैन समुदाय की हिस्सेदारी महज 0.4 फीसदी है। इस समुदाय के लोग देश के अन्य धर्मों-समुदायों के लोगों के मुकाबले आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक सभी स्थितियों में बेहतर स्थिति में हैं। इस आधार पर भी उन्हें अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने का विरोध किया जाता रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने चर्चित टीएमए पई केस में 'अल्पसंख्यक कौन है ', इस विवाद पर एक महत्वपूर्ण व्यवस्था दी थी। अदालत का कहना था- 'देश के किसी भी हिस्से में अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए हर राज्य को एक इकाई माना जाएगा और हर राज्य में पचास फीसद से कम संख्या वाले जो समूह होंगे, उन्हें अल्पसंख्यक माना जाएगा। फिर वे चाहे कोई भी मजहब या भाषा के बोलने वाले हों।

जैन समुदाय की दलील यह रही है कि उसे अल्पसंख्यक दर्जा इसलिए नहीं चाहिए कि वह आर्थिक लाभ या विशेष रियायतें ले सके। बल्कि इसके पीछे उसका मकसद जैन विचारधारा पर आधारित अपने शैक्षणिक संस्थानों को स्वयं संचालित करना है, ताकि वह अपनी विचारधारा एवं संस्कृति को सुरक्षित रख सके। इस दलील में कुछ भी गलत नहीं। जब मुस्लिम, पारसी, बौद्ध एवं सिख समुदाय ऐसा कर रहे हैं तो जैन समुदाय क्यों नहीं कर सकता? जैन समुदाय को अल्पसंख्यक दर्जा देने के खिलाफ लोगों का मानना रहा है कि चूंकि जैन समुदाय, एक धर्म विशेष की शाखा है, लिहाजा उसे यह दर्जा नहीं दिया जाना चाहिए। यानी वह तबका जैन समुदाय के एक अलग और स्वतंत्र धर्म के अस्तित्व से ही इंकार करता है। जबकि जैनागम और इतिहास का तटस्थ अध्ययन करने से साफ मालूम होता है कि जैन धर्म विश्व का प्राचीनतम धर्म है। यह एक स्वतंत्र धर्म है। यह न वैदिक धर्म की शाखा है और न बौद्ध धर्म की।

पुरातत्व, भाषा, विज्ञान, साहित्य और नृतत्व विज्ञान आदि से स्पष्ट है कि वैदिक काल से भी पहले भारत में एक बहुत ही समृद्ध संस्कृति थी। यही संस्कृति आज जैन संस्कृति के नाम से जानी जाती है। जैन धर्म के अपने मौलिक सिद्धांत, परंपरा, इतिहास और ग्रंथ हैं, जो इसे अन्य धर्मों से अलग करते हैं। जाति, धर्म के आधार पर मंडल कमिशन ने भी जैन समुदाय को अहिंदू धार्मिक ग्रुप में मुस्लिम, सिख, बौद्ध व ईसाइयों के साथ रखा है। जाहिर है, केंद्र सरकार ने काफी सोच-समझकर ही यह फैसला किया है!

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Video

Video link: Jain Voice in World parliament of religion Chicago 1893- Virchand gandhi
Virchand Raghavji Gandhi born in Gujarat, first barrister of Jain community, he preached Jainism in 1893 world parliament of religion.

❖ The Gandhi before Gandhi [ VirchandRaghavji Gandhi -first barrister of Jain community, he preached Jainism in 1893 world parliament of religion ] this clip include Hon’ble PM Narendra Modi words❖

The time was September 1893, the place "The world parliament of religion" in (Chicago)

"Sisters and brothers of America, it fills my heart joy unspeakable...." you must all recognize these words spoken in Chicago at the world parliament greeted by thunder applause, you must recognize that there was voice of Shree Swami Vivekananda.

But did you know there was another Indian whose heart beat only for his motherland...

VirchandRaghavji Gandhi born in Gujarat, first barrister of Jain community, he preached Jainism in 1893 world parliament of religion.

PRECIOUS CLIP: www.youtube.com/watch?v=NQOZxq6EOJo [ Including PM NarendraModi words about him ]

Sources
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